पहला खण्ड असाधना वित्तहीना बुद्धिमन्तः सुहृत्तमाः । साधयन्त्याशु कार्याणि फाकफूममगारावत् । 0 . अतुल धन, साधन के विना भी बुद्धिमान लोग मैत्री के बल पर अपना कार्य पूरा कर लेते है ।