सामने है उसी के आधार पर हम इस विषय को थोड़े में लिखते हैं।
आदिम आर्य्यों का स्थान
हिन्दुस्तान में सब मिलाकर १४७ भाषायें या बोलियाँ बोली जाती हैं। उनमें से हिन्दी वह भाषा है जिसका सम्बन्ध एक ऐसी प्राचीन भाषा से है जिसे हमारे और यूरपवालों के पूर्वज किसी समय बोलते थे। अर्थात् एक समय ऐसा था जब दोनों के पूर्वज एक ही साथ, या पास-पास, रहते थे और एक ही भाषा बोलते थे। पर किस देश या किस प्रान्त में वे पास-पास रहते थे, यह बतलाना सहल नहीं है। इस विषय पर कितने ही विद्वानों ने कितने ही तर्क किये हैं। किसी ने हिन्दूकुश के आसपास बताया, किसी ने काकेशस के आसपास। किसी की राय हुई कि उत्तरी-पश्चिमी यूरप में ये लोग पास-पास रहते थे। किसी ने कहा नहीं, ये आरमीनियाँ में, या आक्सस नदी के किनारे, कहीं रहते थे। अब सबसे पिछला अन्दाज़ विद्वानों का यह है कि हमारे और यूरपवालों के आदि पुरखे दक्षिणी रूस के पहाड़ी प्रदेश में, जहाँ यूरप और एशिया की हद एक दूसरी से मिलती है वहाँ, रहते थे। वहाँ ये लोग पशु-पालन करते थे और चारे का जहाँ सुभीता होता था वहीं जाकर रहते थे। अपनी भेड़ें, बकरियाँ और गायें लिये ये घूमा करते थे। धीरे-धीरे कुछ लोग खेती भी करने लगे। और जब पास-पास रहने से गुज़ारा न हुआ तब उनमें से कुछ पश्चिम की ओर चल दिये, कुछ पूर्व की ओर। जो लोग पश्चिम की ओर गये उनसे