पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/३१८

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मेवाड़ गई। सनाधिकार ले कर ईश्वरसिंहके विरुद्ध खड़े हुए। राज-| देवीके साथ चेदिराज गयकर्णका विवाह हुआ।) १८ महल में दोनों पक्षमें घमसान युद्ध छिड़ा। युद्ध में राणा अरिसिंह । १६ चोड़। २० विक्रमसिंह । २६ क्षेमसिंह । परास्त हुए जिससे मेवाड़की राजशक्ति कमजोर हो। २२ सामन्तसिंह, (ये आवपति प्रहलादन द्वारा पराजय हुए ।) २३ कुमारसिंह । २४ मथनसिंह । २५ पद्मसिंह । जगत्सिंहको मृत्यु के बाद राजा श्य प्रतापसिंहने | २६ जैनसिंह, (इन्होंने तुरुष्क और सन्धक सेनाको मेवाड़ राजशक्तिका पुनरुद्धार करनेको कोशिशको । उनके हराया था) २७ तेजसिंह ( १२६७ ई०)। २८ समरसिंह लड़के राणा राजसिंह श्य और राणा अरिसिंहने यथा | (१२७८ ई० ) 1 २६ रत्नसिंह । ३० श्रीजयसिंह । ३१ क्रम मेवाड़का शासन किया था। अरिसिंहके शासन लक्ष्मणसिंह । ३२ अजयसिंद । ३३ अरिसिंह । ३४ कालमें होलकर और सिन्दे-राजने मेवाड़ पर चढ़ाई कर हम्मीर । ३५ खेतसिंह या क्षेतसिंह । ३६ लक्षसिंह । दी। विद्रोही सामन्तोंने राणाको राज्यच्युत करनेका ३७ मोकल, (१४२८ ई० ), प्रवाद है, कि वे १३६८ ई०में षड्यन्त्र रचा जिससे दोनोंमें युद्ध खड़ा हो गया । राणा अपने भाई चण्डका काम तमाम कर स्वयं राजा बन बैठे हार खा कर भागे। पीछे वे किसी बदो राजपुत्रके हाथ थे । ३८ कुम्भ (१४३८)। ३६ उदयसिंह, इन्होंने अपने यमपुर सिधारे । अनन्तर उनके लड़के हमीरसिंह राज- पिता कुम्भको विजलोके प्रयोगसे मारा था । ४० राजमल्नु पद पर बैठे। इस समय राजमाताके साथ राजमन्त्री . १४८६)। ४१ संग्रामसिंह (१म, १५०६) ४२ रत्न- अमरचांदका विवाद खड़ा हुआ। १७७८ ईन वालक-1 सिंह (१५२७)। ४३ विक्रमादित्य (१५३२.)। ४४ राज हम्मारको वचपन में मृत्यु हुई। १७३६ ई०में महा (१५३५ ३७ ई० वनवीरका अराजक राज्यशासन)। ४५ राष्ट्रके आगमनसे ले कर १७७८ ईमें हमीरकं मृत्युकाल उदयसिंह, २य (१५३७)। ४६ उदयसिंहके लड़के प्रताप तक मेवाड राजशक्ति कमजोर हो जानेसे राज्यकी धोरे सिंह ( १५७२४ अमरसिंह (१५६) कर्णसिंह धारे अवनति हो गई थी। (१६२०)। ४६ जगतसिंह (१६२८)। ५० राजसिंह हमीरकी मृत्युके बाद उनके भाई राणा भीमसिंह (१६५२)। ५१ जयसिंह (१६८०) । ५२ अमरसिंह मेवाड के सिंहासन पर अधिरूढ़ हुए। इनके शासन २य (१६६६) । ५३ संग्रामसिह २य ( १७११ ) । कालमें होलकर और सिन्देने मेवाड, पर आक्रमण किया ५४ जगतसिह (१७३४) । ५५ प्रतापसिंह श्य (१७५२) । तथा मेवाड. राजकन्या कृष्णकुमारीका विवाह ले कर ५६ राजसिंह २य (१७५४ ) । ५७ अरिसिंहराणा सारे राजस्थानमें भयङ्कर युद्ध हो गया था। (१७६१)। ५८ हम्मोर (१९७३)। ५६ भीमसिंह भीमसिंह देखो। (१७७८ )।६० जीवनसिह (१८२८):६१ सरदारसिंह अर्बुद (आव) शैलशिखर पर राणा समरसिंहको ( १८३८)। ६२ स्वरूपसिंह (१८४२) । ६३ शम्भूसिंह उत्कीर्ण शिलालिपिसे उनके पहलेके राजाओं और (१८६१)। ६४ सजनसिंह ( १८७४)। '६५ इन- महात्मा टोड द्वारा सङ्कलित राजस्थानोंके इतिहाससे 'हरणसिंह । ६६ फतेहसिंह (१८८५)। ६७ राजा मेवाड. राजवंशको तालिका इस प्रकार उद्ध त हुई है- चन्द्रशेखर प्रसाद सिंह (१९२८)। उदयपुर देखो १ वप्पक वा वप्पा (७३५ ई० )। २गुहिल । ३) शील। ४ कालभोज । ५ भत्तुं भट्ट । ६अघसिंह वा उपरोक्त राजगण प्रायः पुत्रादि क्रमसे मेवाड़के सिंहा. सिह । ७ महायिक । ८ खुमान वा खुम्मान | मालट । सन पर बैठ गये हैं। केवल ३७वे, ४४वें और ५६वें १० नरवाहन। ११ शक्तिकुमार। १२ शुचिवर्मा । १३, राजा अपने भाईके उत्तराधिकारी हुए थे। " नरवर्मा। १४ कीर्तिवर्मा । १५ वैरट वा हंसपाल। मेवाड़राज्यका ऐतिहासिक और भौगोलिक विवरण १६ वैरोसिंह । १७ विजयसिंह, (इन्होंने मालवराज उदया. आव, उदयपुर, कमलमेरु और चित्तोर आदि शब्दोंमें दित्यकी कन्यासे विवाह किया। इनकी कन्या अलहन | दिया गया है। इन वद्ध नशील, वीरपाण और वीर्य-