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३ नक्ल के लिए भी अक्ल चाहिए मात्मनश्च परेषां च यः समीक्ष्य बलाबलम् । अन्तरं नव जानाति सःतिरस्क्रियतेऽरिमिः॥ . . अपनी और शत्रु की सामय्यं को जो नहीं जानता उसे शत्रुओमे नोचा देखना पड़ना है । हस्तिनापुर मे विलास नाम का एक धोबी रहता था। वह बड़ा लोभी था । अपने गधे से काम तो लेता था, पर उसे पेट भर नहीं देता था। इस प्रकार गधा कुछ ही दिनों में इतना निर्वल हो गया कि उससे काम भी नहीं किया जाता था। चलते-चलते मार्ग में ही गिर पड़ता। इस प्रकार धोबी को हानि भी बहुत उठानी पड़ती। वहुत सोच-विचारकर घोवी कहीं से भरे हुए चीते की खाल ले आया। उस चीते की खाल को उसने गवे को पहना दिया और उसे खेतों में छोड़ दिया। खेत के रखवाले इसे दूर से देखते ही डर से उसे चीता समझकर उसके पास न फटफते। " . F 7 ( ९१ )