पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३६

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नमो दार:- रीति प्रचलित यौ कि. जमीदार पदवी पानेके लिए। कभी कभी सरकार बहादुरको इच्छाके अनुसार दूसरेसे सम्माट्को नजर मेंट करनी ही पड़ती थी। और तो भो बन्दोवस्त किया जाता था और जमोदारको कुछ क्या, जो वंशानुक्रमसे जमीदार थे, उन्हें भी नतर भेट | समय वा हमधाके लिए जागौर अथवा अन्त तम्घा करनी पड़ती थी। कारण शासनकर्त्ताको इच्छा दिया जाता था। निर्धारित राजस्वके अनुसार सूवेदार- अनुसार कार्य न करनेसे नमी दारी छिन जानेका हर के किसी बाब वा सेसं निरूपण करने पर जमोदारके था और टूमरे लोग नजर भेंट करके जमोदारो लेने के मित्र भित्र परगना वा मौजा प्रादिमें उसका विभाग लिए तैयार रहते थे। इसलिए लाभको पाशासे उन्हें कर देनेको क्षमता बङ्गालके जमोदारोंको (१८वों नजर भेंट करनी हो पड़ती थी। शताब्दीके प्रारम्भमें ) दी जाती थी। किन्तु कभी कभी. उस समयके बङ्गालके युरोपीय राजस्व कर्मचारियों के | कौनसे परगनेका कैसा विभाग किया गया है, इस बात. उपयुक्त दोनों थेणियों पर लक्ष्य न दे कर सब जमी- की जांच के लिए और उनके ऊपर किये गये अत्याचारों- दारी को एका थेगोम मिला देनेके कारण, वे जमीदार को दूर करने के लिए सरकारको तरफसे कम चारो भेजे शब्दके यथार्थ पथके समझने में सक्षम थे। इसलिए जाते थे ।.राजखका बन्दोवस्त जितने दिन लिए होता जो टारके स्वपिनामा प्रकाशित था, उतने दिनके भीतर नि रित राजस्व के सिवा जित्तनो होने लगे। जो प्रधानतः प्रथम श्रेणीके जमोदारों पर ऊपरी आमदनी होतो थो, वह जमीदारको मिलती लक्ष्य देते थे, ये समझते थे कि जमींदारीका स्वत्व घशा थी। परन्तु मिर्धारित राजखका हिसाव उन्हें पूरा पूरा भुगत है, पिताकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी उस देना पड़ता था। जमीदारीके भीतर शान्तिमान पद पर अभिषिक्त होते है। परन्तु जो दूमरो श्रेणो पर | होने पावे, इस बातको जिम्मेवारी जमीदार पर थी। लक्ष्च देते थे, वे सोचते थे कि जमोदारो पद राजकीय धे अपराधोको पकड़ कर किसी म.ससमान विचारकको सौंप सकते थे।" पदवी मात्र है, नकि वंशानुगत। किसो किसी जमो । ___जमोदार शब्दका अयं पञ्चम रिपोर्ट के तसारोमें दारको रुपामुकमसे जमो दारोका भोग करते हुए देखा इस प्रकार लिखा है- कर, वे कहने लगते थे कि म मलमानों के समय भारत | "मसलमानोंके राजखकाल में राजस्व महालकी वर्ष के सभा पद कालान्तरमें वंशानुगत हो जाया करते देख रेख, प्रजाको सम्हान और उत्पन्न शम्य माल. थे। ( Field's Introduction to the Regulations | गुजारो वसूल करनेका भार जमोदारों पर रहता था। 29, 30) उन्हें राजस्यमसे १०) २० सैकड़ा कमीशन मिलता दोनों ही पक्षने अपने अपने मत की पुष्टि करनेके | था। कभी कभी भरणपोषणके लिए ननकर स्वरूप लिए नाना प्रकारकी युक्तियां दिखाई है। परन्तु कोई। कुछ मौजों के उत्पन्न शस्यमसे भी सरकार के हकका उन्हें भी युक्ति सम्म ण भ्रमशूना नहीं है। हारिडा टन दिया जाता था। कभी कभी नवीन व्यक्तिको जमों साहबने उस ममयके जमीदारोंकी अवस्थाका इस दारका पद दिया जाता था; किन्तु सन्तोषजनक कार्य प्रकार वर्णन किया है-- " . करनेसे एक हो व्यक्ति पर उसका भार रहता था और "जमींदार प्रजासे कर वसून करते थे। जमींदारी। वह वंशानुगत हो जाता था। कालान्तरमें म सन्न. स्थत्व वंशानुगत था, किन्तु सम्राटको पेशकार और सूवे. मानोंक प्राधिपत्यका झास होने के कारण जमीदार लोग दारको नजर दे कर ही जमो दारी पद पर अधिष्ठित अपनी जमोदारोका स्वत्व वंशानुगत ठहराने लगे पोर होना पड़ता था। जमीदार दाम वा विक्रय करके | शामनकर्ताओं ने भी उस पर हिरुतिन को। आखिरकार अपनो जमो दारी दूसरेको दे सकते थे, पर इसके लिए | बङ्गालके जमोदार महालके तत्वावधायक पदर्भ क्रमशः उन कभी कभी पाना लेनी पड़ती थी। कर वसन्त महालक वंशानुगत स्वत्वक अधिकारी हो गये और अब करनेका बन्दोवस्त जमींदारके साथ ही होता था, पर • Harington's Analysis.