पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२५२

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नाटुकात-नानकौधरण २२३ जातो। ये मुर्दे के कपड़े लसे उतार लाते हैं और घरमें | जादूगर (फा. पु० ) जादू करनेवाला मनुष्य । रख कर उनकी पूजा किया करते हैं। इनमें जो मुख्य | जादूगरो (फा स्तो०) जादूगरका काम | व्यक्ति होता है, यह सेठजो कहलाता है। यह व्यक्ति | नाटूनजर ( फा० पु० ) वह जो दृष्टिमावगे मोधित कर पन्यान्य प्रौढ़ व्यक्तियों के साथ मिल कर सामाजिक लेता हो। विषयोकी मीमांसा करता है। जान ( हि स्त्री० ) १ जाम, मनकारी। २ अनुमान, ____ जादरगण, क्या शव ग्रोर क्या वैषणव,सभी लोग | समझ, स्याल । बादामी के वायगर ग्रामको वाणगी देवीको पूजा जान (फा स्त्रो०) १माण, जोय । २ बान, शशि, ताकत । करते हैं। उता देवोके मन्दिरके पास दो तालाब है। तव, मार, महमे हम मा ४ वह यह जो गोमा हर साल यहाँ एक मेम्ना होता है । जादरोंको किमी चढ़ाती हो। प्रकारका रोग होने पर वे उन देवीके नाम पर कुछ | जानक ( वि.) अनकस्य पितुः तनामनुपम्यद चढ़ामा कबूल करते हैं और पीछे रोगमे छुटकारा पाने जनक प्रण । पिटमम्बन्धी, विमा सम्पन्धो। पर अपनी प्रतिज्ञा पूरी करते हैं। इस समय प्रत्येकको | जानकार (हिं० वि०) १ अभिल, जानमेवाना । २ विस, कैलेके स्तम्भ पर चढ़ कर ताम्नाबके पार उतरना पड़ता | चतुर। है । जगाम लोग एम देवौके पुरोहित है। ' हालांकि, विलायत पोर बम्बईको प्रतिबंदिता | फियत । २ निपुणता, विजता । जादरीक रोजगारमें बहुत कुछ धक्का पहुंचा है, किन्तु जानकि (म.पु. ) जनकस्य अपना जनक र भारत तो भी ये लोग भन्न-वस्त्रसे दुखी नहीं है। वरन बहुतसे | प्रसिद्ध नृपभेद, एक प्रसिद्ध राजाका नाम . लोग कुछ सञ्चय भी कर लेते है। जानको ( म० स्त्री. ) जनकम्य प्रपता स्त्री, जनकपणा, जादुकात-पासामको एक नदी। यह खामी पर्व तमे | म्बिया डोप । सीता, जनककी लएको, रामचन्द्रको म्यो। निकती है। वह इसका नाम किनचियङ्ग वा पनामीयं जानकोकोट (गर)-सहारनपुर जिले का एक प्राचीन । परिम और दक्षिणमे बहती हुई जादुपात मिन्नहटके गढ़ वा कोट । यह वेसिया, केमरिया और वैमर पर्यात मैदानमें पहुंची है। यहां यह दो भागोंमें बंट जातो | वैशालोमे नेपाम्न जान माचोन मार्ग के परिमझो है। यह दोनों शाखाएं काङ्गसमें गिरी हैं। खामी पहा तरफ पड़ता है। राईको एफ उपनदो हमके उतर ड़ियों को पदावर इसी नदीको राम बाहर पहुंचती है। और पूर्व पाददेगगे प्रवाहित है। फिलहाल यह गढ़ वर्षा ऋसमें यह बहुत बढ़ती है। जादुफातको पूरी | टूट गया है। सिर्फ कुछ टूटे मन्दिर घोर दुर्गप्राकार. सम्याई १२० मील है। के चिन्ह दीख पड़ते हैं। जादू (फा० पु.) १ पचौकिक और अमानयो कृत्य, जानकीपरण-हिन्दी के एक कवि । इसका उपनाम इन्द्रजाल, तिलस्मा पूर्व समयको मारको प्रायः "मिया सखो' था । उन्होंने योरामरयमञ्जरो, युगल. ममो नातियां जाद, पर विश्वास करती थीं। उन दिनों मनरी और भगयानमतकादमिनी ये तीन अन्य रघे रोगों की चिकिश्मा तथा दप्तरी दुसरी कामनापीको इन अन्यों में योरामचन्द्रका रमारमा वर्णन है। मिदिम अच्छे लागरी को ही सम्मति ली जाती थी। सम्भवतः १८४३६ में विद्यमान । नीचे एक उदाहरण भाजकम्त जादू परसे लोगों का विश्वास बहुत कुछ उठता दिया जाता है- गा रहा है। २ एक प्रकारका खेल। यह दर्शकीको "नाना विपि लीला सलिन गायत मधुरे ! दृष्टि और बुद्धिको धोखा देकर किया जाता है। टोना, मृण हरत मगि मुन्दरी मारत सान मृदंग। टोटका। ४ यह शिजी मरेको मोहित कर लेती है।. पादन पर भंग सब कुम भतर कपूर । मोहिनी। . रचि मुममनी माठ परािई भरपुर।"