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सन्धि हमे यश भी मिला । अब यहाँ और अधिक समय ठहरना आपत्ति-जनक है । राजन्, हो सकता है कि आपको मेरा कहना कटु लगता हो । उसके लिए मै क्षमा चाहता हूँ। राजा : मन्त्रिन्, यह तो तुम्हारा कर्तव्य ही है। वह मन्त्रीपद के योग्य नहीं जो कटु अथवा मीठे के लोभ तथा भय में पड़कर राजा को अच्छी सम्मति न दे। मन्त्री • महाराज, तो अवश्य ही आप संधि करले। समान बल वालों में यदि सधि हो जाये तो बहुत कल्याण- कारी होती है । अन्यथा कभी-कभो दोनों ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं, जैसे-