पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२७५

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२४२ वापान देशर्म प्रचार किया। परिणाम स्वरूप एक एक घिशामक] नही मिलता इसके पलाया ये मय इतिहास सूरी और प्रचरकी दो प्रकार पनि होने लगी, एक चीनमें पीर ! नोरम भी हैं। . टूमरी जापानमें। हो, मापानो कविता चिरकानमे पपरी भाभी ___ जापानी भाषाका मीना, विदेशियों के लिए टेडो रक्षा करती पाई है। इसके कन्द पोर तान एक ऐमो खोर है । यो कि एमके लिए उन्हें तीन प्रकारको भापा स्वतन्य वस्तु है शिजो पन्य किमो भी देगको महिमा गोवनी पड़ती है-प्रथमतः नापानकी माधारण बोल | वाकाथ्यमे नहीं मिलती। माकी यी गनान्दी चालको भाषा, दितीयतः भटममाजको भाषा और मारम्भमें 'सुराशि और उनके नोन महरों ने कुछ हतीयतः निखित भाषा। इन तीनों में यथेष्ट पार्यक्य प्राचीन भोर तदानीन्तन कविसामो का मपर जिया है। हमके सिया यह भी एक बड़ी भारो दिकत है कि , उम अन्य का नाम "कोकिनमु"। साकी की प्रत्येक शब्दके पृयक, एयफ, पनर मोखने पड़ते हैं। शताब्दी में तियेका कियोने' एफ मो कवियों को एक नो मानी साहित्य-मवमे पहले जापानी माहिन्य ग्रन्य कवितापों का मग्रह किया था। ०११ ई.में निवा गया था। इसका विवरण ( जापान जापानी कवितापो में याक्मयम पोर भाष-मयम शब्द प्रारम्भ ) में लिखा जा चुका है, कि सम्राट सेमून यथेष्ट ममावेश पाया जाता है इनके पृदयको गभीरमा (६७३ १८६६) सिंहामन पर पधिरोहण कर देखा भावके उच्चाम, व्ययित नहीं होती और न यह झरनके कि मभान्त परिचारीका इतिहास इतस्ततः विक्षिप्त पानीकी तरह शब्द ही करती है। इनका प्रदय मरोवा. पड़ा हुपा है , जिमका ग्रन्याकारमै प्रगट होना पायग्य के जलकी तरह स्तब्ध है। कोय है। प्रियेदानोधार' नामया किमो सम्भ्रान्त भापानकी दो ममिड पोर प्राचीन कवितायोका महिलाको स्मृतिगति अत्यन्त प्रखर थो, उन्हीं पर इस रष्टान्त देना ही पर्याम होगा- लिवनेका भार सौंपा गया। सम्राट को मृत्यु के पाद | (१) “पुरानी पावर समालो 'नमो'के ममय भी यह अन्य लिया गया था। मैदकको कुटाई इसका नाम है "कोजिकी"। पामीफी पाहट" जर्मनी के 'मागामों की भांति इसमें भो पृथियोको । बम, पब जरूरत नहीं। जापानी पाठोका मन एष्टिका विवरण, राजाका मिशमनाधिरोहण और मानो पाखों में भग है। पुरानी पे पर ममुणके दारा नई गज्यका भिटा लिया है। उस ममय घोनको परित्या हुई है और वहां प्रम निस्तय पन्धकार है। मभ्यता और मारित्य जापानमें इतना पधिक व्याप्त हो गया उममें एक मेंढकके कुदसे की गन्द सुन पड़ा। यहां एक . था, कि इसके पश्वी ग्रन्थों हो चोमका प्रभाव दोख मेंढक कूदने पर गप्दका सुनाई देना पुरानी पोषाकी पड़ता है। इसका नाम "निझोटो' वा जापानका | गम्भीर निसाव्यताको प्रकट करता है। इस फगितामें इतिजाम है। |- पुरानो पोगरका चिव किम सूची के साथ पींपा गया है, ईमाको १०वीं शताब्दी में जब जापानी साहित्यका[ इमफा पनुमान पाठक ही करें ; कयिनै मिर्फ इशारा नय उदोधन हुमा, न नोगोंका मन पुनः "कोनिकी" कर दिया है। दूमरी कविता या- पढ़ने चार प्रायोन तथ्य के सपा करने में दौड़ा। म (२) "स्सी डाल . . ममय जापान बातमी प्राचोम पोयिपोका म पर पा एक पाक .या। झापामो साहित्य में प्रधान गिटातो व एक। गरा कान।" माव इतिहाग पानोरमा । १८२०९ में भिगोन सम, इतनेहीमे ममम लिया गया कि परदसतुमें मेमो' नामक को अन्य रखा गया था, उममें राजकीय (1)() रागनी गारा RT 2 मभासी घटनाक मिया जातिका यथार्थ सिधाम | साहिन अभिप्राय मा जापानुसाद पाया है।