पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१६१

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१४४ मलाशय-जमोकाट किमी स्थान पर मर्वदा हो जलावतं का कार्य होता | धाम | २ गृङ्गाकाटक, मिघाड़ा। ३ ईसामग, मेडिश रहता पोर यह अन्लायतं केवलमात्र उमहो जा रह गृा देसो । । गर्मोटिका हप, अश्वी । ५ लामक पावह न रह कर नदोके स्वाभाविक स्रोतमे घोर भी रण । कुछ दर लाकर उत्पन्न होता है। जलायया (म० वी०) लियो टाप । १ शूनीसम्म, शूलो ____ क ग चिन्ह नित मध्यवर्ती भूभागको प्रारुति मदृश घाम । २ यलाका, एक प्रकारका गुप्ता पक्षो। . होने पर नदीके दूसरे पार भो घर्णायत हो सकता है | जलाप (मको०) जायते जन्न जलापोऽभिजायो और दिजित स्थान यदि मकोयनन हो, तो वहाँसे | यत्र अर्गादित्वादच । १ सुग्नु, आराम, चैन। २ मवके र्फ में प्रयाग-प्रतिक्षिा हो कर जनावर्त उत्पब कर लिए सुखकर । जस, पानी। मकता है। इसीलिए यदि नदीका फाट कम चौड़ा हो | जलापाह (स० वि०) जल महतमा शिव पूर्वपद दो, और वहां कोई पुल बना हो, तो उम पुलके स्तम्भ | शस्य यत्व । जलसीद, पानीको बरदात करनेवाला। पास पावत उत्पन्न होते हैं। उता भावतों के निम्न | जम्माठोला (म. स्त्री.) जलेन पटोला मंहिता। एसर, उनसे चारों ओरके स्तरों की अपेक्षा बहुत कम पुष्करिण। हो यिरुस बनको गतिको रोक सकते हैं। इन स्तरोंके | जलासुका (स. स्त्रो०) जलमेघ प्रप्तयो यस्याः कप टाप! . नीचे जो पानी है, वह अपने माधारण धर्म के अनुमार | जन्लोका । नौर देखो। ममतल अवस्था में रहने के लिए उठते ममय मही अदि. | जन्लाइन (हिं. वि. ) जलामय, पानी मे भरापा। को ऊपर उठाता है और कभी कभी तो पुलके स्तम्भी | जलाय ( म० को०) जले प्राध्या पर्वा यस्य } १ उपस, तकको ऊपर फेक देता है। कमल । २ कुमद, कुई। ३ बालक, बाला। ___नहोसे निम्नमतर मर्द व समान नहीं होते। कोई | जलिका (म' म्तो०) जल उत्पत्तिस्यानले नाम्यस्याः मतर नीचा पोर कोई मचा होता है। स्तरको उच्चता| जन्न ठन् । जलौका और देगे . . पौर निग्नताको तारतम्यता के अनुमार चे स्थामम | अनिकार-प्रलोकाट देखो। पागोको गति प्रतिक्षिा हो कर जतायतं उत्पन हो जातोकाट -मदूरा राज्य में प्रचलिम एक तरहका गेन। सकता है। यह प्रयास पीछे व माधो गईगामी होता। कुछ गाय भैसोंके सींगमे कपड़ा या गोठा बांध पीर तरङ्ग के प्राकारमे अपरको पाता रहता है। देते है, उस पंगोळेके छोरम फुछ रुपये से भो बाध मो तर यदि कोई स्थान पचानक नोचा दी जाय रहते हैं। किमो लाये चौड़े मैदानमें उम मवको ने भाकर तो ठम स्थानमें भो जलायत उत्पन्न हो मकता है। एक साय छोड़ देते हैं। इस समय दर्शकहद साली पत्राने अन्नागय (म० पु.) जन्नस्य पागयः पाधा जला- | हुए मा मचाते है जिसमे घे जानयर उत्तेजित . धार, वह स्थान जहां पानो जमा हो, समुद्र, मद, मदी. कर जी-जामने दोड़ते हैं मोर माय हो तगामो मनुथ पुष्करिणी गढ़हा इत्यादि । . पुपरिणो देखो । (सो.) | भो उनके माय दौड़ते रहते हैं। जो प्रगामो पाको ' म जनमालपदेगे पागेते गी पच । २ गोर, नुत ।। पहले पड़ता है, उसोको जय होतोरे पोर यहो उता ३सामन्चका वाप। ४ नाटक, सिंघाड़ा । (वि.) पाक सोंगमे पधे हुए नपये-पै मौका अधिकारी ५ जनगायी. जो जनम गयन करता हो। (पु.) मत्य होगा। गिरीप. एक मदती। पज सोग जिस तरह घुड़दौड़में मस्त जाते. अतागया ' म. सी.) गुण्डला इ. गुदला, नागर ६. उमो सरह मदूर, विगिरापनो, पदुकोटा और तमोर. मोया। के सोग मोरम पेन उन्मसको भातास पेन को जसायय (म.पु.) जले जनप्रनुर प्रदेश पाययो| उनके जातोय उममि गिनतो यो, म लिए धनी दरिद्र सापतिरपान यस्य । १ नगुप्फ तपादोर्पनास नामको ! ममो इम पेन गामिन सोने थे। म कमो कमा