पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२०६

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अहान १८३ ये जहाज 'पंडल पुरस' नामक यम्बसे चलते थे। युद्धके बाद, १८२११में वागिटन नगरमें गान्ति इसके बाद अनेक वैमानिकोंके बहुत दिनों तक कोशिश स्थापक बैठक हुई थी, उममें 'मवमेरिनो' को मस्या करते रहनके बाद "Serumpropeller" द्वारा जहाज निर्देश कर, इस विपत्ति के उपशम करनेकी कोशिश की चलानेका उपाय पाविष्कार किया। उसके बाद जहाजक गई थी। मि० इफन हाफसने प्रस्ताव किया फि युक्त जनको उति करनेकी कोशिश र लने लगो। वय, राष्ट्र और ग्रेटरटेनने ( प्रत्येक ) मिर्फ 4.,... लर और सेलेण्डरको क्षमता बढ़ कर जहानकी गति टन, फ्रान्स सिर्फ २९.५०० टन एव जापान वृद्धि की गई। फिलहाल माल लादनेवाले जहाज २१,००० टन जहाज अवशिष्ट रक। किन्तु प्राप्त प्रति इसके लिए १०० से १८० पौगड तक और महा. इस प्रस्ताव पर रानी न छुपा, पाखिर यहो प्रथा प्रचलित समुद्रगामी मुसाफिरी जहाजमें १४ से २२० पौण्ड तक । रही कि जो जाति जितने 'सबमेरिन' बना सके, वर बाम्पको दाब दी माती है। उतने ही रक्खें। ... वीं शताब्दी में जहाजको द्रुत उति हुई है अब. उस बैठकमें साधारण नौ-गहिके विषय में एक तक जहाज पानी के अपर ही तैरता था, किन्तु प्रय| नियम बनाया गया था। इसमें निथय किया गया कि वैज्ञानिकगण कोशिश करने लगे कि किस तरह यू नाईटेड टेटस् और ग्रेट हटेन (प्रत्येक ) ५,२५,००० महाजकी पानी के नोसे चला कर शव के जहाजों का टन जान रख सकेंगे। जिस अनुपातमे यह नियम विनाश किया जाय। उनकी मायन शक्तिके फलीज | बनाया गया था, वह यह है,५:५:३। इस प्रकारसे 'डी' और 'मवमरिन नामक दो प्रकारके पानी । मालम होता है कि पधुना पृथिवीमें अमेरिका और भीतरसे चलनेवाले लहाजका आविष्कार हुपा ग ले एड़के जहाज सबसे ज्यादा है। . गत महासमर के समय प्रत्येक जाति हो अपनी जहाजगढ़-- पंजाब प्रान्तके रोहतक जिलेके अन्तर्गत नौगति वृद्धि करनेकी भक्ति भर प्रयत्न किया था। परि- झाझरके नजदीक एक दुर्ग। यह प्रथा २८३६३. रणाम हुघा कि १८२०.२१ ई० में जहाज-निर्माणके बहा- और देशा• ७६ ३४ पूर्व में अवस्थित है। धर्म पहन मे नये नये नरोके निकल गये। कोयले की जगह तेल साहयका कथना है कि विगत शतप्दोके पन्तम जार्ज व्यवहारका एनमें विशेष उल्लेखयोग्य विषय है। इसमें टोमम नामक किमी व्यक्षिन इस प्रदेश पर कुछ ममय सच भी कम पड़ता है पौर तेल जहाजमें ज्यादा रकवा तक मासन कर अपने नाम पर यह दुर्गनिर्माण किया। भी जा सकता है। देगी लोगों ने जोजगदमे जहाजगढ़ नाम रखा है। ___महायुद्धके पहले 'सबमे रेन' नामक पानीके भीतर.] १८.१ई में महाराष्ट्रों में इस दुर्ग पर पासमण किया। दे चलनेवाले जहाजके वारमें लोगोंको फुल माल मनोज टोमम बहुत कष्टमे भागे, किन्तु हामी नगरमें पा। जर्मनीने सिर्फ २८ सबमेरिन' के भरोसे ही युद्ध पूपरूपसे पराजित हुए । प्रारम.कर दिया था । हटिश गवर्मेण्टने पहले ५६ सय जहाजपुर-राजपूतानाके उदयपुर राज्यका एक जिला मेरिन' इक किये थे। इस प्रकारके जहाजोन सिर्फ और उसका मदर । यह नगर पना. १५३०३० चौर शव के जहाज ही सुमोये हों, ऐमा नहीं । वरिक बहुत ! देशा० ०९१७ पूल में देवनी दायनीमे १२ मोम दहिए- से मणिको की वाणिज्य सम्पद और पनिक निर्दोष व्यष्टि पगिम प्रयस्थित है। लोकसंख्या ३३८८ है। एक मिति यो के माण भी उसने नष्ट किये हैं। पहले 'सबमेरिन । पहाड़ पर नगर पोर घाटोके पूर्व मार्गको रक्षा कर. मधाममे पात्मरक्षा करने का कोई उपाय न था। पी। मेको किन्ता बना हुपा है। यह दुर्ग दोहराए और १८१५ में नाना प्रकार प्रयत्न करने पर इस भीषण प्रत्ये कम साईखदी है। कहते हैं, १५८०१०को पक. प्रकारके नहानसे रक्षा पाने के लिए कथक्षित् उपाय | वरने राणामे जहाजपुर लिया था और ७ वर्ष पोहे भावित हुए। | नगमतकी जागीरम दे दिया। अपने बड़े भाई सपा