पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३९६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

औषपुण्या-जौवहत्ति ३५५ कर्मधा० । जन्तुरूप पुष्प, एक प्रकारका फल । | रोधमे इन्होंने रागमाला नामक एक सङ्गीतःविषयक जीवपुष्पा (स' स्त्री०) जीवयति जीय विच अच, मीय | पुस्तक की रचना की है। जीवक पुष्पं यस्याः। गृहजीवन्ती, बड़ी जौवंती। जीवराज-१ लघुचित्रालझारके प्रीिना । २ मेत्यश्वरस- जोवप्रिया (म' स्त्रो. ) जीवानां प्रागिनां प्रिया हित- तरङ्गिणीके टीकाकार! ३ एक कवि। इनके पिताका कारित्वात् जोव मोणाति प्रो-क-टाप । १ हरीतको नाम तमराज पौर पितामहका नाम कामरूपमूरि था। हड़।२ जीववमभा, प्रापप्यारी। इन्होंने गोपानचम्प टीका तया सकंकारिका और उसकी जीवबन्धु (म० पु० ) बन्धुनीब, गुलदुरदरिया, बन्ध का। सर्कमञ्जरी नामकी एक टीका प्रपयन की है। ४ परमा. जोक्भद्रा (म. स्त्री०) जीवानां प्राणिनां भद मगल | मप्रकाश वनिका नामक जैन अन्य के कर्मा । ये वह " यस्याः, बहुव्री०।१ जीवन्ती लता । (को०) २ जोवका | नगर (मालपा) के रहनेवाले, खण्डेलवाल जातिके और कुशल, प्राणका कल्याण । ३ जीवशाक, मुसना । ४ | १७६२ सम्बतमें विद्यमान थे। भीषधविशेष, एक प्रकारको दवा। | जोवराम-१ मामग्रीमादके प्रणेता । २ स्वस्तिवाचन जीनमन्दिर (सली : जीवम्य पात्मनो मन्दिर यह । पतिके प्रणेता । मिव । गरोर, देह। जीवला (म. सी. ) ओयं उदरस्थ शमि नाति महाति जीवमाटका ( स० स्त्री०) नोवस्य माटका, ६ तत्। नाययति ला क । आतोऽनुपमगे कः । पा 11 १ मैलो । कुमारी, धनदा, नन्दा, विमला, मनाला, वला और । २ सिहपिप्पली। पदमा ये हो सात जीवमाटका है । 'कुमारी घनदा नन्दा जोयनीक (म पु०) जीयानां लोकः भोगमाधन, तत् । विमला मंगला वला। पद्मा चेति च विष्टपातः सप्तता: जीव । १ प्राय और चेतनविशिष्ट पदार्थीका यासस्थान, मत्य: मातृकाः" (विधान गरिजात ) ये सात देवियां माताशे लोक, भूलीक । ममान जोवोका पालन और कल्याण करती है, इसलिये "विश्रामवृक्षसदृश स जीवनोकः।" ( उद्भट ) ये जीवमाळका कहलाती हैं। "ममेवांशो जीपलोके जीवभूतः मनातनः ।" (गीता) ओवयाज ! म • पु० ) जोय : परभिः याज: याजन यज- २ जोवरूप मनुष्य । पिच भावे पच पशहारा याजन, पशुप्रीम किया जाने "तदा पौरे। भवति औवलोके ।" (मारत धन ३४.) वाला या। जीववती (म. प्वो०) १ चोरकाकोलो, एक प्रकारको जीवयोनि (स'. स्त्री० ) जीवा जीवनवती योनिः, । जड़ी। कर्मधा । मजीव जन्तु, जानवर । ओवरसा (सं० वि०) जिसके बच्चे भीते हों। जोवरमा (म'• को०) जोयोत्पादक रता, गाकत । स्मियोंके जोक्या (म. पु. ) जीवानां वर्ग: ममूहः, ६-तत् । प्राशय गोणित या रजको जो गर्भ धारणके उपयुक्त ! भोवममूर। दुपा हो, उसको जोवरक्त कदमकते हैं । गर्भ के अग्नी जोक्यहि नो (म स्तो) ऋधि। पोमव के हेतु पर्थात् शीत उन दोनों गुणोंक रहनो - जोक्यानो (म. सो.) जोययतीति गोवा प्राणदावी कारपतियों का रज भाग्नेय है। जीवरक्त पापमोतिक | मा चासो वसो क्षेति, कर्मधा। पोरकाकोनो, एक ६ पर्थात् प्रिम पञ्चभूतसे शरीर उत्पव होता है, यह प्रकारको जड़ो।२ काकोदो। उममें विद्यमान है। मागविगिर, तरल, नाल, जीवविचार (म.पु.) जनकि एक अन्यका नाम । धरणगोल और लघु, गोगितके इन गुणोंको की पञ्च- जीवविचारप्रकरण (म• पु०) गानिसरि रचित न भूतोंके गुण कर सकते है। (मुस १४.) नीवरम (मो .) पुष्पराग, एक मधि। मोवविधजलानन्द नाटक मपेता। भोवराज दीजित एक सहीतगारकार । रापयो पनु- सोमहत्ति (मस्त्री .) जोव एव afr:, मंधा ।