पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३४९

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मैश्रधान्य-मैसूर अभी यह जंगलसे ढक गया . है। टूटा फूटा मन्दिर छावनी है। पहले महासमृद्धशाली महिषागम नगरो विद्य- भव भी उस अतीत कीत्तिकी घोषणा कर रहा है। मान थी। प्राचीन हिन्दूमन्दिरको ध्वंसावशेष आज भी - १८८८ ई० में कुछ धर्मोन्मत्त कछाडीने यहाँ राज-! उस अतोन स्मृतिको घोषणा करता है। मुगल वाद- विद्रोह खड़ा कर दिया। शम्भुदान नामक एक व्यक्तिने शाह औरङ्गजेबने गोलकुण्डाको जीत कर यहांकी हिन्दू- विविध रोगोंको आरोग्य करके अपनेको ईश्वर-प्रेरित कीति को नष्ट कर डाला तथा सबसे बड़े मन्दिरके घोषित किया। मूर्ख लोग इस बात पर तथा अलौकिक | ध्वंसावशेषसे एक मसजिद बनवाई। हैदरावादको शक्ति पर मुग्ध हो कर उसके शिष्य बन गये। मका मसजिदमें यहांको हिन्दूकोतिका निदर्शन पाया मैवङमें उन लोगोंका आस्ताना कायम हुआ । इस उद्धत जाता है। धर्मसम्प्रदायने धीरे धीरे ऐसा भयङ्कर रूप धारण किया, मैसूर-दक्षिण भारतके अन्तर्गत एक प्राचीन हिन्दूराज्य । कि उनके अत्याचार और उपद्रवसे आस-पासके लोग अभी यह वृटिश सरकारके अधोन एक मित्रराज्य तंग तंग आ गये। उनकी दस्युत्ति दमन करनेके लिये समझा जाता है। इस सामन्त राज्यकी नामनिरुक्ति- स्वयं लिपटी कमिश्नर सशस्त्र पुलिसोंके साथ मैचङ्गमें के सम्बन्धमें अनेक किंवदन्तियां सुनी जाती हैं। कोई उपस्थित हुए। इस संवाद पर विद्रोहोचलने मैवङ्गका परि- 'महिष उरु' वा महिष नामसे और कोई महिव असुर त्याग कर उत्तर कछाड़के विचारसदर गुनजोङ्ग पर आक्र-| नामके अपभ्रंशसे प्राचीन महिसुर देशको नामोत्पत्ति मण कर दिया। यहां पुलिसके साथ शम्भुदानके अनुया वतलाते हैं। यह अक्षा० ११३६ से १५२ उ० तथा यिओंका एक युद्ध हुआ। युद्धमें तीन पुलिस कर्मचारी देशा०७४३८ से ७८ ३६ पू०के मध्य विस्तृत है। मारे गये पीछे उन आततायिओ'ने नगरको लूटा और महिसुर नगरमें इस सामन्त-राज्यको राजधानी है, जला दिया। इसके बाद उनके मैवङ्ग लौटने पर मेजर किन्तु विचार-विभाग बङ्गलूरमें है। महिसुरराज्य वाइड ( Major Boyd )ने दलथलके साथ यहां छावनी | अगरेजोंके अधिकारमें आनेके बाद बङ्गलरकी श्रीवृद्धि डाली । दूसरे दिन सवेरे अगरेजी सेनाने उनके आस्ताने हुई। यहां वृटिश सरकारका एक सेनावास स्थापित पर चढ़ाई कर दी। मूर्ख विद्रोहोदलका विश्वास था, है। इसमें १२८ शहर और २० हजार ग्राम लगते हैं। कि शम्भुदान अपने योगवलसे अंगरेजोंकी गोलीको । जनसंख्या ६० लाखके लगभग है। हवामें उड़ा देंगे, किन्तु थोड़े ही समयके अन्दर उनका सारा महिसुर राज्य पूर्व और पश्चिमघाट-पर्वत- यह भ्रान्तविश्वास जाता रहा । संग्रामके वाद कछाड़ियों- माला तथा नीलगिरिका अधित्यकामय सानुदेशपूर्ण का बलमय होता देख विद्रोहीदल रणस्थलसे भाग| देशभाग समुद्रपृष्ठसे २ हजार फुट ऊंचा है। केवल चला । युद्ध में मेजर वाइड घायल हुए और कुछ दिन वाद कृष्णा और काबरी अबवाहिकाका मध्यवत्तीं अधित्यका- धनुष्टङ्कार रोगसे परलोकको सिधारे। शम्भुदानने पहले देश ३ हजार फुट तक ऊंचा देखा जाता है। अधित्यका छिप कर अपनी जान बचाई, पर पीछे पुलिसने उसे भूमिमें जहां तहां धानकी फसल लगती है। पकड़ा और यमपुरको भेज दिया । उसका प्रधान वा उपरांत अधित्यकाभूमिमें कुछ गिरिशृङ्ग मस्तक धर्मगुरु मानसिंह था । सरकारने उसे कालेपानीको | उठाये महिसुर राज्यके विशाल समतल क्षेत्रको रक्षा सजा दी। कर रहे हैं। शृङ्गों में न्दिदुर्ग (४८१० फुट) और सवन मैश्रधान्य (सं० क्ली०) एक प्रकारका खाद्य पदार्थ जो दुर्ग (४०२४ फुट ), राज्य-रक्षाके लिये हिन्दू प्रधान्य- चावलोंके मेलसे बनाया जाता है। कालमें कवल दुर्ग, शिवगन्धा, चित्तल दुर्ग आदि सुदृढ़ मैसरम-निजाम राज्यके हैदराबाद तालुकके अन्तर्गत एक | गिरिदुर्ग स्थापित हुए थे। शत्रुओंके साथ बार वार युद्ध लिप्त रहनेके कारण सवन दुर्ग इतिहासमें प्रसिद्ध बड़ा गाँव । यह हैदरावाद नगरले ५ कोस दक्षिणमें अव- स्थित है। यहां निजामके पदातिक सेनादलको एक || हो गया है। सिर्फ कवलदुर्ग दुद्ध'ष बन्दियोंके चरम-