पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४०६

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यौन-मौनिचिति थो। शहरमें एक अमेरिकन मिशन और एक मिडिल | मौनतुण्ड ( सं०नि० ) मौनं तुण्डं यस्य अवनतमस्तक स्कूल है। नीचा मुंह। मौन ( स० क्ली० ) मुनेर्भावः इति मुनि-अण्। १ शब्द- मौनभट्ट (सं० पु० ) १ उत्तररामचरितके टीकाकार नारा- प्रयाग-रहित, न बोलनेकी क्रिया या भाव, चुप्पी। यणके पूर्वपुरुष । २ तकरत्नाकरसेतुके प्रणेता दामो. पर्याय-अभाषण, तूष्णी, तूष्णीक । (अमर) दरके पिता। "शामे मौन क्षमा शक्ती त्यागे श्लाघा विपर्ययः। मौनव्रत (स' क्ली० ) मौनमेव व्रतम् । मौन धारण करने गुणा गुणानुवन्धित्वात्तस्य स प्रसवा इव ॥" | का व्रत । इस व्रतमें वानियमन आवश्यक है। (रघु१२२) | मौनवतिन् ( स० वि०) मौन व्रतमस्यास्तीति इति । 'ना पृष्टः कस्यचित् ब्रूयात्' इस शास्त्रानुसार, विना | मौनव्रतावलम्वी, चुप रहनेवाला। पूछे कोई वात न कहनो चाहिये। यदि कहीं पर किसी | मौनवतो-उपासक सम्प्रदायविशेष । ये लोग संन्यासा- विषयकी आलोचना की गई हो तथा वहां उस विषयसे | श्रमी है, किसीके भी साथ वोलचाल नहीं करते। ये जानकार व्यक्ति उपस्थित हो पर उससे कोई विषय पूछा संयत्वाक् हो कर केवल परमाथसाधनके उद्देशसे न गया हो; तो उसे मौन रहना ही उचित है । चाणक्य मौनव्रतका अवलम्बन कर भगवश्चिन्तामें निमग्न रहते ने कहा है कि जहां मख लोग वाद-प्रतिवाद करते हों। हैं, इसीसे इनको मौनी वा मौनव्रती कहते हैं। वहां मौन अवलम्बन करना चाहिये। मोना (हिं० पु०) १ घी या तेल आदि रखनेका एक "दर्दुरा यत्र भाष्यन्ते मौनं तत्रैव शोभनम् ॥" विशेष प्रकारका बरतन ।२ सीक वा कोस और मूंज- (चाणक्य) | का तंग मुहका ढक्कनदार टोकरा, पिटारी । ३ कांस और स्मृतिमे लिखा है, कि मैथुन, दन्तधावन, स्नान, मूजसे चुन कर बनाया हुआ टोकरा जिसमें अन्न आदि मलमूत्रत्याग और भोजनके समय मौनावलम्बन करना रखा जाता है। उचित है। मौनाटभञ्जन-युक्तप्रदेशके आजमगढ़ जिलान्तर्गत एक नगर। यह अक्षा० २५५७५० तथा देशा० ८३ "उच्चारे मैथुने चैव प्रस्रावे दन्तधावने। ३५ ४० पू०के मध्य तोसनदीके दाहिने किनारे अव- स्नाने भोजनकाले च षटन मौनं समाचरेत् ॥" (तिथितत्त्व) स्थित है। आईन-इ-अकवरीमें भी इस प्राचीन नगरका वाकनियमनको मौन कहते हैं। यह एक प्रकारकी उल्लेख है। शाहजहां बादशाहने अपनी कन्या जहानारा- तपस्या है in को यह नगर दान किया था। उस समय यह नगर ८४ २ मुनिव्रत, मुनियोंका व्रत। ३ फागुन महीनेको महल्लोंमें वटा था तथा यहां ३६० मसजिदें थीं। अङ्ग- पहला पक्ष । (त्रि०) ४ चुप, जो न वोले। रेजी अमलदारीके शुरुमें यह नगर फैजाबाद-वेगमोंकी मौन (हि पु०) १ पात्र, वरतन । २ डब्धा । ३मूज जागीर था। उसके पहलेसे शासनविश्शृङ्खलताके कारण आदिका बना टोकरा या पिटारा। स्थानीय समृद्धिका बहुत कुछ ह्रास हो गया हैं। यहां मौ नगर-युक्तप्रदेशके मुरादाबाद जिलान्तर्गत एक साइन नामक एक प्रकारका सूती कपड़ा बनता है। नगर। यह अक्षा० २६३३०उ० तथा देशा० ७८] विलायती सूतेकी आमदनीसे इसमें शिथिलता आ ४०१५” पू०के मध्य गाङ्गन नदीसे १ कोस पूरवमें गई है। अवस्थित है। यहां सूती कपड़े बुननेका अच्छा कारवार मोनिक ( सं० वि०) मुनिरिव (अङ्ग ल्यादिभ्यष्ठक् । पा चलता है। | ॥३९०८) इति इवार्थे ठक् । मुनि तुल्य, मुनिके समान । मौनता (सं० स्त्री० ) मौन होने या रहनेका भाव, चुप | मौनिचिति (सं० पु० ) मुनिचित ( सुत्तनमादिभ्य इञ्। प होना। ' श८०) इति इन्। १ मुनिचित जहां विद्यमान हैं