पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२९५

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२६.. जामित्रवेध जाग्यवान् जामिनयेध ( म० पु. ) विध्-घञ् जामित्रस्य वेधः, ६-तत्।। यह पहाड़ देव और तुङ्गाई इन नदियों के बीच उत्तर शुभकर्म विषयक ज्योतिषका एक योग। यदि कम- | दतिपमें विस्त त है। इसकी सर्वोस गिपरका नाम . 'कालीन नक्षत्र घटित राशिमे सातवौं राशिमें सूर्य मा शनि | घेतलिङ्ग शिखर है, जो समुद्रपृष्ठसे ३२०० फुट तथा अथवा मङ्गल रहे, तो जामित्रवेध होता है। किमी | जाम्म शृङ्गसे १८६० फुट ऊंचो है। किसीके मतमे सातवें स्थानमें पापग्रह रहने पर हो जाम्बव ( संकली. ) जम्वाः फलं अए । जम्मा वा। पा जामित्रवेध होता है। इसमें विशेषता यह है कि, चंद्रमा | 11१६५ । इति प्रण तमाावधानात् न तुझ् । यदि अपने मूल त्रिकोण या क्षेत्रमें हो, अथवा पूर्णचन्द्र १ जम्य फल, जामुन। जम्मू देखो। २ सुवर्ग, सोना। हो वा पूर्णचन्द्रमें शुभग्रह या निजग्रहके क्षेत्रमें हो, तो ३ सय, जामुनका अर्क। जामित्रवेधका जो दोप होता है, वह नष्ट हो जाता है। जाम्बवक । सं० वि. ) जाम्बवेन निहत परीक्षणादित्वाद इसमे अत्यन्त मङ्गल होता है। वुज । जन्य फल, जामुन। जामित्व (सं० लो० ) सम्पन्ध, रिश्ता। जाम्बवती (सं० स्त्री. ) श्रीकणकी पत्नी भोर जाम्बमान- जामिन (अ० पु.) १ प्रतिभू, जिग्मेदार, जमानत करने की कन्या। श्रीक्षण सामन्तक मणि के अन्वेषण के लिए वाला। २ दो अङ्ग ल लम्बी एक लकड़ी जो नीचेको । वनमें प्रविष्ट हो कर साम्यवानके भवनमें पहुंच गये थे। दोनों नालियोंको अलग रखनेके लिए चिलमग है और | वहाँ मणिका पता लगने पर जाम्बवान्को युपमें परासस चूल के बीच बाँधी जाती है। कर मणि के साथ जाम्बवतीको ले भाये घे। स्यमन्त जामिनदार (फा. पु० ) जमानत करनेवाला। देखा। इनके गर्भमे साम्ब, सुमित्र, पुरुजित्, शतभित. . जामिनी (हिं. स्त्री.) १ यामिनी देखे । २ जमानत, सहस्त्रजित्, विजय, चित्रकेतु, वसमान्, द्गविध पोर जिम्मेदारी। केतुका जन्म हुआ था। (मायत ) जामी-एक फारसी कवि। इनका असली नाम मौलाना जेन-हरिवंशपुराण में लिखा है कि, नारदने शव को नर-उद्दीन अबदुल रहमन था। १४०१२ में होरातके | जाम्बवतीका समाचार सुनाया। नारदके मुखमे निकटवर्ती जाम नामके एक ग्राममें इनका जन्म हुआ | जाम्बवतीको प्रशंमा ‘सुनाणसे न रहा गया। था। इसीलिए लोग इन्हें जामी कहते थे। इनके समय वे उसी समय कुमार अनामणि और मेनाको । में उनके समान वैयाकरण, दार्शनिक और कवि दूमरा | साय ले कर जम्म पुरको, चल दिये। यहाँ, मखियाके कोई भी न थ। बचपनसे ही इन्होंने सफोका दर्शनगास्त्र सहित जाम्बवतीको नहाते देख, यौवष्णने घटमे उन्हें पढ़ा था। आपने जीवन के शेप भागमें समस्त ग्राहकायाम | हरण कर लिया। किन्तु इस समाचारको सुन कर जाम अवमर ले लिया था। यतीके पिता जाम्बव बहुत ही क द हुए और वै योकणसे जामुखा (जुमखा)-गुजरात के रवाकांठाको एक छोटा । युद्ध करने के लिये उनके सामने जा पड़े। जाने युद्धम जमींदारी। इसका रकमा १ वर्गमील है। उन्हें परास्त कर बाँध लिया। इस अपमानमे जाम्यवको जामुन (हिं. पु.) जान देखें।। | वैराग्य हो गया और ये अपने पुत्र विश्वकर्ममको कणके । जामुनी ( हिं० वि०) जामुनके रङ्गका, जो जामुनको सुपुर्द कर मुनि हो गये। (चैन हरिवंश ४४ सर्ग) तर बैंगनी या काला हो। जाम्बवत-जामवान् देखो। जामेय (सं० पु० ) भागिनेय, भानजा, वहिनका लड़का । | जाम्बयान (म. पु.) १ जाम्ब मनु मस्य यः। एक जामेवार (हिं. पु.), बेल बूटॉम जड़ा हुपा एक | ऋराज, सुग्रोवके मन्वो । इन्होंने लहाके युबम प्रकारका दुशाला। २ एका प्रकारको छौंट जिसरे पल रामचन्द्रको सहायता को थी। ये पितामह प्रयाक . यूटे दुशालेकी भांतिके होते हैं। . पुत्र थे। छापर युगमे मिहको मार कर ये उमझे पामधे आम्बर-बहान के पन्तर्गत पार्वत्य विपुराका एक प्रयत । स्यमन्तक मणि साये थे। इसी कारण इनको कन्या