पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२९६

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नाम्ववि-जायन • जाम्पयतोका यीकरण के माय विवार दुपा था। की प्रदक्षिणा देता था उत्तरकुनमें प्रयादित होता ( त) । अम्मरमर पोनिमे शम्य झोपवामियों के पन्न:रमें २ जैन शास्त्रों के अनुसार विजयाको दविनय गोम : गान्तिका मचार होता है। विधामा पोर बदायका कट मियम जम्बूपुरकै एक विद्याधर राना। इनको प्रधान दूर हो जाता है। मगर देवोका भूषण आम्म मद महियोका नाम गिवचन्द्रा यो, इन्हीं के गर्भ मे जाम्बवतो नामक पति उत्तम कनक उत्पन होता है। उत्पबाई घों। ये रामचन्द्र के समय महीं। बल्कि (मारस पारित) उममे यत पीछे हुए ( हरिवंश ४ मुर्ग) धतरेका हातमा भाम्बयि (म.पु.) जास्ववान् । वज, बिजलो। जाम्ब नदेगारो (मो०) भाग्य नदो , गत्। जाम्बवो (मं. स्त्री०) जाम्वयं तदाकारोऽन्त्यस्याः प्रम देवोभेद, जाम्प नदको अधिठानी देयो। डीप । नागदमनोहन, नागदोनका पेड़। जाम्योतो-१ सम्बई प्रेमिडेग्मो के अभाग न घेलगांव जिनका जाम्बवोठ (म० लो. ) आम्पमिव पोठोऽस्य । वनदध एफ पहाड़। यह पहाड़ पेन रगे शेष . मोन करने का सूक्ष्म पत्रमद, एक प्रकार का छोटा पत्र जिममें दक्षिण प्रथरिया पोर मयाट्रिमे पूर्व सविस्मर फोई पादि जलाये जाते हैं। इसका हमरा नाम २ उता येलगोय मिलेका एक छोटा गरयह जाम्बीठ और जम्बोट है। वैनगाधने १८ मोम दक्षिण पशि पयस्थिम पर नाम्पार (सं० की.) अम्बीरस्य फल लघोर प्रण। गहर दो मामि विभता है। एक भागका नाममा जामोर फल, जमोरो नीबू । नम्मर देखो। पोर मरका पेट पयवा बाजार । कम पोर ठमें जाम्बुमाली-जम्मुमाली देयो। १मोनका फामना । यह पहने महाराष्ट्र मरदेगार साम्यवत् (सं० १०) जाम्बवर प्रपोदरादित्वानिपातः । यो पधिकारमें था। म ममय रगको पायरया पाम: ऋनराज। जामशान देखो। पाम नगरी में बहुत कुछ स्वस यो। मरदगाई पपनो माम्बूनद (सं• को• जम्बुना मर्ष रवगा । १ सुवर्ण। दावतो जमींदारी पर न्यायमगत पधिधार मिट न कर या सुवर्ष अम्बूनदमे उपव होता है। मेरुमन्दर के पोर इसीलिए गयर्नमेटने उनको दारो जप्त पर्यत जम्बू इतके फलके रममे जो जम्यू नामका एक कर लो । गपन मेएट ने उन्हें दो ग्राम दिये पोर वार्षिक मद तात्र होकर साहतवर्ष में प्रवाहित हो रहा है ....को हत्तिका बन्दोवस्त कर दिया। यह उमके दोनों किनारे को मिो शम्य रम है ममर्गमे यायु। मंगलवारको हाट लगती है। जाम्योतोके पाम पाम पौर सूर्य की किरणों द्वारा विपाचित हो कर मरूप, जंगली में गिकार घहत ३. गेर तो पकमर देखनम परिणत हो जाने के कारण का यह नाम पड़ा है। पाते। ( भागमन ) महाभारत निषा २-उतारु देश मानोठ (स. सो.) शाम्ममिव पोष्ठोऽस्य । भद्राग्न नामक एक प्रधान वर्ष है तथा मोल पर्वत। जाम्पयोर देगे। दक्षिण पर निपक्ष उत्तरमै सुदर्शन नामका एक, जायक (मो .) यति पर गन्ध नितम । मनातन जम्न है। इसलिए यह स्थान जम्यूटी पर । कानीयक, पोमा पन्दन । नाम ममिल है। यह हम सभी को घभिनपित फल लायका (फा• पु०) म्याद, सरस, पाने पोनेकी मोनीका देता पौर सिद्धपारण पादि सर्वदा रमकी मेया किया मज़ा। करते हैं । यह रगतमहन योजना इसके सायकदार (फा.वि.)मादिर, मदार, मोखाने या फ्रमको नामा २५. परविम पर गिरने पर पीने उमदा । . भड़ा भारो मद साम फलमे शुषः अमा रमायशा ( फा. पु.) मनो, प्रायो। निकलता है और वामदो रुप परिपत होकर समेहत्र (प.वि.) या, पित, मुमामिय, पालिक ___Vol. VILL 66