पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/५२५

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५२२ यमज-यपदवता 'यमज (स० वि०) यमो यमक सन् जायते इति जन-ड आठ दिनों और अगहनके भारम्भिक आठ दिनोंका है। एक गर्भसे. एक. ही समयमें और एक साथ उत्पन्न और कुछ लोगोंके मतसे आश्विनके अन्तिम आठ दिन ': होनेवाली दो:सन्तानें। एक साथ जन्म लेनेवाले दो | और पूरा कार्तिक मास इसके अन्तर्गत है । यम देखो। बच्चोंको यमज कहते हैं। इस यमज सन्तानों में जो | यमदग्नि (सं० पु० ) जमन् हुतभक्षणशीलः, प्रज्वलितोऽ .. पहले जन्म लेगी वही सन्तान ज्येष्ठ कहलायेगी। निक- निरिव, पृषोदरादित्वात्, जस्य या! जमदनिमुनि, के आदिकालको ले कर ज्येष्ठत्व स्थिर करना भगवान परशुरामके पिता! . • कठिन है। सुतरां जो सन्तान पहले जन्म लेगो वही जमदग्नि और परशुराम शब्द देखो। ज्येष्ठ होगी। यमदण्ड ( स० ० ) यमस्य दण्डः । यमराजका डेटा, ."वहिर्व योषु चारित्राद् यमो पूर्व जन्मतः। - कालदण्ड। मास्य जातस्य यममोः पश्यन्ति प्रथम' मुखम । यमदुतिया ( हिं स्त्री० ) यमद्वितीया देखो। सन्तानः पितरश्च व तस्मिन् ज्येछप्रतिष्ठितम् ॥" . | | यमदूत ( स० पु०) यमस्य दूतः । १ यमके दूत। ये 'जन्मप्राथम्यात् ज्येष्ठ यमयोः नतु निपेकपाथम्यात् अतिशय विकृताकार, पाश और मुगदर आदि हाथमें ले जन्मप्राथम्यसन्देहे मुखदर्शनप्राथमप्रात् ॥" (उद्वाहतत्त्व ) कर विद्यमान है। इनके दंष्ट्राकरालघदन, अंगारसदृश प्रभा ... सुश्रुतमें लिखा है, कि वीज अर्थात् शुकशोणित गर्भा-} विशिष्ट, प्रवालत अग्निके समान नेत्र और महावीर हैं। शयका अभ्यन्तरस्थ, वायु द्वारा भिन्न अर्थात् द्विधा | ये सब यमदूत आसन्नमृत्यु व्यक्ति के पास जाते और विभक्त होनेसे दो सन्तान उत्पन्न होती है। यह यमन उसे यमदूतके समीप ले जाते हैं। . . . सन्तान होना पापका फल है। शास्त्र में लिखा है, कि । "क यूय' विकृताकाराः पाशमुद्गरपाण्यः। . यसज सन्तान होनेसे प्रायश्चित्त करना होता है। दंष्ट्राकरालवदनाः अङ्गारसदृशममा (सुश्रुत शारीरस्था०)। यूय' सर्व महावीरा ज्वलत्पावकलोचनाः। . (पु०) २ दोषान्वित घोटक, ऐखा घोड़ा जिसका कृता तथापि पुष्माकमिय' केन सदुर्गति ॥ एक ओरका अंग हीन और दुर्वल हो और दूसरी ओर यमदूता ऊचुः।- का वही अंग ठीक हो। ३ अश्विनीकुमार । यमदूता वय सर्वे यमाज्ञाकारिणः सदा। . . यमजात (सं० त्रि०) यमज देखो। त्वत्तोऽय द्विजास्माक' सुमाहान् कश्मनोदयः ॥". यमजातना (सं०खी०.) यमयावना देखो। । (पद्मपु० क्रियायोगसा०-६०) यमजित् ( स० पु.) यमै मृत्यु जितवान जि-क्विप् तुक २ काक, कौमा। स्त्रियां डीप् । ३ नौ समिधों च। मृत्युञ्जय, मृत्युको जीतनेवाले अर्थात् शिव।। मेंसे एक । यमतीर्थ (स० क्ली०) पुराणानुसार एक तीर्थका नाम यमदूतक (स.पु.) यमस्य दूत इवेति कन् । १ कांक, यमत्व (स० क्लो० ) यमस्य भावः त्व। यमका भाव | कौआ। पूरक-पिण्डदानके बाद वायसको बलि उनी या धर्म। . : होती है। एवं उस समयः कहना पड़ता है, कि.मैंने यमदंष्ट्र:(सं०.पु०.) १ असुरभेद। (कथासरित्सा. १९)/ यह पिण्ड प्रदान किया तुम यमके पास इसे पहुंचायो । २ देवपक्षीय एक योद्धा । ३ एक राक्षसका नाम । पूरकपियड देखो। २ यमके दूत । यमदंया (.स. स्त्रो०.). वैद्यकके अनुसार आश्विन, | यमदूतिका (स० स्रो०) यमस्य दूतिकेव। तिन्तिडो- कार्तिक और अगहनके लगभगका कुछ विशिष्ट काल । वृक्ष, इ.लीका पेड़। इसमें रोग और मृत्यु आदिका विशप भय रहता है और यमदेवता (स स्त्री० ) यमो देवता अधिष्ठात्री यस्याः । इसमें गल्प भोजन तथा विशेष संयम आदिका विधान भरणी नक्षत्र। इस नक्षत्रके अधिष्ठात्री देव यम हैं। है। कुछ लोगोंके मतसे यह समय कार्तिक के अन्तिम | प्रत्येक नक्षत्रकी एक एक अधिष्ठात्री देवी हैं।.