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३८ हितोपदेश इतने व्याकुल क्यों हो रहे हो? हिरण : मित्रो, मेरा नाम चित्रांग है । मै व्याध के भय से भागा-भागा फिर रहा हूँ। कौआ : मित्र, इस निर्जन वन में तुम्हें किस व्याध का भय सता रहा है? हिरण : मित्र, कलिंग देश पर रुक्मांगद नाम का एक राजा राज्य करता है। वह आजकल दिग्विजय करने के लिये देश- देशान्तरों में भ्रमण कर रहा है । मैने व्याधों के मुंह से अभी- अभी सुना है। कल प्रातःकाल वह इसी सरोवर के तट पर आ- कर अपना डेरा डालेगा। अतः हमें अभी से अपने वचाव का कोई-न-कोई उपाय अवश्य करना चाहिए। कछुआ बोला : भैया, मैं तो किसी दूसरे तालाब में जाऊंगा। चूहा और कौवा बोले : यह ठीक है। बात काटते हुए हिरण बोला : ठीक तो है । पर कराए को दूसरे तालाब में ले जाना भी कोई आसान काम नहीं। बेचारे के प्राणो पर आ बनेगी। इसकी रक्षा तो तालाव में ही हो सकती है। स्थल में तो मरण अनिवार्य है। अतः कोई ऐयासा उपाय करना चाहिये जिससे हम अपनी रक्षा कर सकें । क्यों, याकि उपायों के सहारे ही गीदड़ ने मदमस्त हाथी को भी दलदलाउस में ले जाकर मार दिया। कौआ बोला : कैसे? हिरण ने कहा : j