पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१९०

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- संहांगीर उन्हें दिल्लीके अधीन रामानों में शुमार कर राज्य पर लिए इसका नाम जहांगीर मिका पड़ गया। उड़ीसाके पभिषिक्त किया गया । राणाने अपने पुत्र कर्ण को खुमरे शासनकर्ता मुप्राजिमाके पुव मकरमखोने परदाके साथ बादशाह के पास भेज दिया। जहांगोरने उन्हें राजाको परास्त कर उनका गज्य दिक्षीके प्रधान कर पांच हजार मेनाका अधिनायक बना दिया। लिया। १६१० ई० में बादशाहने गुजरात पर पधिकार १९१५ ई में एक दिन बादशाहने खुर्रम के साथ बैठ किया। कर एक शराब पो। पुरम पहले शराब न पीते थे. पहले मिकों पर एक तरफ बादशाहका नाम और महागोरके अनुरोधसे उन्हें यह पहिले पहल शराब पीनो दूमरो ओर स्थान, माम और मम्बत् लिखा रहता था। पड़ो। इसी वर्ष में मालिक अम्बरका उन्हों के पारिपदोंके । १६१८ ई० में जहांगोरने मासके बदले उम मासदी राशि साथ कुछ मनोमालिन्य हो गया। इसलिए उन नोगाने । के चिढ़ (मेष, वृपा प्रादि ) छापने के लिए पाना दी। पा कर सम्राट की अधीनता स्वीकार कर ली। लौटते । इमो सान जहाँगोरने एक केदोको प्रापदण्डको भाना ममय मालिक अम्बरको सेनामे उन लोगों का युद्ध हुमा, दो थो। परन्तु पासा देने के कुछ देर बाद उन्होंने अपने जिसमें मालिक अम्बरको मेना पराजित हो कर भाग एक प्रिय पारिपदके अनुरोधमे उस हुक्मको रद करके गई। कुछ दिन बाद मालिक अम्बरने मागे बढ़े कर | उसके पर काट लेनेका हुक्म दिया। किन्तु आय ! इस बादशाहो सेना पर आक्रमण किया। दोनों में युद्ध हुमा, | पादेशके पहुंचते ही उस प्रभागेका सिर धड़मे अलग आखिर बादशाहकी विजय हुई। कर दिया गया था। इसलिए सम्राट ने ऐसा नियम . . जहागौरके राजत्व के दशवे वर्ष पञ्जाचमें भेग फैलो, कर दिया कि, 'आजसे किसके लिए प्रापदण्डका जिसमे बहुतों को मकान मृत्यु हुई। इसी समय नामल आदेश दिये जाने पर भी मूर्यास्त से पहिले उमका वध आदि सात डकैतीने मिल कर कोतवातोके खजाने मे | न किया जायगा भोर सूर्यास्तके ममय तक दण्डका चोरी कर ली। इन्हें पकड़ कर कड़ी मजाएँ दी गई। किसी प्रकार परिवर्तन न हो, तो उसके भनुमार कार्य १६१६ ई० में कुमार खुरमको १०००० पखारोहियोंका किया जायगा।" अधिपति बनाया गया और शाहजहाँ ( अर्थात् पृधियोके । १६१८ ई. में प्रमिह विज्ञान शेख अबदुल हक राना) को उपाधि देकर सम्माटने उन्हें अपने राज्यका दिलामी बादशाह के दरबार में पा कर रहने लगे, जहां उत्तराधिकारी मनोनीत किया। अबको बार जहाँगीरने | गोर इनके प्रति अत्यन्त सौजन्य दिखलाते थे। माहजहाँको सेनापति बना कर मालिक अम्बरको भनो । १२.९० लणवार के जमींदारीने विद्रोही हो कर भाति सजा देने के लिए दाक्षिणात्यकी तरफ भेज दिया। वहाके शासनकर्ता नमरुको पराजित कर दिया। वादगाह खुद माण्ड तक उनके साथ गये थे। मालिक | बादशाइने खबर पाते हो वहां दिलावरखाके पुव जलास- अम्बर परास्त हुए पौर महमदनगर छोड़ कर भाग गये।। को मेजा। पुरमने कांगड़ा-दुर्ग पवरोध कर उस पर विजयपुरके पादिलशाहने दिखोकी अधीनता स्वीकार कसा कर लिया; वह दुर्ग बहुत ही प्राचोन या पोर कर लो। शाहजहाँ के पराक्रममे दधिपदेशमें मुगल कोई भी वादगाह उसे अधिकार न कर मका या । इमो मभुल स्थायी हो गया । शाहजहाँ के लोट पाने पर बाद | ममय दाक्षिणात्य विद्रोह उपस्थित पा! मालिक माहने सुग हो कर उन्हें अपने सिंहासनके पास भिन्न पधरने बहुत मो मेन इकट्ठी कर देगल टना शुरू कर प्रासन पर बैठने और उनके प्रधीन २०००० प्रहारोही दिया। कभी कभी पतक्ति पवस्याम बादशाहो सेना सेना रखनेका पधिकार दिया। पर माक्रमण कर उन्हें टिक करने लगे। म ममय इस ममय जहांगीरने प्रचलित स्वर्ण मुद्रासे २० कुमार सुग्म कांगड़ा प्रवरोध करने में व्यापून थे । प्रधान गुने मारी स्वर्ण और गेम्यक मिक बनाने का पादेश प्रधान योहा भी उनके माय थे। इस लिए नागोर दिया। यह सिकारमीने पहिले पहल बताया था, इस'. विद्रोहियोंको दमन करने के लिए कोनसी नीतिका पर