पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/५६५

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सैनधर्म पिरहसिनता पायामादिपिपासु स्यादा।" पग्निकुमार देवको पालाम करने का मन- . देवाः मर गुरमका अक्षा कोशागारा मयुः । गान• "मो ओ ओ ओ र र र र अग्निमुमार देश भागम", तोपर्यमांनुष्टानादिमेगानु मानिसमा सुतात्पननसय पनम्तर कुण्डको प्रथम मेखना पर १५ तियि देता प्रियापदान पनपानदरपुतियलयको वृदिरात सामोको प्राधान कर उनको पर्य प्रदान करें। मन्त- मोमोनु गान्तिवतु मनु मुहिम पतु पुष्टि में पत | 'ओजी की प्रास्ता नगरमायायुभवादनामित विभिनु काममांगपोसपाः मनु शाम्पन्न पोरगगि पुण्यं परियारः पंचालगिता भाग भागाभा .. पदसा गचं गो गाभियंता स्वस्तिमा चास्तु यः हसास्ते / होत होत स्वाहा।' मके बाद २य मेनुमा घर पर परिवपिन: शर्मियनं या निः प्रशीपमस्तु शिपमनुनमस्तु देवतार्यों का पालन करें और मध्य चदार्थ। ममा एक शिला सिदि प्रयन्नु न: मारा। यत् हो . मिर्फ "चहानिषिदेवता:"के ग्थान पर ". पनमार "जी यस्तये मंगल कुम्भं स्पाग्या सादा" महादेयता" पटें। पगार करको मेखला पर वसीम म मन्त्र का उशारण कर मदान-पन्ना स्थापन करें मोर इन्द्रका प्राधान मोर पूजन करें। मग्य पूर्य यत् हो, जमके निकट म्यालीपाव०, प्रेमपावन एवं पूजा मिर्फ “नयमहदेवता" ग्यान पर "मनुनिहाय और होमक' मामयो करें। फिर "भो ही पांगेशियोः । पढ़ें। तत्पशात छोटो वेदो पर दा दिकपानीका पाधान नमो नम:" कह कर परमात्माका ध्यान करें और "यों कर । जोपमो धरता आमिरमीसितफलदेभ्यः स्यादा" कह प्रनतर "ओहो पातीपागुपहरामि मा र कर परमामाको घध्ये प्रदान करें। सास "भो ही धार स्यालोपाकको फम्न पौर तय नमे भर कर पीने नारसे नमः, यो दमयनाय नमः" म मन्त्रको गठम | पास रग। फिर 'ओं को होमप्यमामानि " . निमें चोर जम्न, दर्भ, गन्ध, अक्षत मादिमें कुगरको कह कर होम द्रव्य मोर " को आरामुपस्थापयामि .. पूजा करें। स्थाहा" कह कर एतपात्र अपने पाम रक । पान म बाट पूर्व कायम नियमानुमार कार्य करना | "ओं की मुनमुपस्करोमि स्याहा, यस्तापन मान अक्षरे. चाहिये । या मिर्फ उन मन नि नाति । पग्नि । मनात पनि यनं पुनस्तानममे निधापन " यह मन्ध पढ़ कर सुचांका म्यापन करने का मन्य-"श्री श्री ओं र अग्नि मंस्कार करें पर्यात् पहले उमें पग्निमें सपा का बोध स्थापयामि साहा।" अग्नि मनाने का मन्य--"वो भी ओ पौर अनमिधन कर फिर तपाय पोर पपने पाम करें। भों पर मिथिए भनि मायुसगं करोनि earer" ना ही मुपसुपरहामि न्याहा" कर कर गुचाकी मार पाचमन करनेका मन्स-"ओsirit '६E | मुवाका मस्कार करें। मी प्रकार "ओ उपमु संपदा सदा" पाणायाम करने का मन्त्र- पामि माहा" कर दर्भ-भूतकमे धोका टासन करें, "ओ भूक या 3 मा प्रापापामं रोमि 'मोही पसिन मादिमि" कर कर साहा।" ओमपुरक परिधिमन्धन करनेका मन्त्र- शाम ट्रयशी पवित्र मनमे लीटर पद का, जो ." नमो नगर स भाप पानीन प्रजा समामि गा" कर करदर्भमूनामे माया माय पूर्णता रणमुदारनिसियनशमि का स्थग करें, 'भों की परमपरिप्राय " का कर रिनाथको पनामिफार्म पवियो (दामको गूठा) भगमन गप, NEH, पुष, पल मदिरा ने 'भोकादशनामरित्राय II" का कर मित गाय छोर खोटे पार निता । योपयोत पाने पावटमें, "ओं को भामा परि खराये। पेरन रोमि " का पग्निक पागे पोर पाच मिह पर तमा नमः मोर घोड़ा चोदा जन हि सदमार नियमितिक इसे पारो तरफ रगना मा। . . . . . ! मम्य पद पर १८ बार हतको पाति व मन-