पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/४०

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मुद्रातत्त्व (माच्य) उत्तर रहा है और दूसरो ओर पुषस्तवक है। यह पार- किसी राजकीय मुद्रा में हिरोदोतसका सुखमण्डल अङ्कित सिक आदर्श पर बनी है। मागनेसियानगरको मुद्रामें है। वहुतोंमें आपलोका अपूर्व सौन्दर्यमय मुखमण्डल . थेमिष्टक्लिसका नाम पाया जाता है। तथा दूसरे भागमें मछली पर सवार एक नवीन युवक मिलिटनसको मुद्रा सिंहका प्रतिरूप है। माइ- को प्रतिकृति देखने में आती है। कुछ मुदा जोर कल-युद्धके वादको मुद्रामें तारका चिह्न देखने में आता (Fig) फलका धौद चित्रित है। मिएडस नगरकी है। किसी किसीमें आपलोकी सुन्दर मूर्ति है। मुहरों पर मिस्री शिल्पका प्रभाव देखा जाता है। इसमें दूसरे भागमें एक सिंह टक लगाये नक्षत्रको ओर देख आइससका मुकुटालङ्कार अङ्कित है। केरियाके राजे रहा है। अतुल ऐश्वर्यके लिये प्रसिद्ध थे उनकी मुहरादिसे इसका स्मर्णा नगरको प्राचीन मुद्रामें शैवेलोकी सुन्दर दिव्य प्रमाण मिलता है। केरियाके राजाओंमें मलोसस, हाइ. लावण्यमयी मूर्ति तथा दूसरे भागमें एक सिंह चित्रित द्रियस, पिक्लोदेरस आदि सबसे प्रसिद्ध हैं। मसोलस- है। किसी किसोमें शैवेली (Cybele) की सिंहवाहिनो को विधवा पत्नो आर्टिमिसिया राज्यशासनमें अच्छा तसवीर है जो हिन्दुको सिंहवाहिनीकी शक्तिमूर्तिका | नाम कमा गई हैं। उनकी मोहर शिल्पसौन्दर्यका उत्कृष्ट उज्ज्वल निदर्शन बता रही है। परवत्तीं कालकी मुद्रामें | उदाहरण है। केरियाके मध्य कालिग्लाकी मुद्रा ई०. मिथदतिस और वेसपासियसके अनेक ऐतिहासिकतत्त्व सन् ४०० वर्ष पहलेको है। इसके एक भागमें कर्कट मालूम होते हैं। मूर्ति और दूसरे भागमें पारसिक आदर्शका एक मुकुट है। ___फ्यूस नगरको मोहरादिमे तरङ्गायितकुन्तला किसी किसोमें हिराक्लिसकी प्रतिकृति खोदित है। स्फिस्कस मूर्ति तथा दूसरेभागमें दाखका घौद है । ये सब उसके वाद अलेकसन्दरका मुद्राकाल देखा जाता मुद्रा ई०सन ४६० वर्ष पहलेको वनी है। है। परवत्ती कालकी मुद्रामे जेनीफनका मुख देखनेमें ___सामस-नगरकी रौप्य मुद्रा ई०सन् ४६४ वर्ष पहले- आता है। मेजिष्टा नगरके रुपयेमे एक ओर 'हेलिया' को है। इस रुपयेके एक ओर ऊंचा कूबड़वाला सफेद ! ( Helio ) वा सूर्य और दूसरी ओर एक प्रस्फुटित वैल और दूसरे भागमें सिंहमूर्ति है। किसी किसीमें | गुलावका फूल है। रोड्स ( Rhodes )-द्वीपकी मुहरोंसे शूलधारिणी होरादेवी अङ्कित है। ईसा जन्मसे ४३६ ! बहुत कुछ तत्व जाने जा सकते हैं। यह नगर ई०सन् वर्ष पहले यह स्थान आथेन्सवासियोंके अधिकारमें ) ४८० वर्ष पहले स्थापित हुआ है। इस स्थानकी मुहर- आया। तभोसे यहां ग्रीक आदर्श पर मुद्रा ढलने लगी। में पक्षशालो शूकर और दूसरे भागमें सिहमूर्ति है । इस- इन सब मुद्राओंमें सर्पदमनकारी हिराक्लिस मूर्ति तथा का शिल्पसौन्दर्य चित्ताकर्णक है। हेलिभोके कुञ्चित- दूसरे भागमें ओलिभपलुवका गुच्छा है। परवत्ती मोह- केशोंको शोभा तथा प्रस्फुटित गुलावका नैसर्गिक सौन्दर्य रादि पौराणिक चित्रसे भरी है। किसोमे एशिया मुद्राशिल्पका आश्चर्या कोर्तिस्तम्भ है। इस स्थानकी खण्डकी 'सामियान' (Samian) होरामूर्ति है । अलावा | राजकीय मुद्राओं पर नार्भासे ले कर मार्कस अरेलियस इसके उनमें जो मूर्तियां अङ्कित हैं वे अधिकांश हिन्दू देव तकके रोमक सम्राटोंका नाम खोदा हुआ है। इस समय . देवीको अनुरूप हैं। पोतलके पैसेका यथेष्ट प्रचार था । लिसिया नगरको किसी किसोमें पिथागोरसका अपूर्व प्रतिभा सम्पन्न | मुहरों पर एशियाके पौराणिक चित्रोंका समावेश देखा मुखमण्डल है। उनके सामनेमें भूमण्डल (Globe )-का जाता है। इनके अक्षर, शिल्प और चित्रादिकी संतोप- चित्र है। पिथागोरस पेन्द्रजालिक छड़ीसे भूमण्डलको | जनक व्याख्या आज तक कोई नहीं कर सका है। प्राचीन मन्त्रमुग्ध कर रहे हैं। केरिया नगरमें ई०सन् ४८० मुद्राके अ. र एशियामाइनरको प्राचीन लिपियोंसे मिलते वर्ष पहलेकी मुद्रा पाई जाती है। उसके एक भागमे | जुलते हैं। इसका आकार ग्रोक अक्षरसे सम्पूर्ण विभिन्न मादिति और दूसरे भागमें सिंहवाहिनी मूर्ति है। है। उसका प्रकृत तत्त्व आज तक अन्धकाराच्छन्न है। Val, XII. 10