पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१८३

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मांगौर पहुंच कर मरदारणांक उद्यानमें ठहरे। इम स्थान पर (१६०८ ई. में ) मम्राट कुमार पारविश वहां भेजने . युम्फनाई अफगानाने पा कर जहांगोरको वगाता स्त्री- लिए मनोनीत हुए। मी ममय इनलेट कि कार को गेरखा नामके एक प्रफगानको उक्त प्रदेशका सम्प्रदायने भारतमें याणिज्य करनेका पधिकार प्राम गामनकर्ता बना दिया गया। श्रो मफर सारीखको राजा करने के लिए इकोनसको जहांगीरके दरवारमें इतनम विक्रमजितके पुत्र कल्याण गुजरातमे यादगाह के पास भेजा। पाये। उनके विरुद्ध बधुतमे पभियोग लगाये गये थे। हकीनम् १६०८ ई. में १६ पलको सूरत इन्दनि एक मुमन्नमीन पेशाको पपने घर रख लिया था। आ पहुंचे। प्यवसाय के सुभीता के लिए उन्होंने जैमी २ नया समके पिता और माताको हत्या कर, उन्हें अपमे | प्रार्थनाएँ की, बादशाहने उन मबमें अपनी स्वीकारता , . घरमें गाड़ दिया था। इमलिए जहांगीरने उनकी जीभ दी और हकिनमको यार्षिक ३२०००) रुपये घेतन दे कर फाट कर जन्म भर उन्हें कैद कर रपमेका हुक्म दिया। अग्रेजोंका दूतखरूप उन्हें दरबारम रमनकी रक्षा यादगाह गुमरूको गृहसावद कर कायुलमें लेसे पाये | प्रकट की। हकिनस्ने पयके लोभसे कार्य ग्रहण कर थे। यहां प्राफर उन्होंने खुसरुको अंजोर खोल दो। लिया। इकोनम् मम्राटके इतने प्रियपाव हो गये शि, मरने फतेउमा, नूर उद्दीन, पामफा और मरीफ | बादशाहने दिल्ली के अन्त:पुर की एक प्रर्मनी महिला के माप पाप्रादि प्रायः ५०. पादमियों की सहायतारी वाद। उनका वियाह कर दिया। कुछ भी हो, मम्राट के माय शाहको मार डालने की कोशिश की । परन्तु उनमम एकने अंग्रेजोंको जो सन्धि हुई, भारत के पत्र गीज लोग उमे कुमार पुर्रम ( पोछ गाइजी) के दीवान खोजा सुड़यानेकी कोशिश करने लगे और कर्मचारियोंको घुम शुगरमोशी यर यात कप दो। पुमने यादगाहमे दे कर वे हम विपयमें लतकार्य भी हुए। कर्मचारियों ने कहा। उन्होंने फसेठसाको कद कर दिया और प्रधान | मम्राट को समझा दिया कि, 'ग्रेजों के साथ मन्धि होने प्रधान ३-४ पठ्यन्तकारियों को मार डालने के लिए | पर जितने सुफलकी मम्भावना है, उसमे कहीं पथिक । पर दिया। अनिट होनेकी मम्भावना पोत गीगि मन न होनेमे ।। १६०८१० बादशाहने राजा मानसिंह के ध्येठपुत्र | है। जहांगीरने म बातको ठीक मान कर एकीनम्फो . जगमिहको कन्याफे साथ अपना विवाह करने के पमि. शोघ्र ही भारत छोड़ कर चन्ने जानकी पांजा दी। पायमे वर्ष के लिए ८.... मण्ये भेज दिये । यो रयि. १६१० ई में कुराध नामफा एक फकीर पटना . उन पश्चन तागेखको जगमिहकी कन्या वादगाह के | पाम उज्जयनीमें पाकर रहने लगा। उमने यह वर. पापुरम भजी गई । इमी ममय जहांगोरने चित्तोर के समे धमत् लोगों के माय मिन्न कर पपना मगर नाम रागा प्रमरमिएके विकत महायताको भेज दिया। परिचय दिया। उमने कहा कि, "हम कैदपानमे भाग दिमोगरने मोचा कि, भारतके हिन्दू और मुमत पाये हैं, और यहाँ रहते ममय हमारी पानों पर गरम मान मम ही अप उनके यगीभूत हो गये हैं सब राना | कटोरी बांध दी जाती थी, इमलिए पापों पर दाग पडू ही गर्यो ममाम उठाये रह १ का पुरुष अमरसिंहने जय ] गये"। गुरमिए पनि प्रकट की, तब मर्दार फुनतिलक इस प्रकार परिचय देनेमे कुछ मोगाने पाकर उमका चम्दायत् पौर गानुम्बा गौरनि शयरन उनके द्वारा यह माय दिया। इन लोगों के माय फुतुमने पटगामें प्रवेग घोषणा फरया दी। म युग्म भादगाह जहांगीरका कर यहां के दुर्ग पर अधिकार किया। उम ममय पटना मगौरय मफन न एमा। कुछ भी हो, युपराज पुग्म के मामनकता प्रफशन यां, गेग यनारमी पौर गयाग भेट फरिठालने म गुरमें यादगाह की तरफमे विगैप | पानी पर नगररथाका भार टकर गोरगपुर में अपनी मामिकताका परिचय दिया था। गयी जागीरमें गये हुए थे। पिद्रोटियाँ युगमें प्रवेश दापिपात्यने प्यादा महपड़ी और जाने फारप] करने पर दुर्गरतकोंन भाग कर अपनाई पाम .