पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/३०

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जमशेद-कुतुब-शाह-जमात भारत, चीन प्रादि नाना देयों में भागते फिरे । उहाकके | जमाई (हिं. पु.) १ जामाता, दामाद जवाई । (स्त्री) कर्मचारियोंने मी इनका पीछा न छोड़ा, आखिरकार ये | २ जमनेकी क्रिया। ३ जमनेका माव। ४ नमानेकी कैद कर लिए गये । कैदी अवस्थामें इनको सिरीयराजी क्रिया । ५ जमानेका मावा ६ जमानेकी मजदूरो। 'पास भेजा गया। अन्तमें सिरीयराज के प्रादेशानुसार इन्हें जमाखुर्च ( फापु०) भार और व्यय, प्रामद और खच । दो नावों के बीच रख कर आरसे चौर दिया गया। जमाजता (हि स्त्री०) धनसंपत्ति, नगदी और माल । विध्वस्त पाशि पोलिस् नगरमें पत्यरके ऊपर जो राज | जमात (जमापत, प० सी० ) १ येणो, कक्षा, दरजा । सभाका चित्र खुदा हुआ है, वह बहुतोंके मतसे जम. २ वहुतसे मनुष्योंका समूझ या गरोह । शेटके नौरोज उत्सवका सापक है। जमशेदके विषय में जमात-बहुतमे मन्यासी मिल कर जो एक जगह रहते पारस्य में नाना प्रकारके अलौकिक उपाख्यान प्रचलित हैं। या तीर्य पर्यटन करते हैं, उस दलको जमात कहते हैं। . २मुसलमान लोग डेभिदके पुत्र सलोमनको भी इनमें कार्य निर्वाह के लिए महन्त, पुजारो, कोठारो, जमशेद कहा करते हैं। भण्डारो, कारबारी, हिसायो, कोतवाल, चौकोदार और जमशेद कुतुबशाह-गोलकुण्डाधिपति कुन्ति कुतुबशाहके | तुरोवाला प्रादि कर्मचारी नियुक्त रहते हैं। इनमेंसे पुन । पिताको मृत्य के उपरान्त १५४७ ई० के सेप्टेम्बर | महन्त समस्त विषयों में प्रधाचका काम करते हैं । पुजारी माममें ये सिंहासन पर बैठे थे। १५५० ई में इनकी | विधिके अनुसार दत्तात्रेयकी चरण पादुकाकी पूजा करते मृत्यु हुई थी। हैं। कोठारो खाने पीनेको चीजों को सम्हालते हैं। जमशेदी-भारतके पथिम प्रान्त मुर्घव नदीके किनारे पाचकको भण्डारी कहते हैं, उनके ऊपर राधने और रहनेवाली पारसियों की एक जाति। ये लोग अपनेको परोसनेका भार रहता है। कारबारो अर्थात् कोपाधाक्ष, पारस्यराज जमशेदमे उत्पन्न बताते हैं। इनका पाचार• ये जमातके धनको रक्षा करते हैं तथा आवश्यकतानुसार व्यवहार और रीति-नीति तुकियों के समान है । ये एक | खचके लिए रुपया पैसा दिया करते हैं। हिमायी रुपयों. जगरना पसन्द नहीं करते। अज्ञाकुली खान इन का हिसाब रखते हैं । कोतवाल महन्तको प्राचाके अनु. लोगोंको पारस्यसे भगा दिया था। ये खिवा पा कर | सार कर्मचारियोंको नियुक्त करते और उनके कामको पोके तकियों के अभ्य दयके समय ये फिर देखभान्त रखते हैं। चौकीदार जमातके तेजस. निसान, अपनी पत्रिक जन्मभूमि मुर्धवमे चले आये। .. | डम प्रादि चोजों को रखवालो करते हैं tar • ये लोग तातारीकी सरह सरकण्डे के ऊपर कम्बल बजा कर जमातका गौरव बढ़ाते हैं। इन समस्त कार्यो में धेर कर तिरछा तबू बना कर रहते हैं। इनका .मि सन्यासो ही नियुक्त किये जाते हैं। कभी कभी पहनाया और खान पान सब तुकियों जैसा है । ये घोड़े। योगी परमहंस आदि अन्यान्य शेव एदामीन भी इस 'पर सवार होने और युद्ध करने में बड़े चतुर होते हैं। ये दलमें शामिल हो दालको पुष्टि किया करते हैं। आदमी पकड़नेके कामम बड़े निपुग्प है। अब भो ये हरिद्वार, प्रयाग, उन्नयिनो, गोदावरी आदि तीर्थ. लोग प्राचीन पारसियोको तरह अग्निपूजा करते ओर | -स्थानमि कभी कभी बहुतमे ज़मात इकट्ठ', हुआ करते पूर्व हारी बनाते हैं। है। बड़ोदा, नागर आदि स्थानोंमें बड़े बड़े जमात हैं। जमा (अ.पि.) १ एकल, इकट्ठा । २ जो जमानतको | उस जगहके हिन्द, राजा उनसे पानफुल्य रखते हैं। तौर पर या किसी खात में रखा गया हो। (स्त्री.)। । जमातक फिमी भी संन्यासीकी मृत्यु होने पर, वे मलधन, जी।। धन, रुपया पैमा। ५भूमिकर, उनको दाह क्रिया नहीं करते। वस्ति मिट्टी में गाड़ देत मानगजारो, लगान । ६ मदालन, जोड़ । ७ बही प्रादिका) या पानी में बहा देते हैं। इसको मृत्समाधि या जल- वह हिस्सा जिममें आए हुए माल वा धन आदिका ब्योरा समाधि कहते हैं। इसके उपरान्त तीसरे दिन उसके लिखा हो। उद्देश्यमे रोठमोग (घो, पाटा और चीनी मिथित ऐक Vol. VIII. 7