पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३७९

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३७६ मोक्षोपाय-मोघ मोक्षोपाय (सं० पु०) मोक्षस्य मुक्तेरुपायः। मुकि- जल खारा होता है। यहां प्रति वर्ष माघ महीने में एक साधन, जिसे अवलम्बन करनेसे मुक्ति मिलती है, मुसलमान फकीरके उद्देश्यसे एक मेला लगता है। इस तपस्या, समाधि, योग, ज्ञान। . समय पीरके समाधि मन्दिर में पूजा देनेके लिये दूर दूर "सतं कृच्छगतं दृष्ट वा कृपयाभिपरिप्लुतः।। देशोंसे लोग आकर रहते हैं। उवाच दानवश्रेष्ठ मोक्षोपायं ददामि ते ॥" | मोगलमारो-मेदिनीपुर जिलान्तर्गत एक गण्डग्राम । यहां (हरिवश २५५५ ६३)| मुगलके साथ यहांके हिन्दू जमींदारोंका एक युद्ध हुआ मोक्ष्य (सं० त्रि०) जो मोक्षके योग्य हो, मोक्षका था। मेदिनीपुर देखो। अधिकारी। मोगलसराय-युक्तप्रदेशके वाराणसी जिलान्तर्गत एक मोख (मुह्मद)-पंजाब प्रदेशके रावलपिण्डी जिलान्तर्गत नगर। यह अक्षा० २५ १६ ३०” उ० तथा देशा० एक नगर । यह सिन्धु नदके वायें किनारे पर अवस्थित ८३ १०४५पू०के मध्य अवस्थित है। काशो जानेके है। पहले इंडस्टिम फ्लोटिला कम्पनीका वाष्पोय जहाज लिये यहांसे इष्टइण्डियन रेलवेकी एक लाइन दौड़ इस वाणिज्य केन्द्रसे कोटरी तक जाता आता था। रेलवे लाइनके हो जानेसे जहाज द्वारा वाणिज्यका हास हो मोगली (हि. स्त्रो०) एक जंगली वृक्ष। यह गुजरातमें गया है। अभी बड़ी बड़ी देशी नाव द्वारा देशोय पण्य अधिकतासे पाया जाता है। इससे एक प्रकारका कत्था द्रव्यमा वाणिज्य होता है। स्थानीय पराछा नामक बनाया जाता है और इसकी छाल चमड़ा सिझाने के वणिकजाति द्वारा अफगानिस्तान के साथ यहांका काममें आती है। वाणिज्य सम्बन्ध हो गया है। । मोगा-१ पक्षाव प्रदेशके फिरोजपुर जिलेकी एक तह- मोखा (हिं. पु०) दीवार आदिमें बना हुआ छेद जिससे सील। भू-परिमाण ८११ वर्गमील है जिनमेंसे ७३३ धूआं निकलता है और प्रकाश तथा वायु आती है। वर्गमील भूमिमें खेतीवारी होती है। मोखेर-मध्यभारतके छिन्दवाड़ा जिलान्तर्गत एक ___ २ उक्त जिलेका एक नगर और उपविभागका विचार नगर। सदर। यह प्रांडद् करोडके किनारे अवस्थित है। यह मोग (सं० पु०) वसन्तरोगभेद, चेवक । लुधियाना और फिरोजपुरका शस्यभण्डार है । लुधि- मोगरा (हिं० पु.) १ एक प्रकारका बहुत बढ़िया और याना-फिरोजपुर-रेलपथ विस्तृत हो जानेसे यह स्थान बड़ा बेला। २ मोंगरा देखो। वाणिज्यका केन्द्र हो गया है। मोगल-मुगल देखो। | मोगिनन्द (मोगनन्द)-पंजाबके सिरसूर जिलान्तर्गत एक मोगलपुर-युक्तप्रदेशके मुरादावाद जिलेके अन्तर्गत एक बड़ा गांव। यह अक्षा० २०३२ उ० तथा देशा०.७७ नगर। यह अक्षा० २६५५४३“उ० तथा देशा० ७८ .१६ पू० शिवालिक पर्वतमालाके मोगिनन्द संकटके ४५ ५५“पू० रामगंगा नदीले एक मोल पश्चिममें अव-| | किनारे अवस्थित है। १८१५ ई०के गोरखा-युद्धके समय स्थित है। यहां एक प्राचीन दुर्गचिह्न पड़ा हुआ है। । नाहनकी चढ़ाई के समय अंगरेजी सेनाने यहां छावनी मोगलभिनकराची जिलेके शाहवन्दर उपविभागके अन्त- 'ढाली थी। र्गत एक प्रधान नगर । यह अक्षा० २४२३ उ० . तथा मोन्यो-अगरेजाधिकृत ब्रह्मके थरावती जिलान्तर्गत एक देशा० ६८१८३० पू० सिन्धुनदको पिन्यारी शाखा- नगर। यह.अक्षा० १७५८२० उ० तथा देशा०६० के गांगरो नामक अंशमें अवस्थित हैं। नगरसे एक Fast ३३२० पू०के बीच पड़ता है। कोस दक्षिण २०० गज x१३॥ गज चौड़ा एक वांध है। उसके ऊपर वावला गाछ हो कर एक सुन्दर पथ दिखाई | मोघ (सं० वि०) मुह्यतेऽस्मिन्निति मुघ घ, न्यङ्कादि- पड़ता है। गांगरो नदीका जल मीठा और पिन्यारीका| त्वात् कुत्वं । १ निरर्थक, निष्फल ।