पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७५९

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६९० चर पार्टीमिक-मुप पाठपोर' मृतदेववत् गीण, . पशु फोटरगत, ज्योतिलोन पोर दर्गनगलिया काम; - फपान पर मोहन धर्म, मयंदा पोउ घूमना, प्रोठीका विधागक, सणवणे पोर ममयं ममय पर कम्म. जोया फटमा और सूप जाना, जिला शुप्फ नोनाम या कृष्ण गतिका मोच उदरामय. प्रथमाद, दाइ. जरोरका तया उमरे बढ़ानेका मामयं । अत्यन्त पिपामा, प्रायः गैपभाग गोरुल और वात। . .. महा थोड़ा थोड़ा पानी पीना, तन्द्रा. प्रलाप और मायन पापियम्--मुग्न स्फोत, तन्द्रा, प्रताप, बतु उनो का कांपना, यन्त पक्षमाद और यन्त्रणा. मन्य मय लित, नाड़ी दुर्वल, पयवा शोषगरिमम्पय; मुवीन पौर चाचप्य। मन्नत्याग। एपिममेन - प्रजानावस्था, प्रलाप, जिज्ञा निकलनेको फसफरम-तन्द्रा, पोठ सथा मुम्ब शुक और पममयंता, शिधाक्षत, मुप और जिहा शुकता, लोलनेम | रुग्णय, मानमिक मृत्तिका हीनभाव, अल्प प्रनाय, कट, पेट घेदना. कोष्ठकाठिन्य अथवा मर्वदा दुर्गन्ध मोतन यसको अमिनापा, पोत द्रय वमन, दुर्य लक्षा युक्त, माणिक मल, वक्ष और उदरमें प्रियङ्गवत् । पेट खालो मालूम पड़ना । हट, पत्यन्त दुर्वलता। ___कवि उन्नाम-मायविक दुर्यनता, मानमिक विहन्ता, प्रानि का - उदामोनता, निता शुक और मध्यस्वनमें अम्पष्ट कथन, भ्रमि, यिवमि, गातक घोर मुग्न गाम। पांश-चि. मानमिक विद्धन्ला, मर्वान में वेदना चौर ____कनचिका-मुख मा चित, उदर वेदना, उदरा. ठमके दिए पुन: पुन: करवट लेना, शय्या कठिन मालम/ मय, जिप्रा नोलवा गीतन्त निलाम। . पहना, पनिकामे प्रस्राव । जैनमिमियम-सायविक उपमर्ग, मस्तकमें प्रत्यमा, लाइकोपोडियम-मुखयो पीत और मृत्तिकायत भारोध, जिशा पीताभ, न त वा पांशु, सायविक त्य जिला शुष्क, सच और मारत; प्रनाप, तन्द्रा, मुंह दांतोंमें दर्द, पिपामाका प्रभाय । फाड़ कर प्रणाम त्याग, अवसाद, गालोका बैठ जाना; हममलिम-अत्यन्त रानाव, उदरगहर पोर उ6. य.पोन्में वत्त साकार रनाव, मानसिक विशृङ्गला, उपर देगमें वेदना, रक्तस्राव । में गुड़ गुड़ शब्द और भारवोध, एकले रहना होगा। हाइप्रोमियामस-मुग्व स्फोत और राम, पाठ ऐमा भय, मूवम रसवर्ण यालुकावत् पदार्थ, बांये कर जलेसे, अत्यन्त प्रलाप, वाक्यक्ति पीर सागका गाग. घटमे मोनको अनिच्छा, सो कर उठने के बाद पत्यन्त | अत्यन्त चाश्चन्य, शय्यासे फटना और अन्यत्र जानेको प्रदाह, जामको ४ बजेगे ८ बजे तक प्यस्था मन्द। चेटा चतु रक्तवर्ग और कमोनिका घूयमान, पा मारकिरियम-प्रत्यन्त दुनिता, दौतम विकृत | आक्षेप ! .. पालाद, मसूढ़ोमें सूजन और क्षत, उदर और यकदमें 1 • लालमिस -- जिता शक, रक्तवर्ण अथवा अग्रभाग वेदना, धर्म, मम्न मस पोर पीताभ : वर्षाकालमें तथा समावर्ण, मोठ फटे और रक्ताभायु अनैतन्य, प्रलाप, रासको उपमोको हाति। । | मरिणुता, निद्रा बाट उपमर्गका माधिका । रोगों फम एमिर-अत्यन्त उदामोनता, योननको पमिच्छा, मममता कि मैं मर गया होर पनयोटिक्रियाना प्रलाप, पेट में गुड़ गुड़ शब्द, "जलवत् उदरामय, नाड़ो। उद्योग हो रहा है । ।.. दुर्वन और ममय ममय पर स्पन्दनहोनता। ट्रामोनियम-शानहानि, पनयरस कयन, सपना " शासक कार्य-छातीमें भटकन, नाडीमें 'कम्पन उपाधानमे सस्तक उठाना, प्रनाय पोर प्रतिनिक जलपन, चिन्ता चोर चाय नेगग्य, निट्रिम होने पर पुदिन्ता गम्यासे मन्यय जानको इन्सा, दमागकंग, मोठमै साता के कारप जागरण, शुष्क काग, सोन सदरामय और अनानी पनिका, उदरामय, फगयर्ण मन : दार, मानमिक कटा .. यव मोर वाक्गनिका काम. दिना इच्छा मूवन्याग । कार्यो मंजिटेयलिग-मुंग पाण्ड, पोर माचित पलमाटिना--पाकम्पनोगत विधाना, इलता पोर .