पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६३८

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नौनसार वावर-जौहर ५०४ होम-प्रतिष्ठित झाझरो ममनिटका कुछ अंश विद्यमान ! जोशन (फा• पु०) एक प्रकारका प्राभूपाय, जो बाद पर | पहना जाता है। इसके मिवा जौनपुग्में और भी बहुत मी मजिद जोहव (.वि.) शुद्ध-पन् । भवटानयोग्य दयादि । नया समाधिस्थान प्रादि विद्यमान हैं। जिनमेसे हाकिम दया जिला क्रोड, वत, बाह, मध्य सकथि, दोनों पास मुलतान महम्मद को ममजिद, नवाब मशिन को मम | प्रभृति पन समष्टिका नाम ओहव है। जिट, शाह कवोरकी ममजिद, नहोद खाको मसजिद | जोहर (फा पु.) १ रन, बहुमल्य पत्थर । तत्त्व, पोर सुलेमान शाहको कद्र उस खयोग्य है। मार्गश. मार वस्तु। ३ सूक्ष्म चिट या धारियां जो तल. जौनपुरके निकट गोमतोके ऊपर एक प्रमिह पत्थरका वार या और किमो लोहे के धारदार हथियार पर रहती पुल है। यह ०१२ फुट लम्बा है और उसमें १६ गुम्बज हैं। इममे नोहेको उत्तमता जानी जाती है, हथियार लगे हुए हैं। मुगन राजापोंके समय में भीनपुरके थामन- की प्रोप। ४ उत्कर्ष, तारोफकी वात । ५ पात्महत्या, कती मुनोमान १५६८०३ ई०में इस पुनको बनाया प्राणत्याग। 4 दुर्ग में राजपूत स्त्रियोंके जलने के लिए या। पुनको तेयार करने में लगभग ३० लाख रुपये खर्च बनाई हुई चिता। हुए होंगे। प्राज भो जोनपुरनगरमें अधिक बाणिज्य होता है। प्रवन्त पत्र पो हारा भाकान्त होने पोर पराजयको यहाँके गुनाय, जुही चादिक फ लौका पर प्रसिद है। मम्भावना देखने पर राजपूत प्रमुख जातिका पामो. पहले यहां कागज प्रस्तुत होता था, पभो कनके कागज सर्ग। पहले यह प्रथा राजपूतानाके मयं व प्रचलित की प्रतिहन्दितामे यह व्यवसाय लम हो गया है। गोमती यो। अब वे विजयको कोई पाया नहीं देखते, तम नटोको दाहिने शिनारे पर पदालत है। यहां जज योर ! स्लो पुवादिसे विदा ले कर उन्हें प्रचलित पग्निकुण्डमें मजिष्ट्रेट रहते है। गिर्जा, डाक बङ्गाला, कारागार और | मात्मायसर्जन करनेको कहते थे। पोछे थे शान करते पुलिसम्टेशन है। जौनपुरकी नदीके दोनों किनारे चोर पन पर धन्दन कुमाटि पिलेपन, इटदेव स्मरण अयोध्या-रोहिलखण्ड रनवेके दो सेशन है। जिसमें से पौर आपसमें पालिङ्गानादिके द्वारा विदायाप कर उन्म. एक अदालत के निकट और दूसरा शहरके निकट है। तकी भांति रणदेवमें प्रवेश कर युद्ध करते हुए प्राण. यहां स्य निसिपलटी भी है। विसर्जन करते थे। इस प्रकार के भाषण कार्याम बहुतमे जीनसार बावर-युनामान्तके देहरादून जिलेको चकराता | नगर एक दारगो जनगून्य हो जाया करते थे। वियि. • सहयोलका परगना। योको युबके अन्त में ममावगिर नगरक मिवा पोर कुछ • औनाल (हि. स्त्रो०) रयोका खेत । माम नहीं होता था। बनल टाड मायने पपने "राज. मोमर (स.को) जुमरेण निधत्तः जमर-पण् । १३ स्थान" में जयमन्तमेर मेवाड़ आदि स्यानाक होमस्या जमरनन्दित सतिसार व्याकरण । (वि०)२ मंसिप्त- कारी भोपण जोपरका विषय लिखा । जयसलमेर सार व्याकरणाध्यायो, जो मंतिमसार व्याकरण पढ़ते हो।। नब गयो हारा घेर लिया गया, तब मूलराज पोर लोग (हि.पु.) १ नाऊ वारी पादि दोको उनके रतनने पन्त:पुरमें ना कर धर्म पौर सम्भ्रमको रमाके कामके बदले में दिये जानेका अनाज।२ घड़ा रस्सा। लिए गनियाँको शेष सुहाग ग्रहण करने के लिए कहा। सोलाई (हिं. स्त्री.) जुलाई देशो।। रानियां सहास्यमुखमे परम्पर पालिशन करतो कई • भोलाज (हि.पु. ) मति गपया धार मे, फी रुपया। कहने लगो-पाज मत्वं मोक, हम नोगोंकी पावरी तोन पाना। . . . . मुलाकात है. कल फिर स्वर्ग में जा कर मिमंगों।" जोलायनभाना (स.वि.) शुनस्य गोयापत्य - दूसरे दिन मुबह हो भोषण चितानन्त प्रज्यनित प्रा। • • मसात् फस, मसो भारम् । १जनका गोवापत्यविशेष। नगरको तमाम लिया पार बच्चे पादिमायः २४... - २ वह शिमा जाजोसायन रहते , ... ..मायो जरामो दरमें मसारमे पति ए! शिमोके