पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३१५

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२८० नावा (यवहोप) जितनी कि माधारणके प्रा लिए धान्य की। यहीप या ज्ञाया पड़ा है। पूर्वा गणादित फीम यहां ना हो च्यादा प्रमिह है। यहां यहमि माबूदाना, सुपारी, फत्या पदाम, इनदी, पदन दया हमे घोर नारियल के पेड़ लगाये जाते हैं। यह पोर पाइनूमकी लकड़ो, चमड़ा, मींग, मोम. पिरियो. उनको दायर मी खूप है। पर. (Birds of Parndin ) या होमा पसी, म पहले माया पाया नहीं पोलादा। १५८१ मे पौरमांमी रानी भी बेहद मोती। . . मलयार उपफूलमे पहले पहल यही कहया लाया गया| जावाम मारतयपके मोंकी हानि हतादि भी पहन था, पर भूकम्प और दाद मा जनिमे गह नट हो गया। हैं। उनमीका पेड़ यहां धड़े यवके माय बढ़ाया जाता पौधे १८ इंगिक जाभिकुन नामक एक व्यशिन है। यहाँक ग्रेग शामको सुम्न मोरपर चबूतरे पर निगम यह कयायी खेती की। नभीमे उमकी खेशी लाभ | जलाते हैं। पहले यिशापूजाके लिए यहां गुरमीशा जनक ममभी जाने लगी और प्रतिवर्ष यमि लाग्डों मन व्यवहार होता था। यहां पुष्योद्यामि चंपा पीर मानतो. फहया विदेश जाने लगा। यह गम्य संग्रह के लिए ४००मे का प्राधुर्य दोप पड़ता । माया मापा पुपको भी अधिक योठिया दूसरा नम्बर ईखका है। ईखको मौन्दर्यको प्रतिमा कहा गया है। मुमनमानीक प्रादुभायमें भी यहां काफी उपज है। सीमरा नम्मर चायका है। देयता तो कृय कर गये, किन्तु तो भी पूरे पनि 'यम' नामक एक व्यलिने पहले परन्न यही चायको | गमुद्रगीकरयाही ममौरणमें प्रपनी सुगन्धि फैलाना मही पती की थी। यह सिद्धोना'को वेतो भौ जूध होती छोड़ा। जिन फन या फूलों को पुराकानमें प्राण है। तम्बाफूफी तो प्रायः मर्यव ही होती है। सदिर प्रोपनियिकगण भारतवपसे ले गये थे, ये पर भी यहां ( शिरि ) और वासुकि नामक स्थान तम्बाकू के लिए । संस्कृत नाममे परिचित है। दाडिम यहाँ पधियामियों ममिव । लिए उपादेय फन है और वहां मी नाममे प्रति । ___समा होने पर भी जाके किसान उस मम्पदके | इमलीका पड़ भो सर्वत्र पाया जाता है। योग पधिकारी वा हिम्मेदार नहीं होते ; पोंकि यूरोपोय, पनवासको "मङ्गल" कहते हैं और यहाका मारा प्रभुपोंको कपागे यहां कुछ मो रहने नहीं पाता-थे। यह कर उसको व्याख्या करते हैं। किन्तु यासाय मम्स ही अपने देशको रवाना कर देखें है। इसलिए वह बङ्गालका फल नहीं है। जाया पाम पर काम किमान वैधारे भारतीय किमानीको तरह ही दुदंगाग्रस्त | दा होते हैं। पच्छे पाम मिर्फ सुलतान में उद्यानम रहते हैं। पहले यहां नीली रोती भी खूश होती थी। पाये जाते हैं। पन्यान्य स्थानोंम मिफ नाली पाम किन्तु वैज्ञानिक कि पनुप्रयमे उत्पीड़ित रुपफफुलको | होते हैं। यमालकी भौतिक यहां दो तर कटार धीरे धीरे सबवली नीलपानी के करात य यलमे पुटकारा यहद होते हैं। यहां मोग इमे 'पम्पादक' करन मिल रहा है। यहां बारहो महीने कटहर मिन ए चोर दाम भी पहन आया दीप फन्न-मून के लिए प्रमि। नामाप्रकार फाम है। यह मारतवर्षमे यहां माया गया किना के पुटिपर मून यहां 'मलते हैं। जीरा पोर ककड़ी रमका पाझार यत यहा। यहां मरण तर मी यहां येहट पैदा होती है। यहां के ममालकी प्रमिडि पाये जाते हैं। जाया भाषामें नीदको 'जारक' फरी। गमगे मन परामक प्रायिती, आयफन, नायचा, यायियाफा नी परिषी भी मिः ! दारनीती मिपं पददगे यादा पदा मोती और साद मन्तराम भी यद कर रोता है। योगदान मोग रामसी भी पूरा होतो"। मनीश और पायी भी, रमे 'याताय' ( Hatarin ) का युरोपा मोग. फमन होगी। गे पोर जोगी दायर घोड़ो ६ मै यह पानन्दमे मारी। पायल विनाका अनुमानो या ययागती झापा पनेक प्रकार के अन्य या आमुन पाये जाने । atधिक होती थी. सभस मीलिए रमा माम| पोर पे 'मम' नाममे भी मिा गाभारत, '