पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४४५

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४४२ यजन-यजुवेद यजन (सं० क्ली० ) इज्यते इति यज-ल्युट । १ वेदविधिके । वजमानलोक (सं० पु०) वह लोक जिसमें यन करके अनुसार होता और ऋत्विक आदिके द्वारा काम्य और मरनेवालोंका निवास माना जाता है। नैमित्तिक काँका विधिपूर्वक अनुष्ठान करना, यज्ञ करना। यजमानशिष्य (सं० पु०) यज्ञध्ययवहनकारी ब्राह्मणका यह ब्राह्मणोंके षटकर्मों मेंसे एक है। दीक्षित शिष्य, वह शिष्य जो यज्ञ करनेवाले ब्राह्मणसे "अध्यापन अध्ययन यजनं याजनं तथा । दीक्षित हुआ हो। दानं प्रतिग्रहश्च व ब्राह्मणानामकल्पयत् ॥" यजमानी (हि'. स्त्री०)१ यजमानका भाव या धर्मा १२ (मनु श) | यजमानके प्रति पुरोहितकी वृत्ति। ३ वह स्थान जहां

पशक्षीर, आज्य, पुरोडास, सोम, ओषधि और चरु | किसी विशेष पुरोहितके यजमान रहते हों।

आदि; हविः, खदिर, पलाश, अश्वत्थ, न्यग्रोध और उडू.) यजस् (सं० क्ली० ) याग, यज्ञ। म्वर प्रभृति : समिध्, नुक, नव, उदूखल, भूपल, कुठोर, यजा ( सं० स्त्री०) शास्त्र के अनुसार पुण्यचरित्रा एक खनिच, यूप, दास, दर्भ, चर्म और प्रस्तर और पवित्र | रमणी। सीता, शमा, भृति आदिके साथ इसका नाम भाजनादि द्रव्योपकरण, उद्गाता, होता, अध्वयु और पाया जाता है। (पारस्करगृह्य० २०१७) 'ब्रह्मादि ऋत्विक द्वारा पूर्वोक्त द्रयों के साथ जो काम्य यजाक (सं० लि० ) यजतीति यज -दाने आकन् । दान- और नैमित्तिक कर्म किया जाता है उसका नाम यजन या कर्ता, दान देनेवाला। याग है। यजि (सं० पु० ) यजतीति यज (सर्वधातुभ्य इन् । उण, इज्यतेऽनेति यज अधिकरणे ल्युट । १ यज्ञस्थान, वह | ४११७ ) इति इन् । १ यष्टा, यज्ञ करनेवाला । २ यजन, स्थान जहां यज्ञ होता है। यज्ञ करना। यजनकर्ता (सं० पु० ) यज्ञ या हवन करनेवाला। यजिन (सं०त्रि०) यजनकारी, यज्ञ करनेवाला। यजनीय (सं० त्रि०) यज-अनीयर् । यजनके योग्य, यज्ञ यजिष्ठ (स त्रि०) वड़ा पूज्य, यष्टतम । करने लायक। यजिष्णु (सं० वि० ) यज-इष्णुच । यजनशील, यज्ञ करने यजन्त (सं० पु०) यज ऋच । योगकर्ता, यज्ञ करनेवाला । | वाला। यजमप (सं० वि०) यजशब्दयुक्त प्रैप या आमन्त्रणमन्त । यजीयस् (सं० वि० ) यज-ईयसु। अतिशय यजनशील, . यजमान (सं० पु०) यजतीति यज-शानच् । १ वह जो बड़ा यज्ञ करनेवाला। यश करता हो, दक्षिणा आदि दे कर ब्राह्मणोंसे यज्ञ, पूजन | यजु (सं० पु० ) चन्द्राश्वमेद । आदि धार्मिक कृत्य करानेवाला। पर्याय-व्रती, यष्टा । यजुर्मय (सं० त्रि० । यजुर्मन्त्र-सम्वलित। - "नाहं तथानि यजमानहविर्वितानेभ्योतद्धृतप्लूतमदनुहुतभुङ | यजुर्लक्ष्मी (सं० स्त्री० ) एक प्रकारका मन्त्र। 'मुखेन ।” (भागवत ३।१६।१८) यजुर्विद् (सं० वि० ) यजुः यजुर्वेद वेत्ति विद क्विम् । - जो यज्ञमें व्रती हैं उन्हींका नाम यजमान है। २ वह यजुर्वेदवेत्ता, यजुर्वेद जाननेवाला। जो ब्राह्मणोंको दान देता हो! महादेवकी माठ प्रकारको यजुर्वेद (सं० पु० ) यजुरेव वेदः, यजुषां वेद इति वा। मूर्तियों से एक प्रकारको मूर्ति। भारतीय मार्योके चार प्रसिद्ध वेदोंमेंसे एक वेद । इसमें यजमानक ( स० पु० ) यजमान या यज्ञादि करनेवाला। विशेषतः यज्ञकर्मका विस्तृत विवरण है और यह इसी- लिये वेद त्रयीमें मित्तिस्वरूप माना जाता है। यहोंमें यजमानता (सं० स्त्री० ) यजमान देखो। अध्वयु जिन गद्य मन्त्रोंका पाठ करता था, वे यजु कह- यजमानत्व (स० क्ली०) यजमानस्य भावः त्व । यजमान- लाते थे। इस वेदमें उन्हीं मन्त्रोंका संग्रह है इसलिये इसे यजुर्वेद कहते हैं। यजमानब्राह्मण ( स० क्ली० ) वह ब्राह्मण जो यज्ञमानका काम करता हो। का भाव या धर्म। ज्योतिषमें लिखा है, कि इस वेदके अधिपति शुक्र है।