पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२६८

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जापान 'भापानियोंने पति पूर्वकालमे ही फनफा सिथनको | उपाधि ग्रहण को और 'कामाकुरा में राष्ट्रीय केन्द्र म्यापित अपना लिया था। जापानियों ने प्राचार अनुष्ठानमें भी किया। जिस तरह फ्रान्सके मेरोभिजिन नरपतियों के चीनका पनुकरण किया है। चीनकी तरह जापानमें | अन्तिम भाग Mayors of the Palaco उपाधिकारी भो मनुपोंको भद्र, रूपक, वणिक और शिल्पी इन चार । गजकर्मचारी राजाको कठपुतली Rमझ का स्वयं योपियों में विभत किया जाता था। किन्तु जापानमें हर्ताकर्ता बन गये थे, उमो तरह जाशन "मोगुनो।" भद्र येणोके विधानको अपेक्षा मैनिकका अधिक ने भी मध्ययुगमें कर्ट व किया था। सम्मान होता था । आमोद-प्रमोदमें भी जापानने चोनक जापानके पतिहाममे मालूम होता है कि 'मोगुन थियेटर, नाच पोर खेलौका अनुकरण किया था। पद को प्रतिष्ठा मिर्फ एक ऐतिहामिक देय घटना नहीं जापानमें जय सामन्ततन्यगासन प्रचलित हुआ था, | हुई। वरिफ बहुत ममयमे पुनोभून घटनारागिक फम. छम समय 'एन या डिम्मिमि' नामक प्रादिम जाति से उक्त पदको प्रतिठा हुई थो। 'फुजियारा' के मायने मम्पर्ण रूपमे पराजय स्वीकार कर भारतियों के आचा। हो जापानमें मामन्ततन्त्रका पाभाम पाया गया था। याँको तरह जङ्गलो में भाग गई यो। इतने दिन बाद उसका पूर्ण विकास हुमा । 'योरितोमो - ८६६ ई०से लगा कर वर्तमान कालके कुछ पहने । ने अपने मामन्तों को विखम्त अनुवति ताके कारण हो तक गि' नामक क्षत्रिय येणोके लोगों ने चीनके प्रभाव राष्ट्रीय क्षमता प्राम को यो । मबाट पोर उनके कर्म- में प्रभायान्वित हो मिकिडो'के प्रभावको आच्छादित | चारियों को क्षमता इस युगमे विनकुल लुम हो गई थी। कर रकवा था | ८६६१० से ११५८ ई. तक फुजिवानोन युरोपमें भो म समय सामन्ततन्त्र प्रचलित था। मध्य के नया ११५८ से ११८५६० तक 'इतरा' ग्रीयों ने कुछ वर्षों के मिया पाधुनिक काल पर्यन्त जापान में मपंदा ममाट्का पासन अधिवार कर रक्ता था। किन्तु | हो 'मोगुन' हारा गासन होता रहा है। यूरोप मे मामन केन्द्र 'केयोतो' नामक स्थानमें हो था। सामन्त सामन्ततन्वर प्रभावमे Chivalry वा पोरत्वस्यक तन्त्र ई० को १२वीं शताब्दो के पन्त तक स्थापित नहीं। भद्रताको उत्पत्ति हुई थो, जापाममें भी छमी तरह दुपा था। 'वृशिदी' प्रधाका प्रचार हुपा था। 'योतो'के गामनकानों ने शुद्र दृष्टिसम्पन्न होने के योरितोगो के बाद उनके यंगमे घोर भो दो व्यक्ति कारण जमींदारों और क्षत्रिय धणोके लोगों पर विशेष 'सगुन' हुए थे । म के बाद राजाशि होतो परियार मामन न किया था । राजकीय प्रतिनिधिगण गामनका के हाथमें वनो गई। 'होजो' लोग मम्भान्त परि. कार्य स्वयं न कर अन्य लोगों में कराते थे इमलिए प्रादेशिक धारके न थे। इसलिये बतष्ट्र में लोग उनको 'मोगुन' जमींदारगण नामसे नहीं तो कार्यतः साधोन पयन मानने के लिए तैयार म । पाखिर हमने एक युइमें को गये थे। कुछ जमींदार यग विवाह काय वा दान सम्राट को मेगा सरुको विश्वस्त कर पपमो समताको एवमे यदुतमे देशों में अधिकार कर पत्यन्त क्षमतागोल | हद मना लिया। इन्होंने 'मिकेन' सपाधि प्रदान को धी। हो गये थे। जापान मम्राटों ने फरासियो को तरह एक इन लोगों के मामनकान, मर्यप्रधाम घटमा दनमे दूमर दलको भिड़ा कर खुद क्षमतागोन होना मापान पर मदोनियों का पाक्रमाय । योपयिध्वम्ता चाहा था किन्तु उनका उद्देश्य मफल नहीं हुआ। सुविण्यात पनपने पोय मान्दानने पपने भाई 'रायो'ने एकबार मिनामोनोको पराजित कर पन्नाईको चीन पधिकार करनेको भेजा था। गुप- मामाग्य प्राश किया था। पोई दोनों शो में भोपण | माईपनि घोनका पधिकांय भाग तया कोरिया अपने पन्द्र पन्नमा रहा। पाखिर ११८५ में 'योरितोमो'को पधिकारमें कर लिया । माईको मत्य के पाद पधीनतामें 'मिनामोतो' को जय हरायोरितोमो'ने उन्होंने 'पिकिट: नगरमें राजधानो ग्यापित की मधमे पहले "मोगुन" या योजा और शानकांकी। पोर पधोनता स्वीकार धाराने के लिए जापानमें दर Vol. Vuu. 59