पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/५७३

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५७० यशोधवल-यशोवन्दन पूर्वमें लौहित्य या ब्रह्मपुत्रसे पश्चिम-समुद्र तक तथा । यशोभृत् (सं० त्रि०) यशो वित्ति भृ-क्विप। यशस्खो, उत्तरमें हिमालयसे दक्षिण महेन्द्राचल तक सभी आर्या- | कीर्तिमान् । वर्त इनके अधीन था। यहां तक, कि गुप्त और हूण | यशोमती (सं. स्त्री) १ यशोदा । (त्रि०) २ यशोमण्डिता, राजे जिन सब प्रदेशोंको जीत न सके थे, इन्होंने उन सव यशखिनी । प्रदेशोंको अपने हाथ कर लिया था। हूणाधिप मिहिर- यशोमती देवी-स्थाण्वीश्वरराज प्रभाकर-वर्द्धनको कुल भी उनकी अधीनता स्वीकार करनेमें वाध्य हुए थे। पत्नी। भन्दसोरकी दूसरी शिलालिपिसे जाना जाता है, कि | यशोमत्य (सं० पु०) मार्कण्डेयपुराण के अनुसार एक वे मालवसम्वत्में अर्थात् ५३२-३३ ई०में राजा करते थे। जातिका नाम । चीन-परिव्राजक यूएनचुवंगने मगधाधिप वाला- यशोमाधव (सं० पु०) विष्णु। दित्य ( नरसिंहगुप्त ) से मिहिरकुलकी पराजय घोषणा यशोमिन-एक प्रसिद्ध बौद्धाचार्य और बौद्ध दार्शनिक । कर दी है। इससे पुराविद्गण समझते हैं, कि मगधा- यशोरथ-बुद्धदेवके समसामयिक काशीके एक राजा । धिप बालादित्य और मालवपति यशोधर्मा दोनोंकी इनके पिता, पत्नी और वन्धुबान्धव सर्बोने बौद्धधर्म प्रहण चेष्टासे मिहिरकुलका अधःपतन हुआ है। चीनयात्रीने किया था। उनके छः वर्ष पहले जिन मालवाधिप शिलादित्य | यशोराज-यशोरथ देखो। (विक्रमादित्य ) का उल्लेख किया उन्हीं का यथार्थ नाम यशालेखा-राजकन्याभेद ! यशोधर्मा था ऐसा बहतोका विश्वास है। यशोवती-काश्मीरराज दामोदरकी स्त्री। दामोदर अपने यशोधवल-चन्द्रावतीका एक परमार-सरदार। पितृहन्ता श्रीकृष्णको मारनेके लिये कुरुक्षेत्र के पास युद्ध यशोधा (सं० त्रि०) यशो दधातीति धा-विप् । कीर्ति- करने गये और उसो युद्ध में वे मारे गये। दामोदरके धारी, यशस्वी। मारे जाने पर उनको गर्भवती स्त्री यशोवती काश्मीरके यशोधामन् ( सं० क्ली० ) यशसः धाम । यशका आश्रय। राजसिंहासन पर आरूढ़ हुई। यशोवतीने काश्मीरका यशोधारा (सं० स्त्री०) सहिष्णुकी स्त्री और कामदेवकी पालन बड़ी खूबीले किया. था। इन्हीं के पुत्र द्वितीय माता। गौन थे। यशानन्दि (सं० पु०) पुराणानुसार एक राजाका नाम || यशोवती-वैशालीके सिंहसनापतिकी पतोहू । नेपाली यशोवल-पद्मावतीके ग्रहपतिवंशी एक व्यक्ति। वौद्धोंके कल्पद्मावदानमें लिखा है, कि बुद्धशाक्य सिंह- यशोभगिन् (सं०नि०) यशस्खो, कीर्तिमान् । ने वैशाली जा कर इन्हे धर्मोपदेश दिया था। यशोवती- यशाभगीन (सं०नि०) यशोभग ( ख-च। पा ४/४३२) ने बुद्धके चरणों में मणिमाणिक्य अपण किया था जो इति ख । यशोभगविशिष्ट, यशस्वी। चन्द्रातप रूपमें बुद्धके मस्तक पर शोभायमान था। यशोभाग्य (सं०नि०) यशोभगमत्वर्थे (वशो यश आदे- बुद्धदेवने यशोवतीसे कहा था, 'तुम तीन कल्प बाद भंगाद्यम् । पा ४॥७॥१३१) इति वेदे यल्। यशोभागो.. सम्यगसम्बोधि लाभ कर रत्नमति वुद्ध नामसे परिचित कीर्तिमान । यशाभट रमाद-एक पश्चिम क्षत्रप और दामसेनके | यशोवन्दन-पञ्जावके होसियारपुर जिलान्तर्गत एक पुत्र । ये श्म यशोदामन नामसे प्रसिद्ध थे। उपत्यका। यह शिवालिक शैलमाला तथा हिमा. यशोभद्र ( ० ० ) १ एक वैयाकरण । जिनेन्द्र- लय श्रेणीके बीच अवस्थित है। गांगेय अन्तर्वेदीकी ध्याकरणमें इनका उल्लेख है। २ एक जैन श्रुतकेवली। देहरादून और नैनीराज्यकी स्त्रियादून उपत्यकाके साथ यशोभीत-कलिङ्गके एक राजा। इनका प्रकृत नाम यह मिली हुई है। सावन नामकी पहाड़ी जलधारा इस उपत्यकाके माधव था।