पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/२८२

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में-मेखला २७९ में ( हिं० अध्य०) १ अधिकरण कारकका चिंह जो किसी। मेखल (हिक स्त्री०) १ किङ्किणी, करधनी। वह वस्तु शब्दके आगे लग कर उसके भीतर, उसके वीचका या जो किसी दूसरो वस्तुके मध्य भागमें उसे चारों ओरसे उसके चारों ओर होना सूचित करता है, आधार या अब- धेरै हो । मेखला देखो। स्थानसूचक शब्द । (पु०) २ वकरीके वोलनेका शब्द । मेखला (सं० स्त्री०) मोयते प्रक्षिप्यते कायमध्यभागे इति मि मैंगनी (हि. स्त्री०) ऐसे पशुओंकी विष्ठा जो छोटो संज्ञायां खलः गुणश्च स्त्रियां टाप । १ सिकड़ी या माला- छोटो गोलियोंके आकारमें होती है, जैसे वकरीकी मैंगनी, के आकारका एक गहना जिसे स्त्रियां कमरको घेर कर ऊंटकी मेंगनी। पहनती हैं, करधनी । पर्याय-सप्तकी, रसना, सारसन, मेंवर (म. पु०) किसी सभा या गोष्ठीमें सम्मिलित व्यक्ति, काञ्ची, काञ्चि, रशना, वक्षा, रसन, रशन, कक्ष्या, सभासद, सदस्य। सातका, सारशन, कलाप । ( जटाधर) मेक (सं० पु० । मे इति कायति शब्दं करोतीति कै-शब्दे कोई कोई पण्डित आठ लड़वाले हारको मेखला क। छाग, बकरा। कहते हैं। मेकदार (ब० पु.) परिमाण, मंदाज । "एकयष्ठिर्भवेत् काञ्ची मेखला त्वरयटिका । मेकल (सं० पु०) विन्ध्य पर्वतका एक भाग। यह भाग रसना षोड़श शेया कलापः पञ्चविंशकः ॥" (भरत) रोवा राज्यके अन्तर्गत है और इसमें अमरकण्टक है। २ खड़ गादि निवन्धन, पेटी या कमरवंद जिसमें तल- नर्मदा नदो इस पर्वतसे निकली है। यह मेखलाके " वार वाँधी जाती है। ३ वह वस्तु जो किसी दूसरी आकारका है, इसोसे इसको मेखला भी कहते हैं। वस्तुके मध्य भागमे उसे चारों ओरसे घेरे हुए पड़ी हो । मेकलकन्यका (सं० सा० ) मेकलः मेखलायुक्तः विन्ध्य- ४ कमरमें लपेट कर पहनेका सूत या डोरी, करधनी । ५ पर्वतः तस्य कन्यका, तस्य नितम्वदेशात् निःसृता ।। कोई मण्डलाकार वस्तु, गोल घेरा। ६ शैलनितम्व, नर्मदा नदी। पर्वतका मध्य भाग। ७ नर्मदानदी । ८ पृश्निपणी,. मैकलसुता (सं० स्त्री० ) नर्मदा नदी । पिठवन । डंडे, मूसल आदिके छोर पर या औजारके मेकलाद्रि (सं० पु० ) मेकलः अद्रिः । विन्ध्यपर्वत। मेकलाद्विजा (सं० लो०) मेकलादेजाता जन-ड, स्त्रियां मूठ पर लगा हुआ लोहे भादिका बेरदार बंद, सामी। टाप, नर्मदा नदी। १० मूजके बने हुए चे तीन सूते जो उपनयनके समय पहने जाते हैं। उपनयनकालमें ब्राह्मण मुञ्जको, क्षत्रिय ___रेवेन्दुजा पूर्वगङ्गा नर्मदा म कलाद्रिजा' ( हेम) मौवींकी और वैश्य पटसनकी मेखला बना कर पहनते मेक्षण (सं० क्ली०) यज्ञीय पातविशेष। यह चम्मच या करछीके आकारका और चार अंगुल चौड़ा तथा आगे मौली त्रिवित्समा श्लक्ष्ना कार्या विप्रस्य मेखला । की ओर निकला हुआ होता है। मेख (हिं० पु.) १ मेप देखो। (स्त्री०) २ जमीनमें क्षत्रियस्य तु मौर्वीमा वैश्यस्य शणतान्तवी ॥" गाड़नेके लिये एक ओर नुकीली गढ़ी हुई लकड़ी, (संस्कारतत्त्व) खूटा। २ कील, काँटा । ३ लकड़ीकी फट्टो जो यदि मुझतृण न मिले तो कुशकी मेखला बना कर किसी छेद में बैठाई हुई वस्तुको ढीली होनेसे रोकनेके पहने, आजकल उपनयनके समय प्रायः सभी जगह लिये इधर उधर पेशी जाय। इसे पञ्चड़ भी कहते है। कुशको ही मेखला पहनी जाती है। घोड़े का लंगड़ापन जो नाल जड़ते समय किसी कीलके "मौज्यभावे कुशेनाहुन्थिनैकेन च त्रिभिः।" ऊपर दुक जानेसे होता है। (कौर्म उपवि० ११ अ.) मेखड़ा (हिं० स्त्री० ) वाँसकी वह फट्टी जिसे डले या ११ होमकुण्डके ऊपर चारों ओर बना हुआ मिट्टो- झावेके मुंह पर गोल घेरा बना घर बांध देते हैं। का घेरा। •