पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४४६

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ल नागढ़ बसमो मेना 'पौर देवतयोदरको माय ले अनिदर, २ मई विभाग काठियायाड पोलिटिकन एमेसी के वोहिधरम पा पहुंचा। देवेतने देखा कि प्रभो रमे अन्तर्गन जूनागढ़ नामक करत राज्यको राजा रोकनेमे कोई फल नहीं होगा। उन्होंने कोई दूसरा धानो। यह पचा० २१३१३० चीर देगा. ७.३५ उपाय ग देख अपने पुत्र उगको ना कर थानदार पू० राजकोटमे ६० कौन दक्षिण पूर्व कोणमें पयस्थित मामने उपस्थित किया | उग और नोधाण दोनों ममान यहाँको नोकमस्या प्रायः ३४२५. है। उनके थे। नापिगाध थानदारन उगको उमो माय। नागढ़ गिरनार पीर दाहार पर्वतफे नोचे पर्यायत मार गिराया। देवसुन्ध उदारहदयवाने धोदरने एक है। यह भारतवर्ष में एक परम रमयोय नगर गिना विन्दु भी पठपात न को, वान वे गजकुमार नोघाणको जाता है। यहां दूमरे दमो ग्यानीकी पपेशा पधिक सुरक्षित मभझ कर प्रफुल हो गये। उन्होंने अपने जमाई परिमापर्म पूगतत्व पोर ऐतिहामिक रहस्य पाविशत सप्तियोको बुला कर मव बात कह सुनाई पोर चूना ! होता है। गदके मिहामन पर नोघाणको अभिषित करनेका परा. मर्श किया। बोदरकी कन्या विवाद उपन्त धर्म धान __परकोट पर्थात् प्राचीन दुर्ग के अनेक स्थानी दारको निमन्पा दिया गया। उस रक्तपिपासु नरकुल घोहोंम लोदी हुई रुविम कन्दमये देयो जाती है और कलर थानदार भाने पर गुप्तस्थान में पहोरीने निकम दुग को बार के मात्र स्थानाम भी बटुसमी फन्दराये। कर सैन्य ममेत उसे मार डाला पोर इम नर उन्होंने पोदी हुई गुहामे वह स्थान मधुचक परिपत हो गया पापका उपयुप्ता प्रतिफल प्रदान किया। ८७४ सम्वत है। जगह जगह प्राचीन गुहाकासावीप प्राचीन मौधाण जुनागढ़ मिहामन पर बैठे। जूनागढ़ में राय गोरखका परिचय देता है। राज्यका पूग भाय २५ घाचन्द नाम के एक राजा थे। उन्हीं के समय एम वंश नाम रुपया १८ नाम मानगुमारोपाती जमा. यो गजागा "चूधाममा" नाममे पले पा रहे हैं। पूर्वोक्त |द पपनो टकमाती प्रपना हो रुपया टालता है। रायारिभो घटाय में दूसरे राजा थे। मुनिमपानिटियो है। लामाफोडियाकी गुहा पत्यका घड़ाममा राजा मामय समय पर पामपासके । रमपोय है। देखनेहीमे मान म पड़ता है कि यहां पहले देगोको लय करी ये सही, किन्तु माधारणतः जनागढ़ के] दुतमा या तितमा एक मठ था। मम्मर्ण रुपमे पहा तिरिमा पोर किमो मी स्थानमें इनका पधिकार काट कर यह गुहा बनाई गई है, मो दुर्गको रखाक स्थायी न था। निये यत उपकारो है। पूर्व कान में जय घाममा मोटापारीकान्तला) पाटि वंश राजा यक्षा राज्य करते थे, तब एक राजाको स्थानाम संशत भाषामे मिले हुए बहुतमे गितारीख पाये, वानिका दामियो मे उपरकोट पर दो मरोवर पोदे गये घे । यहाँ सुनसान महमूद वेगाने एक ममजिद मिमन्दि ____ गोट रसिधाम म स्यामको पमिनदुर्ग (भमिन- को है। ममसजिद के निकट १ फुट सम्यो या तोर गद) बताया है। कहा जाता है कि कुमार पमिलने | रो हुई है। घाचोकी पाजामे गिरनार ममीप एक दुर्गनिर्माद गय मोने परकोटको कर मारापोर कई बार किया था। यरी दुर्ग उनकै नामानुमा पसिलगढ़ इगे पपने पधिकारमें किया था। उम विपत्ति माय गाममे विख्यात हुपा। म स्यागमे २० मील पथिमम | राजाम म्यानको टोद कर गिरनारके अपर दुर्ग प्राचीन बलभीपुरका व मागेप पड़ा है। अमागको जा कर पायय मले थे। गिरनार दुर्ग पचस दुरारोष गरोनगढ़ गुलाम ART घोमपरिग्राजक युएनयादा है। रमामे गंध गप रमे महोम जोत ग मले। पाये थे। उस समय यह हो . मये। मिन। पमी यह पERT3 निश, पुमा काम. रस्म माया...यमा । गया राज्य कार्य के सिर मत माग धर्म। Fci. III.100