पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२९४

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जामवन्त--वामिवं २५६ जामयन्त-जामशान देखो। दादिम दमन सर पकनारे गएन पुपा मुखान। . नाम मातोशी-क प्रदेश माहेलायगीय एक प्राचीन : वाममुता प्रमुगो र गोरे हो मम औरनमान ।" . . राजा। पात-पारके पधिपति मोटाके माय इनका जामा (सं० मी.) अमपदने पर तस: क्रियां टाए। झगड़ा चल रक्षा था । पूर्य गोय वीरवल के पुत्र काठि दुहिता. कन्या, बेटी। राज बालाजोको महायतामे इन्होंने पार्कर जोत कर लामा ( फा• पु०) १ वा, कपड़ा, पहराया। २ एक नट लिया । वाम मोटते समय एक दिन काठिको प्रकारका पहराया जो घुटने तक होता है। इसके मोपेका सेनान पहले मेरी पा कर निगाना मरोवरके किनारे , घेरा बहुत बड़ा पौर नगेकी तर जुयटदार होता है। हतो के गोरे सब तान दिये । सरोवर के किनारे योई। यह प्राचीनकानका पहरावा जान पड़ता है। हिन्दुमि दीपेर) 1 फक्छ देर पो म माम मातोजोने पाकर पर भी वियाह के पवमर पर यह पहराया वरको पा. देखा कि, काठि-सेनाने सभी हॉकी छाया दखन कर। माया जाता है। लोहै, उनके लिए भी जगह नहीं रकयो, तब उन्होंने | मामात (हिं. पु.) गामात देवे।। गुम्मा हो कर वानाजोसे तम्य उनके लिये कहा। जामाता (हिं. पु.) नामात दे।।। इससे वाताजोने पपना बड़ा पपमान ममझा और वे जामाट (सं० पु.) जायो माति, मिमीत, मिनोति था। इमका बदला लेने की प्रतिमा कर उमी ममय अपनी दुहिताका पति, कन्याका पति, दामाद । २ सूर्याय सं. मेनासहित वाम चल दिये । माम मातोजोने पनियालो सूर्यमुग्दी । ३ धवका पेड़। ४ वममा स्वामी। विपतिका स्मरण कर वालासोको मात करनेके लिए जामाटक (म. वि.) १ मामाता-सम्बन्धीय, दामादशा। पनुनय विनय हारा बहुत कुछ कोगिय को, पर हैपु०) २ कन्याका पति, दामाद। किसी तरह भी शान्त न हए । कुछ दिन पौराविक / जामावल ( म. सी. ) आमातुभायः मामाटा। ममय बालानीने पचानक माढ़े जापों पर पाक्रमर जामाताका कार्य, दामादका काम। किया पोर पर मारयों के साथ जाम मातोजोको मार जामि (म मो०.) जमा । इन् निपासनाप माधु- डाला। सिर्फ छोटे भाई जाम पावड़ाकी किसी तरह। रित्य के। भगिनी, बहिन । २ फुलसी. घरकी जान मची। इन्होंने बालाजीको बहुतयार परास्त किया। बाह-येटी। दुहिता, कन्या, लड़की। ४ पुष, किन्तु पाम थानके युग में ये भी पराजित हुए। प्रयाद पतोह। ५ निकट मम्बन्ध मपिण सो, पपने मम्पन्ध है कि, इस युद्धम स्वयं सूर्यदेवने त पाह पर मवार) या गोत्रकी पी। र बन्न। होकर वामाजीकी तरफमे युर किया था। "मगिनीयापतिर्मनी यातिपरिण्डसिपर पानीरियात. ममता बाईची थीमतापवाला-आमनारक महाराज पाया।" (इन्चा) रिड़मनकी रामकुमारी तथा जोधपुरके भूतपूर्व महाराज | भगिनी, ग्रपति पौर मविहित मपिएट पनी पत्री, योतपतमित्रकी महारानो। इनका जन्म १८२४ पोर | दुहिता पीर एवरधान मनको बामि करते। जिम निया में पाया। ये बड़ी विदुषी, उदार घरमें जामि पपमानिस या माबित होती , उम पर. दया पोर धर्माना थीं। मौन प्रतापकंवर रसायनी का कभी भी मान नहीं होता। त्रिम घरमै पनि मामक एक हिन्दी पदा-पन्यको रचना की। रमी होती है सममें सड़की हिरोनी है। ० उदक, न, कविता मरम पोर भविरमपूर्ण है। उदाहरण- | पानी पनि दंगली (प) आमितत् ( f.) आमि करोति जामि कि । "कारी पारा मुबारी साम प्रगन (2) ममधकारी, ममन्ध करमेयाला। . मंद मंद मस दायराटेत म सान। शामित (म.की.) दिशादि एमपम काम मनिशारीचिया एगीरी ममा, मानगे माग स्थान। (म )