पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२७२

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जापान स्वीकार कर लिया। १८५६ में दृष्ट 'सोगुन' और • मभाता सूर्यालोको प्रदोम को उठा था। पहोंने सम्राट, दोनों को मायु हो गई। इधर सम्राट पतोय 'मोदी' नगरोम राजधानी म्यापित कर उमझा 'तोकिपो' लोग मोगुनके विरुद्ध भीषण पाड्यन्त्र और प्रान्दोलन नाम रख दिया। करने लगे। पन्त में उपायान्तर न देव पन्द्रह मोगुनों ने १८६०को १०वीं जूनको कान नमें प्रमुमार १८६० ई० के १८ नवम्बरको समाट के पास पदत्यागपत्र । सामन्त-तन्त्र रद्द कर दिया गया । कारण, नयोन यूरोपीय भेज दिया । इसी पवने जापानके नवयुगको घोषणा को | समाता ग्रहण के लिए यह कार्य प्रगम्त पीर प्रयोजनोय थी, इमलिए यहां वह उहत किया जाता है--"मध्य. था। 'युगसे ही 'फुमिवारा' वगके कारण मम्राट को क्षमता विश्वके बाद जापानमें पुनः शान्ति स्थापित हो गई। क्रमशः घटती पाई थी। पीछे 'मिनोमोतो जोरितोमो म ममय वहाँके राजनैतिकगण यह बात भलीमाति 'मोगुननी को घमताके अधिकारी हुए और मामन्त : ममझ गये थे, कि म मामाजिक संस्कार कर जापान- शासनाका भार भी उन्होंने यहण किया। दुखके साय को पन्य मभ्यदेगों के समान बनाने की जरूरत है। लिखना पड़ता है कि शासन परिचालन के विषयमें हमारे तक साधारण लोगों को गिचित पोर उयत न यनाया सामने अनेक वाधाएं उपस्थित हैं। वैदेशिक सम्बन्धके । जायगा, तब तक जापानको यथाय' योहि नहीं हो विषय बहुत ज्यादा गड़बड़ी मच गई है। भार उनका सकती। किन्तु दम नवयुगमें भी पहले के मामन्तगा सम्बन्ध भी क्रमशः घनिष्ट होता जा रहा है। इमलिए, अपने जातिगत वैपग्य-भावको छोड़ने के लिए तैयार भव जापानका उसके महलके लिए, एक गामनकर्ताके न । दारा गामित होना पावश्यकोय है। इसोलए इम । जापान-गवर्नमेंट के पाम उस ममय म तो मेना अपनी क्षमताको सम्राट के करकमलो में पर्पण करत | थी और न जान । म मिया कोषागारमें धन भो हमारी जाति य देगिकों के साथ प्रतिवन्दिता तभी | पर्याप्त न था। देगमें जो गित्यस्तुएं पनती यो, मोम कर सकती है, जब सम्राट उमका गामन करेंगे और किमी तरह देशका प्रभाव दूर किया जाता था। झापान. सम्पूर्ण श्रेणियां एकत्र को कर देशकी रक्षाकी लिए में एक जगहसे दूसरी जगह मवादादि भेजने के लिए . कमर कस लें गौ । इस प्रकार इमने देश पीर सम्राटके | कोई सुव्यवस्था नहो यो । रेन. टेनिग्राफ या जहाज प्रति अपना कर्तव्यका पालन किया। | म ममय तक कुछ भी पायिकत न हुए थे। इस तरह सम्राट ६८३ वर्ष तक कोड़ापुत्ततिका वैदेगिक वाणिज्य भो उम ममय तय्य विदेगियों के साथ • बत् रहने के बाद अब यथार्थ समताके अधिकारी हुए। | था। वे यहाँका धन बुध हो मटने मगे। पाधुनिश इस विषयमें मोगों के स्वार्थ त्यागकी प्रगंगा किये विज्ञानको चमि भो जापानो मोग परिचित न । पीने .मिना रहा नहीं जाता। मिर्फ यस्य पोर चिनिमाविद्या विषयी पोनन्दाजीम जिम समय सम्राट के हाथमें जमता पर्पित की गई। कुछ सोपा या। इन ममम्त पमाषों और ममस्या. थी, सम समय नको उमर कुल पन्द्रह वर्ष की यो। पोका ममाधानका भार नवगठित मन्धियों पर पड़ा। सुसरा गासनकार्य सम्राट के माममे उनके मन्त्रिगण उन्होंने इस कार्य के लिये नाना प्रकारको पाधापका ही चलाने लगे। मम्वियाने यतमान परिस्थिति देख/ सामना करना पड़ा था पार अपरमे देगोय कुर्मकारों के कार निर्देगिर्यासे मियता सपना हो उचित ममा कारगा मां कार्य में पनेक कठिनाइयो पापड़ी यो। १८६८ ई की ती फरवरी को यह बात सममा येदिगि। म समय मन्तिमम्मदाय पोर सापान, भाभायमे कोका कह दो गई। इमो वर्ष नपरो ममाटने ग्रेट पिटेन में एक सदन प्रतिनिधि शाशनम याग करते . जापानी प्रधानुमार म मवयुगका माम रस्ता-जो' थे। ये जापानी, म विश्व समय को गाना प्रशार. मा सक्यन्त युग। मचमुच होरन राजत्व में जापान को सहायता देते पा रहे थे। मेना, हार, पादमो Vol. VII.co