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विग्रह १०३ महाराज, सिंहलद्वीप से मेघवर्ण नाम का कौआ उपस्थित हुआ है। हिरण्यगर्भ : कौआ चतुर एवं नीतिज्ञ होता है । उसका इस समय आना उचित ही हुआ। मन्त्री : ऐसा न कहें महाराज, कौआ पर-पक्ष का है। अपने पक्ष को छोड़कर पर-पक्ष से मिलनेवाले की नीलरंग वाले गीदड़ जैसी दना होती है। राजा बोला : कैसे? चक्रवाक : सुनिये महाराज !