पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१२४

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जस्त-अलि-जलकामुक करके काम में लाया जा सकता है। सोटा, बर्फ, वृष्टि आदि | जलकन्द (सं० पु.), १ कदली, केला। २ मृङ्गारक, शब्द देखो। सिंघाड़ा। ____ वर्तमान वैज्ञानिक मतसे-अक्सिजन और हाइड्रो. जलकपि (सं. पु० )जले कपिति । गिशमार, सूरा नामक जनके संयोगसे जलकी उत्पत्ति है । हाइड्रोजनको अक्सि | जलजन्तु । जनसे दग्ध करनसे जल उत्पन्न होता है। मिथित हाड-| जनकपोत (स.पु०) जलजातः कपोतः। जलपारावत, ड्रोजनको वायु द्वारा दग्ध करने पर उसमसे जलीय एक प्रकारका कबूतर जो सदा पानी के किनारे रहता है। वाप्य निकला करती है। किसी शीतल पात्रको | जलकर (हि.पु० ) १ जलसे नाना प्रकारका जो प्राम दीप-शिखा पर थामनसे उम पर श्रीस जैसो बुदा दनी होतो है ; उसे जलकर कहते हैं । पञ्चायम-किसी. कियां दिखाई देती हैं, वे कुंदकियां जलके सिमा दूसरी के अधिकृत तालाव या झोली में मछली डालनेसे दूसरे। कोई चीज नहीं। इसी तरह परीक्षाके द्वारा जलसे भी का जो स्वत्व नमता है, उसे भो जल कर कहते है। इसके उपादान पृथक् किये जा सकते हैं। जिम उचाप बङ्गालमें नदी. कूप, तड़ाग और मछलियोंसे जो प्रामद मे प्लाटिना धारा गलाई जा सकती है उस उत्तापके होतो है उसे जलकर कहते है। कहीं कहीं जलकर प्रयोगसे जम्न उपादान भो तत्क्षणात् पृथक् किये जा कहनैसे सिर्फ जलाशय आदिका हो बोध होता है। सकते हैं। अत्यन्त उत्तम लाल लोहे के ऊपर जल डालने जनकर (म.पु. ) जलपूर्णः करक्षः। १ नारिकेल, रो, उसका अक्सिजन धातुके साथ मिन्च जाता है और नारियल । २ पद्म, कमल ! ३ गङ्ग, सख । ४ जललता। हाइड्रोजन भाफ बन कर उड़ जाता है। इसी तरहसे | ५ मेत्र। यूरोपीय रासायनियोंने यह भी स्थिर किया है कि, जलम | जनकर्ण (स'• स्त्रो० ) कणमोटा। फीसदो-८८८८८ भाग अक्सिजन और १९१११ भाग जलकल्का (म. पु० ) जलस्य कल्कव। १ जम्बाला, हाइड्रोजन रहता है। २ उगोर, खस ।३ सुगन्धवाला, सेवार । २ कदम, कीचड़ । ३ काई। नेत्रमाला । ४ ज्योतिपके अनुमार जन्मकुण्डलोमें चौथा | जलकाक (म० पु. ) जले जन्तस्य वा काक इव । जलचर स्थान । जन्मकुण्डली देखो । ५ पूर्वापादा नचत्र। .. । पतिविशेष, जलकोपा नामक पक्षो। इसके पर्याय- जल अलि ( स० पु०११ पानीका भंवर । २ जलमें | दात्य ह और कालकण्टक है। इसको मामका गुण-- तैरनेवाला एक प्रकारका काला कीड़ा । यह खटमलसे | निग्ध, गुरु, शीतल, वलकर और यातनाशक है। मिलता जुलता है, किन्तु आकारमें खटमलमे कुछ | जलकाइ (सं० पु०-स्त्रो०) जल काइति भभिलपति बड़ा होता है, पेशेव, भौंतुआ। जन्नकाक्षपण । १ हस्तो, हायो । (नि.) २ जला.. जलाई (हिं० स्त्री.) दो अंकुड़ेदार कोटा । यह दो तातो. भिलाषो, जिसे जलकी चाह हो, प्यासा। के जोड़ पर जड़ा जाता है। नावके तपसे प्रायः इसीसे जलकहिचन (म० पु० स्त्रो०) मलकाचति अभिः अड़े जाते हैं। लपति काक्षणिनि । १ हस्तो, हाथी । (वि.) जला- जलकंदरा हिं. पु०) तालोके किनारे होनेवाला एक | मिलापो, जिमे जलको चाप हो, प्यासा। प्रकारका गुल्म। जलकान्त ( स० पु०) जलस्य कान्तः, ६ तत्। जला- जलक (स'• लो०) १शक्षा, संख । २ कपर्दक, कोड़ी। । पिठाता, पक्षण । जन्तकण्टका ( स० पु० ) जले जातः कण्टकः कण्टका- जनकान्तार (स.पु. ) जलमेय कान्तार टुग मपयो न्वितत्वादेवास्य लयात्व।. १ शृङ्गाटक, सिंघाड़ा ।२यस्य वरुण। . . , .. . कुमार, कुंभी। जन्तकाम ( सं• पु० ) जलवेतस। , . जलकराड (सं० पु. ) एक प्रकारको खुजली जो बहुत जलकामा (स. स्त्रो०) अन्धाहुती । काल तक पानोमें रहने पैरोम होती है। . । सन्तकामुक (म. पु० ) जलम्प कामुकः पमिलापुकः, . Vol. VIII. 29 .