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CIER रासस REFETICE marware आमुख भागीरथी के पवित्र तट पर पटना नाम का एक नगर है। कसी समय इस नगर मे राजा सुदर्शन राज्य करता था। उसकी राजसभा मे किसी विद्वान ने इन श्लोको को पढ़कर सुनाया- अनेक संशयोच्छेदि परोक्षार्थस्य दर्शकम् , सर्वस्य लोचनं शास्त्रं यस्य नास्त्यन्ध एव सः। यौवनं, धन सम्पत्तिः, प्रभुत्वमविवकता, एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतप्टयम !! मर्थात्, शास्त्र मनुष्य के नेत्र है। इन नेत्रों की सहायता से वह वस्तु का यथार्थ ज्ञान ही नही, परोक्ष ज्ञान भी कर लेता है। इनके बिना आँखोंवाला आदमी भी अन्धा ही रहता है। यौवन, धन, अधिकार और अविवेक, इनमें से प्रत्येक दुर्गुण