पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४७९

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१३२ वैनधर्म मयंया ना हो कर कर्मभूमिका प्रारम्भ ६षा ।। युगात पुनरम तोयार पादिमायका जन्म पा! चोद पार नाभिगाके ममयमें ममत कम्पशन्होंने लोगों को गणितगार पन्दःयार, पपहारयामा . नट हो गये थे। पोंकि स्टो के ममयमै कर्म भूमिका व्याकरणात. वियफना नया नन प्रणामका पदाम पारणा याभोगनिम सो मिना किसी व्यापार फगया। मनोरमन लिए गागाविया. नाटक पोर भोगीपभोगकी मामग्रियां बनः (कापतम्यो बारा) मा नृत्यपाला पादिफा भो फुकाल 'प्रचननं पार कर हो जाया करतो यो, किन पप जोधिका लिए व्यापा | पौर महाफर नामक राजानों को कन्या यमलो और गरि कार्य करने को पाययस्ता एई। यर ममय । सनन्दामे इनका विचार हुमाया। यावती गर्भग गुग परियत नफा या। फापोंक नट होने के | भरत चक्रवर्ती, अपभमेनं, प्रगतविजय, महामग, पममा । माय को जल, अग्नि, वायु पाक ग, पृथियो पादिक | वोय, अच्यन, योग, यग्नोर. योपण, गुप मेम, आमन मयोगमे गायों के सकि अा र स्वयं उत्पन्न बादि १०० पुव पोर बाघोसन्दरी नामको एक कन्या पार पढ़ कर फनयु हो गये। किन्तु उम ममय । ई। दूमरी रानो सुनन्दादेयो गर्भ मे मायनो नामक मनु एन वृक्षों का उपयोग करना नहीं जानते थे।। एफ पुत्र पीर सुन्दरीदेवी मामको एक फन्या वापर प्रभा बड़ी प्याकुन हो गई और महाराज नाभिके पाम हुई। पाहयो । महाराज नाभिने उपयोग में पाने वाले शिक्षाका प्रारम्भएक दिन मगयान् पादेयने । . धान्य न घोर फलमो के धान्य और फन्नो मे अपना! । पपनी दोनों कन्यायोंको गोदोमें बिठाया घोर य पार निर्यात करना मिपलाया। और हानिकर पक्षों में दूर ई प्रादि पढ़ाने लगे। इसके बाद उन्हें प्याकरण, पद, .. सपने लिए भी पाशा दो। यरतन पाटि धनाम को न्याय, काभ्य गणित प्रादिको मो गिता दो । यस, यही तरकीय भी मिला। इनके ममय बालकको नामि शिक्षाका प्रचलन धा। इस ममय भगवानने "प्राय: नाम दिग्ना दी। उन्होंने नाल काटने की विधि प्रच भुव" नामक व्याकरणको रचना फो यो सथा और भो लित को। पन्द, पलद्वार पादि गासा समाये थे। पुत्रियों के बाद न कुलकर्गमे किमोको अवधिमान * पोर । पुर्वोको पढ़ाया । यवि शिक्षा मयको ममान मिलो यो; किमीको नातिमारण न होता था। इनमें में प्रति यति, तथापि भरतने नोसिगारमें, भनने मद्रीत पोर मम्मति, घमार, ओमन्धर पोर मोरन्धर इन पांच कुतः | यादनगासमें पनम्तविजयने नियकारो, गायकमा पोर . करान पपराधो मनुको पगाचापका "1" गद कहा याममातम तया मायलीने कामगार, येशकगामा टेमें मायका दण्ड़ दिया था। सोमभर, विमन- धनुदयिद्या. परपोक माणों को जामनेको विद्या धीर वाइम, पशुपान्, यमसान, पोर पभिचन्द्र एन पांच दसपरोक्षाको विद्याम ममधिक प्य पशि मामलो यो। कुनकरीने हा, मा" इन दो गका प्रयोग कर अप नाभिराजके ममयों को धान्य पोर फम्नादि पाप गधियों को दण्डित किया या नया पना चार कुम्नकरांनए थे, उनमें भो रम पादि कम होने मगा। त्रा "er. मा. चिकन सोन भदों हारा टाका विधान हित लिए योरपादेवने फुल पाभाए दो । सदामार किया था। (महापुराणान्तर्गत How , नाभिरानको रन्द्रने सिनमन्दिरीको तथा देग उपप्रदेश, नगर. पोसा माम था महारानी ममदेयो। न गर्म में

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