पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१५१

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मुसलमान माताके कुलको मर्यादा पाता है। वह अपने खान्दानकी । ६ वैकाली और वाखो-गल्ला वेचनेवाला, बढ़ई और विवाहिता स्त्रीके उत्पन्न पुनकी वरावरीका नहीं होता। लुहार। ७ वेदिया और नर-ये चमारोंकी तरह हैं। धनहीन असराफ अपने घरमें कार्य करनेमें असमर्थ | ८ वेहरा-कमकर या कहार जातीय या वेलदार-चाण्डाल हो कर धनवान् अजलाफोंके घर अपनी इजत सौंप रहे | द्वारा उत्पन्ना, नूनियाका काम करनेवाला यानी मिट्टी हैं। धनके जोरसे अजलाफ असराफोंको हाथमें कर खोदनेका काम करनेवाला या पाल्की ढोनेवाला। उनकी कन्या लेने लगे हैं। इस तरह धीरे धोरे धनी वेसाती और भगवानी । १० भाड़ और पंवरिया। अजलाफ, संग साथ कर असराफोंमें मिल गये हैं और ११ भाट। १२ भटियारा। १३ भातिया । १४ चक- जुलाहे शेख सैयद कहलाने लगे हैं। लाई, चौदाली, दतिया, दोहरिया, माहोफरोस, माहीमाल, बङ्गालमें ब्राह्मण और कायस्थोंमें कुलकी क्रिया द्वारा निकारी और पाझरा । १५ चम्वा । १६ चटकी-चुरी- जैसे वंशगौरव-वृद्धिकी चेष्टा देखी जाती है, वैसे ही दार। १७ छत्ना-यालो तैयार करनेवाला, १८ उठेरा मुसलमान-समाजमें खान्दानकी ऊंचा करनेकी चेष्टा जैसी जाति। १६ चिक् और फसाई। २० चूड़ीवाला देखी जाती है। सिवा इसके सामाजिक आभिजात्यकी | और लहेरी। २१ दफादार और नलिया। २२ दफाली भी इनमें जोर दिखाई देता है। हिन्दु-समाजकी तरह और नगरची । २३ दाई और मेहना। २४ दरजी। इनमें भी जाति-विचार मौजूद है। ऊंचे दरजेके मुसल- २५ धावा । २६ धोवी। २७ धुनियां। २८ फकीर। मान नीचे दरजेके मुसलमानोंके साथ उठना वैठना या २६ गदी या धोपो। ३० तुर्क नाऊ। ३१ हिजड़ा- एक साथ बैठ कर खाना पीना पसन्द नहीं करते। नाचगानकारी (पंवरिया श्रेणीका दूसरा रूप)। ३२ ___ इस समय वङ्गालमें मुसलमान जातिके जो सब दल | जुलाहा। ३३ कागजो ( कागज तैयार करनेवाला )। मौजद हैं. उनके नाम नोचे लिखे जाते है। उनके कार्यो ३४ कलाल (मद्य बेचनेवाला )। इनका राङ्गो भी नाम से हो उनकी वंशमर्यादाका परिचय मिलता है। है। ३५ कालन्दर और मन्दारिया (फकोर)। ३६ • १ आवदाल या डोकले–यह देशी दुसाधोंकी श्रेणी- कान । ३७ कसपी, वेश्या, मालजादि, तवायफ। जातीय में गिने जाते हैं। झाड़ दार, दाई, वर्जानदा आदि नीच दलमें न रहने पर भी साम्प्रदायिक पेशादारों में इनकी 'कार्यों द्वारा ये जीविका अर्जन करते हैं। मुसलमान गणना होती है। इससे ये स्वतन्त्र जातिकी हैं। ३८ समाजमे ये वेदिया समाजमें गिने जाते हैं। ये मसजिदमे फाजी-मुसलमानोंके शासनकालमे मजिप्टरका काम जा सकते हैं, लेकिन खुदाकी इबादत करते समय लोगों करनेवाला काजी कहलाता था। उन्हीं काजियोंके वंश- में मिल नहीं सकते। धर। खां-उच्च खान्दानको उपाधि । नाना २ अफगान-अफगानिस्थानकं रहनेवाले पठान है। स्थानमें मजुमदार, ठाकुर, विश्वास, चौधरी, राज आदि ये वैदेशिक होने पर संयुक्तप्रान्त तथा बंगालमें इनका भो मुसलमानोंमें उपाधि दिखाई देती है। मालूम होता उपनिवेश है। . है, कि ये हिन्दूसे मुसलमान बनाये गये हैं। राज- ३ आजात, अजलाफ, नस्या, नव मुसलिम्-ये सभी वंशधर मुसलमान अपनेको राजव शो वतलाते है। निम्न Jणीके हिन्दुओंसे वनं मुसल्लोंसे संगठित हैं। ____३६ खोजा, खाजा या वणिक् श्रेणोसे अलग है। दक्षिण बंगालके पाद और चाण्डालगण इसलाम धर्म खोजाका अर्थ है खोजवा या अण्डविहीन । पञ्जाव स्वीकार करने पर अजलाफ श्रेणाभुक्त हुए, उत्तर वंगाल- प्रदेशके सुन्नी सम्प्रदायके आगा खां शागिदाँका सम्प्र- के राजवंशी और मेच जातिवाले नस्या और विहारी दाय इसो नामसे मशहूर है। ४० ते लो-तेल पेरने. निम्नश्रेणीकं हिन्दू नव मुसलिम्के नामसे पुकारे जाते हैं। वाली तेली जाति । ४१ कुजड़ा यानी शाक सब्जी ४ आखन्दजी या खन्दकार-मुसलमान मुर्रिस।। बेचनेवाला। ४२ मालो, ४३ मल्लाह । ४४ पल्लिक ५ भातशवाज,-अग्निकोड़ा-कौतुकका बनानेवाला। अलाउद्दीन गोरोके सेनापति सैयद इब्राहिम एक बार