पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१४९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१४६ मुसलमान वर कन्याके घर खोलता है। इसके साथ साथ कलशे-। साथ भोजोत्सव और नाच गाने होते रहते हैं। अन्यान्य को मिट्टी हटाना और 'हातवर्तन पंच जुमागो आदि देशाचार और लौकिक व्यवहार कर विवाह करनेमें लग- लौकिक क्रियायें की जाती हैं। भग १ वर्ष हो खतम हो जाता है। महम्मदकी आज्ञा, कुरान, और इस लामी साराके बड़े आदमियों और मध्य श्रेणोके लोगोंमें विवाह अनुसार बार से अधिक विवाह निषिद्ध है। लेकिन | करने में ११ दिन लगते हैं। पहले तीन दिन हल्दी लगाने- वहुतसे आदमी इस नियमको न मान बहुक्से विवाह | का काम, चौथे दिन मेंहदो भेजना, पांचवें दिन कन्या. कर लेते हैं, नघाव टिपू सुलतानने ६०० रमणियो'का के घरसे वरके घर मेंहदी और हल्दोका मेजना, वें दिन पाणिपीड़न किया था। कन्याका पात भिन्नत, वें दिन वरके, वें दिन (मट- मुसलमान धर्म-ग्रन्थों में १४ विवाहों कि मनाहो फोड़) कलसेकी मिट्टो, तेल गड़ाई, विवियान और है।०१ मां, २ दरमाता या सौतेली मां, ३ बेटी, ४ रुविवा बूढ़ी चे दिन दहेज, १०वें दिन झोल फोरना, ११वें वेटो, ५ वहन, ६ फुआ, ७ खांला यो मौसी, ८ भाई स्त्री दिन निकाह और जिलया। इसके दो चार दिन वाद ६ भाजी, १० दूध पिलानेवाली दाई, ११ सहोदर वहन, कंकणका खोलना, हाथ-वर्तन और साधारणतः पांच १२ शास. १३, पतोहू या पुत्रवधू और १४ शाली । पत्नो- | दिनके बाद जुमागो होती है। यदि समयको कमी हो, के मर जाने पर शालोसे विवाह हो सकता है। इनमें | तो एक दिनमें हो हरेक घण्टेमें एक एक काम किया जा चाचाकी लड़कीसे विवाह कर लेना बड़ा ही गौरवान्वित सकता है। है। इस सम्बन्धकी पुष्टि करनेवाली एक कहावत है:- विश्वास। "चाचा अपना, चाची पराई, चाचीकी वेटीसे सादी | ये भूत प्रेतोंमें विश्वास करते हैं। भूतों और बुरे खुदाई।" ग्रहोंकी शान्तिके लिये ये ताविज भी बांधते हैं,। इसके इन लोगों में भी पत्नीत्यागकी प्रथा है, 'तलाक- | लिये ये मन्त्र आदिका भी प्रयोग करते हैं। वपान-इ-तालाक-इ-रजाई और तालाफ इ-मुतल्लाका'- भौतिक तत्त्व देखो। इन तीन प्रकारसे पत्नीसे सस्यन्ध विच्छेद हो) बङ्गालमें शेख, सैयद, मुगल, पठान-ये चार श्रेणी- सकता है। विधाहके समय दान दहेज जो मिलता के मुसलमान हैं। ये सम्भवतः उत्तर भारतसे यहां है, उसका आधा विवाह तोड़ते समय लौटा देना हो युक्ति आये थे। पश्चिमोय मुसलमान-समाजमे अरवी शेख, युक्त है। तलाक देने पर भी उस स्रोसे फिर विवाह और अलोके वंशधरगण सैयद नामसे परिचित हैं। कर सकते हैं, तलाक -इ मुतलकाके मुताविक जो स्त्री | किन्तु बङ्गालके आदिम अधिवासियों. जिन लोगोंने छोड़ दी जाती है, उससे फिर सहवास नहीं किया जा इसलाम धर्म ग्रहण किया था, उनमें भी शेख दिखाई सकता, किन्तु यदि छोड़ी हुई स्त्री दूसरा भर्तार कर देते । बङ्गालका यह मुसलमान सम्प्रदाय विविध ले और उसे त्याग कर फिर अपने पूर्व भरिसे सहवास श्रेणीके लोगो से संगठित हुआ है। करनेकी प्रार्थना करे, तो ऐसी दशा में वह अपनी छोड़ो। वङ्गालके सुसलमानों में दो समाजिक विभाग हैं-ऊच हुई पत्नोको फिर ग्रहण कर सकता है। श्रेणी और सङ्गतिसम्पन्न दरिद्र भेदसे ये खातन्त्रा मुसलमानों के विवाहकार्यमें जो देशाचार किये दिखाई देते हैं। वैदेशिक खाटी मुसलमान और इस जाते हैं, उनके लिये विशेष समयको आवश्यकता होती | देशके धर्मत्यागो उयवंशीय हिन्दुयोंसे बने मुसलमान है। छोटे दजे के दरिद्र निद्ध नताके कारण कुल-क्रिया | असरफ या सरीफ-समाज और निम्न श्रेणी के धर्मत्यागी ओंको नहीं कर सकते। राजाके लड़का और उमराओं हिन्दुओंसे वने मुसलमानोंसे कमीने और रजोल हुए हैं। के विवाहमें केवल देहमें हल्दो लगानेमें ही प्रायः ६ मही- विहारके नव मुसलिमों उत्तर बङ्गालके नस्या और पूर्व ने वीत जाते है। धनिकों के यहां रोज हल्दी लगानेके । बङ्गालके शेखों की भी इस समाजमें गणना होती है।