यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

आमुख उठा और बोला: राजन्, मै वचन देता हूँ कि छः महीने के अन्दर-अन्दर मैं राजपुत्रों को राजनीतिज्ञ वना दूंगा। राजा ने अपने पुत्रों को विष्णुशर्मा के साथ विदा किया। विष्णुशर्मा ने इन राजपुत्रों को जिन मनोरंजक कहानियो द्वारा राजनीति और व्यवहार-नीति की शिक्षा दी, उन कथानों और नीति-वाक्यों के संग्रह को ही 'हितोपदेश' कहा जाता है। इस कथा संग्रह के प्रथम भाग को 'मित्रलाम' का नाम दिया गया । पहले उस भाग की प्रथम कथा कहते है ।