पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/५९०

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५८७. यशोहर था। अभी वह खुलना जिलेके अन्तर्भूत हो गया है। दरवार बैठाया जिसमें इन्हें सुन्दरवनका अधिकार ___ वर्तमान यशोहर जिलेके उत्तरी भागमें विस्तीर्ण मिला। इसके बाद सुंदरवनमें आ कर उहोंने अपना शस्यश्यामल क्षेत्र और सुविशाल खजुरके वन दिखाई | आधिपत्य फैलाया। अधिकृत प्रदेशके शासनकार्यको अप्रतिहत तथा अपनेको इस निर्जन वनप्रदेशमें निरापद ___ यहाँको नदियों में पूर्व सीमा पर मधुमतो और उसकी | रखनेके लिये राजा विक्रमादित्य सेना रखी थी। उन्होंने नवगङ्गा, भैरव आदि शाखा तथा कुमार, कपोताक्ष, प्राचीन गौड़ नगरीको समृद्धि अपहरण कर उसीके माल फटको, हरिहर वा भद्रा आदि नदी प्रधान है। फिर मसालेले तथा दाऊद खोके धनरत्नको लूट कर यशोहर- माथाभङ्गा, चित्रा, अठरवांकी, गड़ई, हनु, वारासे, काली- पुरी वसाई। उनके लड़के प्रतापादित्यने स्वाधीनभावस गङ्गा, वेणी, वनकाना, कालिया, तालेश्वर, रूपसा, कई वर्ष तक यहाँका शासन किया था। प्रतोपादित्य उस शिवसा, देलुती आदि नदी तथा वोसखाली, जयकाली, | समय वङ्गालके वारह भौमिकोंके अधिनेता हो कर बङ्गालमें गाजराइल, मजूदखाली, वोइटाघाटा, नलुआ, गाङ्गनी- एकाधिपत्य फैलाया । उनको वह समृद्ध राजधानी गाङ्ग, योगनिया, वाईपाड़ा, मलौर, गोदरा, अफरा, २४ परगनेके वसीरहाट उपविभागकी धूमघाटमें थी। घोड़ाखाली, पाल्टिया, यदुखाली, कुमारखाली, भवानी- आज भी वहांके लोग उस स्थानको 'धूमघाट-यशोहर' पुरखाल, मासड़ाखाल, मुचीखाली आदि खालोंके वहने- कहते हैं। आज भी वहां प्रोसाद, गढ़, मंदिर आदि बडोय से खेतीवारी तथा माल आदि ले जानेमें बड़ी मुविधा हो | कायस्थकीर्ति वङ्गालका गौरव दिखलाती है। सुन्दरः गई है। आज कल कुछ खाल और नदी प्रोमकालमें विल| वनके मध्य यशोरेश्वरीपुरमें भी उनकी दूसरी राजधानी कुल सूख जाती है। लेकिन वर्षाऋतुमें वह फिर भर थो। यशोहरनगर देखो। जाती और नावके जाने आने लायक हो जाती हैं। मधु ___प्रतापादित्यने सचमुच वर्तमान यशोहरविभागमें मती, भैरव आदि नदियोंमें जुआर भाटा आया करता है, तमाम राज्य दियो था वा नहीं, उसका कोई प्रमाण नहीं किंतु २० अक्षांशसे अधिक जल नहीं उठता। मिलता। पर हां, उन्होंने जो वर्तमान यशोहर जिलेके इन सब नदियोंके दोनों किनारे बड़े बड़े गाँव वसे दक्षिणस्थ सुदरवन विभागमें अपनी शासनशक्तिको हुए हैं। बहुतसे गांवोंके चारों ओर यशोहर जिलेका | अक्षुण्ण रखा था वह सर्ववादिसम्मत है । आज भी प्रसिद्ध खजूर वन दिखाई देता है। ऐसा धना खजूर- उनको शक्तिके परिचालक दुर्ग आदिके खंडहर जंगलमें का वन वङ्गालमें और कहीं भी देखने में नहीं आता। कई जगह मिलते हैं। प्रताप मुगल-सेनापति राजा मान- पहले लिखा जा चुका है, कि इस जिलेके उत्तरी भागक्री | सिंहसे परास्त हुए । इसके बाद मुगल-सेनाने वंगालीका नदियाँ वर्षाऋतुको छोड़ कर और सभी ऋतुओं में सूज, गौरव ध्वंस करनेके लिये वङ्गराजधानीकी श्रीहीन कर जाती है। मधुमती और नवगङ्गाके किनारे प्रतिवर्ष जो दिया था। पंक जम जाता है, उसमें धान काफी उत्पन्न होता है। प्रतापकी जीवनीमें लिखा है, कि मुगल-युद्धके मारम्भः . वर्तमान कालमें यह जिला यशोर कहलाता है। में ही बङ्गालको दुरवस्था समझ कर उन्होंने यशोर- लोगोंका कहना है, कि यहां धंगालीका यश हृत हुआ था, वासियोंको दूसरा जगह चले जाने कहा था। वे लोग तदनुसार इस स्थानका यशोहर नाम पड़ा। प्रवाद है, शायद उत्तर दिशाके शस्यश्यामल ऊंची भूमि पर जा कि बङ्गालके अन्तिम पठानराज दाऊद खाँको सभामें राजा कर बस गये। वे लोग अपनी पूर्व राजधानीको, चाहे विक्रमादित्य नामक एक सभासद् थे। पठान-सरकारमें | यशोहरके नामानुसार हो चाहे मुगल द्वारा बङ्गालोका उनको अच्छी खातिर थी। पठान शासनकर्ता दाऊद यश हृत होनेसे हो, मुसलमानी अमलमें यशोर वा यशो- जब मुगल-सम्राट अकबरशाहसे युद्ध में परास्त हुआ, | हर कहा करते थे। अधिक सम्भव है, कि प्रतापादित्यके उसके बाद राजो विक्रमादित्यने दिलो-सरकारमें एक साथ वङ्गयुद्धावसानके वाद मुगल शासनकर्तामोन