पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/२०३

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१८. बहान है। गठम पोर सुन्दरता भी तदनुरूप है। इसमें मोटर जहाजके दो भेद किये हैं-एक साधारण सो नदी या जम लगा देनेमे ही टोम पिप" बन सकता है।' | प्रादिमें चलते हैं और दूसरे वगेप. वो सिर्फ समुद्र ईमाको १२ौं गताग्दीके पहले चप्रामको वाणिज्य | यात्राके लिए व्यवहत होते हैं। यहां विशेष पीक ग्याति यूरोपर्म प्रचारित दुई यो। ईमाको १४वीं | महाजोंका ही विवरण लिख रहे हैं। विशेषको उन्होंने गतान्दोम वहां परब और धोन देशके चम्पिकों का समा. दो भागों में विभक्त किया है-(१) दीधी और (२). गम होता था । पायाय वणिकीने "वोट अंगहो" नामसे | उग्रता। दीर्घाके दग भेद हैं और उनताके पांच । मारे इसका परिचय दिया है। मिनिस देशके वणिक सोज़र उनके नाम, लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई लिसी मरिक साकी १६वो शताप्दोम यहां पाये थे। जाती है- उनका कहना है, कि पेगुमे यदुतसो पांदो बाग्रामम ____नाम सम्पाई चौड़ाई चाई . जाया करतो यो। उस समय चयाम ही वकालमें ३२ हाथ हाथ चाँदीका प्रधान बन्दर था। शक सं० १५५३म हट (२) तरणी ४, ६, साहब घग्रामको बङ्गालका वापियोबत और समाधि | (३) लोला ६४, ८, सम्पम पन्यतम नगर वतन्ना गये है। शक स. १५६१में (४) गत्वरा ८०, मगइलेम् लुई गजमहल, ढाका, फिलिपाटम पौर पद (५) गामिनी ८६, ग्राम इन स्थानोको बालके प्रधान नगर बतला गये हैं। (६) नरिः ११२ , प्राचीन भारतमें अहानकी निर्माणप्रणाली-भारतवर्ष में (७) अगला १२८, किस तरह नहा बनाये जाते थे, इसका परिचय हो (८) प्रावनी १४४, १८ भोजसं 'युक्तिकल्पतम' नामक म'स्मत पंचमे मिल सकता (c) धारिणी १६०, २० ॥ । उनक मत पवियये पीके फाठमे निर्मित जहाज (१०) वेगिनी १७६, २२ , हाराहीसगड भोर मम्मद प्राप्त होती है। मी प्रकार इनमे कुछक रखनेमे दुर्भाग्य होता असे- आहाण दुरवगम्य स्थानाम सौंपादादि भेजने के लिए "भत्र लोला गामिनी च प्तायिनी दुमदा गवेत् । . प्रगत है। विभिन्न येणोके काष्ठमे पना हुपा जहाज लोलाया मारमारन्य यावद्भवति गावरा। माल वा सुषप्रद नहीं होता पोर न यह ज्यादा दिन सोलाया: फसमाधत्त एन पापु निर्णयः॥" करता हो । पानोमें सड़ जाता है पोर मरामा का बता येणीके भेद इम प्रकार है- सात हो रट जाता है। काम योजनाके विषयम | सम्बाई चोटी कंगई भोजन बहुत मार्कका उपदेश दिया है- (१) का ३२ हाय १६ हाथ १५ हाय . "न सिन्धु गयोईति मोहबर (२) पन्ध्या ४८ , २४ , २४० ॥ तालोहनदियते हि सौम्। (३) स्वणमुखी ६४ ., ३२ । ३२ . रिपरते तेन छेपु नौका (8) गर्भिनी ० , ४., ४.. ... गुणेन पा निमपाए भोजः।" (५) मन्परा ८६, ८. ४८, जाके नोचे शाके माथ सो काम, म माना इनमें भी समया, गर्मिनी पोर मयरा गस्ति । चाहिए; ययोंकि इसमें समुद्र में सुमनके दाग नहान महाके यावियोंके मुभीत लिए भोजने कुछ नियम पाटो करऽध मफता। रममे मास म होता है| नि । जहाज महागे लिए पर्ण, रोष्या साग्न किनिमोग पाले म गहरी पोर पन्नाम ममुद्रमे भो पयवा इन तीनोंकी मियित धातु काम, मानी पाहिए। लाने आया करते परम मिया भोमन साकार । जिम अहाजमें चार. मन्ननउम पर मफेद रद, सिर अनुमार जहाजक भेदभो यतमायें | प्रधानमः | तोन मम्त म उम पर नाल रंग, जिममें दो मम्तम नाम