पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१६७

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मुसलपानधर्म . घृणित पन्थका अवलम्वन किया था वही भविष्य मह-1.लामका अलम्बन किया था । धीरे धीरे उन लोगों के म्मदीय सम्प्रदायके अधःपतनका कारण हुआ। भुजवलसे तथा भिन्न देशीय महम्मदीय शिष्य सम्प्रदाय- . महम्मदने मदीनामें रह कर अपने नवीन मतसे जिन | के औद्धत्य और जिघांसासे पास पासके देशोंके अधि- .सव कठोर नैतिक उपदेशोंको विधिवद्ध किया था उस वासिवृन्द इस्लाम धर्म ग्रहण करनेको बाध्य हुए थे। का.पालन करना असुविधाजनक समझ कर ही मदीना इस प्रकार क्रपशः स्पेनसे ले कर पूर्ण चीन साम्राज्य बासी उस समय उनके विरुद्ध खड़े हो गये थे। मूर्ति तक मुसलमान जातिके विस्तारके साथ ही साथ इस- पूजकोंने एकेश्वरवादरूप कठोर कल्पना और उस समय लाम धर्म सुप्रतिष्ठित हुआ था। प्रचलित सामाजिक आचार व्यवहारके ऊपर उन्हें हस्त- उक्त सुविस्तृत मुसलमान साम्राज्यमें इतने थोड़े क्षेप करते देख उनके प्रति तोव कटाक्षपात किया था। समयके अन्दर प्रतिपत्ति लाभ करके भी इस्लामधर्म धीरे धीरे मतभेद होनेके कारण आपसमै धनघोर लड़ाई | क्यों नहीं स्थायित्व लाभ कर सका, इसका ठोक ठीक छिड़ गई । महम्मद देखो। कारण बतलाना कठिन है। किन्तु उन्नतिके वाद अव- • महम्मदने प्राचीन कुसंस्कारको दूर करनेके लिये नति खभाव-सिद्ध है। महम्मदने ईश्वरकी ऐकत्व और , अरववासीको वहुविवाहनिषेध, एकदारपरिग्रह, पूर्वतन नियन्तृत्वको कल्पना की थी। उसमें वित्त आरोपित सम्पर्काविरुद्ध विवाह-प्रथाका संस्कार, पत्नी आदि पारि- न होनेके कारण हेत्वामासका कारण हुआ है। निगु-ण वारिक रमणियोंको ऐश्वर्याभुक्त कर उत्तराधिकारीको पुरुषार्थ के सत्त्व, रज और तमः ; सगुण ईश्वरके ब्रह्मा, समर्पण आदि कुप्रथा दूर कर दी तथा विषयके विष्णु और महेश्वर तथा ईसाइयोंके -Father, the son उत्तराधिकारित्वके सम्बन्धमें रमणियोंको पुरुषसे आधा और the Holy ghosts यही बित्व ईश्वरशक्तिका परि- अधिकार प्रदान किया। इस प्रकार कुछ संस्कारोंको चायक है। महम्मद के ईश्वर अद्वितीय, आत्ममय, महान, उस समयका महम्मदीय सम्पदाय ग्रहण करनेमें वाध्य | अनिर्वचनीय और पवित्र हैं । परमेश्वर जव पवित्र हुए, हुआ था। किन्तु इसके अलावा विरोधी मत ही प्रथम तब वे किस प्रकार तदाकारमें गठित मनुष्यादिको छोटे- विवादका कारण हुआ था । तायेकवासी तकफाइट से छोटे पाप कार्यमें लिप्त रहना पसन्द करते ? उपयुक्त • जातिकी सामाजिक शिथिलताको प्रश्रयप्रार्थनाके प्रसङ्ग- प्रायश्चितको छोड़ कर किस प्रकार पाप दूर हो सकता ? . में उसका उल्लेख देखा जाता है। होनाइन-युद्ध के बाद पापमुक्ति के कारण इसलामधर्म ग्रहण यदि खर्गलाभका . • तकफाइट दूतने जव मदीना आ कर मद्यपान, रब्बादेवी- प्रशस्त पथ निर्देशक हो तथा उस सम्बन्धमें भगवान्का की मूर्ति स्थापन आदि इस्लामधर्मके विरोधी कुछ विचार यदि उपेक्षाका ही विषय हो, तो ईश्वर-कल्पनाको • पूर्वतन अत्याचारीका अनुष्ठान करनेकी इच्छा प्रकट की, अवश्य ही भगवच्छासनपद्धतिका विरोधो स्वीकार तव महम्मदने मुक्तकण्ठसे उसे मना किया था। पीछे करना पड़ेगा। अतः इस प्रकार - भगवान्के क्षमालाभ- स्वयं महम्मदने ही अपने कठोर नीतिमार्गका अतिक्रम कर की प्रत्याशा नहीं रहती तथा उनकी. शासन-शक्तिका मानवके भोगसुखका द्वार खोल दिया था। उन्होंने अनुध्यान करके भो हम लोगोंके मनमें किसी , भय वा . स्वयं १८ विधवा और सधवासे विवाह कर मनुष्य भक्तिका सञ्चार नहीं होता । महम्मदके.. धर्मप्रकरणमें जीवनको कामप्रवृत्तिकी निवृत्तिकी साधन किया था। ऐसी युक्तिकी गम्भीरता न रहने तथा...वह दमूल स्वगीय मधु और. मद्यक हदका छायावलम्वन कर पार्थिव न होनेके कारण स्वगीय चरित्र एवं देवसमाज ऐसे • मदिरा पान द्वारा महम्मदीय वीरोंने अपने अपने तृषित . असंश्लिष्ट भावमें समावेशित हुआ है, कि. बह- अन्धों के हृदयमें शान्तिवारि ढालनेकी शिक्षा दी थी। इस प्रकार लिये बिलकुल सुन्दर मालूम होने पर भी वह दुरदशीकी नाना विषयोंमें प्रश्रयप्राप्त हो अज्ञ और अन्तःसारशून्य तीक्ष्ण और गम्भीर दृष्टिसे अयौक्तिक..तथा..पौर्वापर्य .. निभीक अरवघासीने अर्थलोभसे तथा डरके मारे इस्... सामञ्चस्यविहीन कहा गया है .1. ज्ञानी मुसलमान