पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४७०

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'जल-लेवर ४२५ दृष्टि रसवेंगे। प्रत्येक जैनपान में एक एक चियिमक जिम उद्देश्यमे पशाधियों को लेन म्या जाता है, निगुल है। यमित नही होता। पालकममायः देगा माता गुरुनर पपराधियों को कभी कमो निर्जन कारागारम | किलपानी घटत हो दण्डित हि गोमको कुकार्य- रस्ता जाता है। रम ममय ये किमोके माय बातधोन में प्रवृत्त होने हैं। नही कर मयाते घोर किमो पाम ना को नहीं माने। भारतीय अनलानाम माथ्याना नियम पछी गागरिक दगड दिया जाता था पोर कान नफे पनुमा जितना चाहिये उतना प्रययनरी किया जाता। यहां म दण्ड के विरुदकिमो तरपका पाघेदन नहीं सुना जैमयानो में करोश करोध फोमदो ७५ केदी रोगोंगे • जाता था। पोड़ित रहते हैं। पाली राज्यमें प्रत्येक विभाग पोर ___ केटियो मे नाना पकारक कार्य लिए जाते हैं- उपविभागों में एक एक जलपाने धन उपविभागों कोल्न पनागा. तोड़ना, रम्मी बटना इत्यादि । हमने जनमामों को पपेक्षा विभागोजमों में ज्यादा कैदी गयट को पहन प्रामदनो होतो है। सो जाते है । भारतवर्ष कानपुर, पनोगढ़. कनाता, ___ मारमय में योग को दिया के लिए पृथक् नियम | वयाई, मन्द्राज, माहाबाद. नागपुर, जबलपुर इत्यादि । उनको जिम तरह की मुविधा दो जातो , हिन्दुः । स्थानों में जलपान बड़े हैं। ध्यानियोको उममे प्राधा भी नहीं दो बातो। जनावानों जैन ( फा• पु. ) जवान, इरानो या परेगानोका काम। बगेपोय कैदियों को नामिशिता देने के लिये गिता | नवाना ( फा• पु.) कारागार । नि , परन्तु रिन्दुस्यारियों के निये येमा कोई पता माम है। मेनर ( पु.) कारागारका पध्यस लेनका पकमर। ____ योदो उमवालों के लिए टूमरो सरहका बन्दोबस्त जेनाटीन (.पी.).एक प्रकार की घटुन माफ पोर । जिम यानक या बानिकापीको कामनके पिनाफ शदिया मरेम। यह जानवरों के विशेषत: कई प्रकारकी मालियों के माम, इटली, खान पादिको ध्यान कर प्रमुन काम करने पपराधमे सेनमें रगड़ा गया है, उनमे किमी प्रकारक्षा कठिन परियम नहीं कराया जाना। हनके | फो जातीमका पार फोटोपाको पोर विरिया लिए मिडारिम जैनको मंगोधनागार ( Reforinatory | पाहिको मान करने के लिये पंड बनाने में होता। Jail ) करी। अलो. हिप्सी.) यह पोशार जिसमे घाम या भूमा . उगको गिता देने के लिए भेजवानी में शिक्षक नियुल जमा किया जाता है। रहतेमंगोधनागारची ये फन पेट लगाने भेलेपना-हिमानयमें पोमा पय र योनीको घाटो । यर लिए. मिरी यमाने और उन पहफी जहमें नमो पसा. २०२२३. पोर देगा' ५५० मिहिम देने त्यादि कामिनिए उन पाना-पपराधियों को राज्यमे तिचनको उम्मो उपत्यकाको गयो । ममुद्रा गिम्त किया जाना पठमे माई १४८. पुट है। मोरा सिम्या पातु पन्यान्य कैदियों के लिए मे काम न बने हुए मात्र भारतका कारपार पनता है। १. उनका प्राय: पपचयधार होता दियोकोपी (दि.तो.) नेसरी देयो। जिसगा भोप्रम देने का नियम है, यात नावना (kि.कि.) श्रीमना देखो। दिया मना आमा म विभिलेयमार (मिमी.)१ भोप, पान, सीमनवार नियम यह प्रघनिम कि, गोई मनत्याग। भोजन, रमोई। निए शहर मो निशाना नाना-मको मुमीवर (का.पु.) वापर, पनबार, गाना। शोहरीने ममत्याग करते और ए मोपमा घर(frig.) मिममा मिलवामा एक प्रशारदा रायमें साफ करते। | दोपरको रमहा मरा माम प्रधो या HिURRAI Vel, VIII. 107