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है १३८. हितोपदेश X x x पड़े करना चाहिये। केकड़े ने पीठ पर से ही बगुले की गर्दन पर अपने दाँत जमा दिए। उसने उसे ऐसा काटा कि वह वहीं मर गया। X X दूत हिरण्यगर्भ से वोला : महाराज, इतनी कथा सुनकर मन्त्री गृद्ध आगे बोला : हे राजन् ! इसीलिए मैं कहता हूँ कि नीच बड़ा बनने पर भी अपनी आदत नहीं छोड़ता । वह लोभ करता है और नष्ट ही हो जाता है। चित्रवर्ण : मन्त्रिन्, मैने विचार किया था कि मेघवर्ण को कर्पूरद्वीप का राजा बना दूंगा तो वह वहाँ के सुन्दर-सुन्दर पदार्थ हमारे लिए भेजा करेगा। मन्त्री हँसा और फिर बोला : महाराज, जो भविष्य का विचार करके मन-ही-मन के लड्डू खाता है वह वर्तन फोड़ने वाले ब्राह्मण की भाँति दुःखी होता है। राजा ने उत्सुकतापूर्वक पूछा : यह कथा कैसे है ? मन्त्री बोला : सुनो महाराज !