पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१६७

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५. .. नवादि-जवाहिरकवि जयादि ( म० की. )सुगन्धि द्रव्य भेद, एक तरहको सुग- । जयाय-सयाल (प. पु. ) १ प्रयोत्तर। २ बाट पिया...' बूदार चीज। जवादी (फा० वि०) 'उत्तर ममन्त्री, जिमझा जयान देना .. "जयादि नीरमं निग्धमीपत् पिङ्गलसुगन्धिदं। हो, जवाबका । जैसे जवाबी कार्ड। पायी बहुलामीदं राज्ञा योग्यच्च तन्मतम्।” जवार ( पु.) १ पड़ोम । २ पास पासका देव। . . यह एक प्रकारके मृगके पमीनमे बनता है। इमके अवनति. बुरे दिन । ४ झझट। गुण-गुगन्ध, सिन्ध, उरण, सुरवावह, वातमें हितकर और जवार (Eि म्ती०) जुभार। गजाओंके लिए पाल्हादजनक है। (राजनि.) इमके जवारा (हि० पु.) विजयाटगमी दिन यह पवित माना पाय ये है--गन्धराज, कृत्रिम, मृगधर्मज, गन्धाध, गया है। स्तियां इमे अपने भाईकै कानों पर बीमतो निग्ध, मामाणिक म, मुगन्धतैलनिर्याम और और यावणीमें प्राण अपने यजमानीको देरी है। कटुमोद । । जवारी (दि० मी० ) १ एक प्रकार की माला । यह लो, जयाधिक (मं० वि०)१ अत्यन्त धेगयुक्त, बहुत तेज छुहारे, मोती प्रादि मिला कर गूंथो जाती है। दौड़नेवाला । (पु.) १ अधिक वेगविगिष्ट घोटक, | तारयाले बाजों में पड़जका तार । ३ मारही, सम्बरा बहुत तेज दौड़नेवाला घोड़ा। पादि तारयाले बाजी में मकड़ी या हटडी पादिका 45 अयान ( फा० वि० ) १ युवा, तरुण । २ वीर बहादुर। छोटा टुकड़ा जो नीचेकी पोर यिना उड़ा दुपा राना (फा. पु.)३ मनुष्य। ४ सिपाही। ५ वीर पुरुष। । है तया जिसके ऊपरमे सय तार वृटियों की ओर जाने । जवानसिंह-उदयपुरर्क महाराणा भीमसिंहके पुत्व । | जवान ( पु.) १ अवनति, उतार, घटाव । २ पाफत. १८२८ ई. में इनका राज्याभिषेक हुए था। ये बड़े' | झंझट, यखेड़ा। पिलामी भोर पालमी थे। एनकै समयमें भी गवर्मगहमे जयागीर (फा. पु०) एक प्रकारका गयिरोगा। मन्धि पत्र लिखा गया था.। राज्यमामनमें इन्होने तनिक ! यह कुछ पीला रंग लिए बहुत पतला होता है। मोमे भी योग न दिया था। इनकी फिजूल-पीने इन्हें फल- ताड़पोन की गंध पाती है। यह मिर्फ प्रौषधके काम दार बना दिया था। पाता है। जयानिन (मं० पु.) प्रचण्डवायु, नेश या। जयाम, प्रयामा (हि.पु. एक कोटेदार तुप । पर्याय- जयानी (मं० मती) पजयाहन, जयाइन। यवामक, पनमा, कराडकी।.यपास देखो। . जयानी (फा० मी.) युवावस्था, सरुणाई। नयामिया-मध्यमारतो पता न माना पानाही एक अवापुष्प ( म०पु.) जग, पड़ाल। जरा देगी। ठकुरात। जयाय ( पु.) १ प्रत्य तर, उत्तर । २ यह उत्तर जो भयाह ( पु.) पाका एक रोग, प्रवास, परपन । काय मपम दिया गया हो, पहला । १ जोड़, मुसायने रममें पता भोसरको पोर किनारे पर वाम र मात की धीमा ४ नोकरी पूटने की प्राता, मोकूफी। ६।२ मौको पापका एक गेग सपना भी अयाय समप (का. पि.) जिमई मम्मन्ध ममाधान मनम आमा । कारक उत्तर गा गया है। अयाह (हिं. मी. ) मदुन बोटी पढ़। जायदाया ( पु.) यह डर जो प्रतियादी यादी मार (0g. ' पब, मन्।ि निवेदनपतसे उत्तरमै निराशा पदानतम देता है। : माहापामा (प.पु.) बामेय पोर पाभूषण जापा .. ) तरदाता, निमसे फिमी कार्य गर्नका गम. ग्यकोष, नोगामामा । के गर्ने बिगड़ने पर पूर्व नार की आय, निर्भधार। 'नागत-सेरा, पया, महि, मुशादिय. . मायदेशी (का. पी.)। उत्तर देनजी किया। TARE पु.), मणि। २ धारदायित. जिभेदारी। , नवाधिरकविदीक एक करिये सदोसि , .