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हितोपदेश और वह उसे मारने को कुंए में कूद पड़ा और स्वयं मर गया। कौआ : इसीलिए तो मै कहता हूँ कि जिसके पास बुद्धि- बल है वही बलवान् है। x x X x काकी : यह तो मैने सुन लिया। पर यह बताओ कि अब क्या करना चाहिए ? कौआ : पास के सरोवर पर एक राजपुत्र नित्यप्रति स्नान करने आता है । स्नान से पूर्व वह तालाब के किनारे पड़ी शिला पर वस्त्र एवं अलंकार आदि उतार कर रख देता है। तुम वहाँ से उसका सुवर्णहार अपनी चोंच में उठा लाओ और इस सर्प के खोखले में डाल दो। यह सुवर्णहार ही सर्प की जान ले लेगा। अगले दिन प्रातःकाल काकी ने यही किया। हार के पीछे भागते-भागते रक्षक लोग जब खोखले के पास आए तो वहाँ सर्प को देखकर उन्होंने उसे मार डाला। दमनक : इसीलिए मै कहता हूँ जो कार्य उपायों द्वारा हो सकता है वह कार्य केवल पराक्रम से नही हो सकता। तुम विश्वास करो, मै बुद्धिबल से ही संजीवक और पिगलक की मित्रता नष्ट कर दूंगा। तब दमनक पिंगलक के पास गया । प्रणाम करके बोला : महाराज क्षमा करें आज मै बिना बुलाए ही आप से कुछ निवेदन करने आया हूँ। पिगलक : कहो भी पुत्र ! क्या कहना चाहते हो? दमनक : महाराज, आपको हो सकता है अचानक विश्वास न हो, पर जो कुछ मै कहता हूँ वह सत्य कहता हूँ। पिंगलक : मन्त्रीपुत्र, मैं आज से नहीं वर्षों से तुम्हारा