पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/१०

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मुद्वर- मुद्रा मुद्गवत् (सं० वि० ) मुद्गविशिष्ट। . इसमें एक शहर और १५० ग्राम लगते हैं। १८७६ ७७ मुद्दष्ट (सं० पु०) वनमुद्ग, वनमूग। - ई०में जो दुर्भिक्ष पड़ा था उससे यहांके अधिवासियोंकी मुद्दष्टक (सं० पु०) मुद्गष्ट खार्थे कन्। वनमुद्ग, अवस्था बड़ी शोचनीय हो गई थी, आज भी सुधरने 'वनमूग।- नहीं पाई है । तालुकका उत्तरी भाग जहां कृष्णानदी वहती मुद्गाद्रवट (सं० पु० ) मुद्गेनाद्गः । वटकविशेष, बड़ा ।। है, बहुत उपजाऊ है। प्रति प्रोममें सुन्दर सुन्दर कुए' - प्रस्तुत प्रणालो-मूगकी दालको अच्छी तरह पीस कर देखे जाते हैं। यहां तरह तरहका अनाज उपजता है। उसका वड़ा बनावे । पीछे उसे तेलमें भून कर चूर्ण करे। एक दीवानी और २ फौजदारी अदालत भी है। उस चूर्णमें हींग, अदरक, छोटी इलायची, मरिच और उक्त तालुकके अन्तर्गत एक शहर । यह अक्षा०१६ भूना हुभा जीरा तथा नीवूका रस और अजवायन डाल २० उ० तथा देशा० ७६८ दक्षिण मरहठा रेलवेके दे। इसके बाद फिरसे मूगको दालको पीस कर एक अलिमदो स्टेशनसे १८ मील दूरमें अवस्थित है। १६७० हांडीके ऊपर किसी दूसरे वरतनमें उसे रख कर सिद्ध ई०में वसरकोटके वर्तमान नादगुण्डाके पूर्वपुरुष पर- करे। जब अच्छी तरह सिद्ध हो जाय तव उसे गोल मन्नाने इस स्थानको वसाया। उनके पुत्र हुचप्पाने यहां एक , बना कर पूर्वोक्त हींग मिले हुए पदार्थमें मिलावे और दुर्ग वनवाया। १७६४ ई० में यह पेशवाके हाथ लगा।' तव तेलमें भूने। इसके बाद उसे कथिता नामक द्रध्य- पीछे १८१८ ईमें वृटिश सरकारने इसे अपने साम्राज्यमें में उतार रखे ( हलदी और हींगको घी या तेलमें भून ले मिला लिया। यहां सव-जजकी अदालत,' अस्पताल पीछे उसमें मट्ठा डाल कर मरिचके साथ पाक करे। और तीन स्कूल हैं। इसीको कथिता कहते हैं।) मुद्र (सं० क्लो०) मुद्रा। इस प्रकार जो वस्तु तैयार होती है। उसीका नाम मुद्रण (सं० पु०) १ किसी चीज पर अक्षर आदि अडित मुद्गाद्रवटक है। इसका गुण रुचिकारक, लघु. ल. न करना, छपाई। २ नियमन, ठीक तरहसे काम चलाने- के लिये नियम आदि बनाना और लगाना । ३ मुद्राङ्कण, कर, अग्निप्रदीपक, तृप्तिजनक, पथ्य और त्रिदोषनाशक । ठप्पे आदिकी सहायतासे अङ्कित करके मुद्रा तैयार .माना गया है। (भावप्र० पूर्वा०) मुद्दा ( म० पु० ) अभिप्राय, तात्पर्य । करना। ४ अक्षर निवद्धकरण ( Typography) मुद्दइया (अ० स्त्री० ) मुद्दई देखो। मुद्रणा ( स० स्त्री०) १ मुद्रण देखो। २ अंगुलीमुद्रा, अंगूठो। मुई (अ० पु० ) १ दावा करनेवाला, वादी। दुश्मन, । मुद्रणालय (सपु० ) १ वह स्थान जहां किसी प्रकार-'. - बैरो। का मुद्रण होता हो। २ छापाखाना, प्रेस। .. मुद्दत ( अ० स्त्री० ).१ अवधि। २ बहुत दिन, अरसा। | मुद्रा (सं० स्त्री०) मोदतेऽनयेति मुद्रक (स्फायितंञ्ची मुद्दती (अ० वि०) वह जिसके साथ कोई मुइत लगी हो, । 'त्यादि उण २०१३ ) ततष्टाप्'। १ प्रत्ययकारिणी, किसीके वह जिसमें कोई अवधि हो। 'नामको छाप, मोहर। २ अंगुलि-मुद्रा, अगूठी। . मुद्दाभलेह (भ० पु०) वह जिसके ऊपर कोई दावा "अथैनां मुद्रामगुल्यां निवेशयता मया प्रत्यभिहिता।" किया जाय, वह जिस पर कोई मुकदमा चलाया . . . (शकुन्तला ६ अङ्क) गया हो। ३ स्वर्णरौप्यादि-मुद्रिका, रुपया; अशरफी आदि । मुद्दालेह ( म०.पु.) मुद्दामलेह देखो। ४ चिह्न; निशान । ५पांच प्रकारकी लिपियों से एक, मुद्दे विहाल-वम्बईप्रदेशके विजापुर जिलेका एक तालुक। टाइपसे छपे हुए अक्षर। ... यह अक्षा० १६१० से १६३७ उ० तथा देशा०७५ "मुद्रालिपिः शिल्पलिपिलिपिलेखनीसम्भवा ।' ५८ से ७६ २५ पृ०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण! गुण्डिकापूपणसम्भूता लिपयः पञ्चधा स्मृताः । ५६६ वर्गमील और जनसंख्या ७० हजारके करीव है। (बाराहीतन्त्र)