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सन्धि १३५ ३ कर कहा करते : इस मुनि ने इसे चूहे से व्याघ्र बना दिया। व्याघ्र सोचने लगा यह तो बड़ा भारी कलंक है । जव तक यह मुनि जीवत है, मेरा यह कलंक धुल नही सकता । अत: इस मुनि को मार डालना चाहिये। एक दिन अवसर पाकर जब व्याघ्र मुनि को मारने चला तो मुनि ने मुसकराकर कहा : तू चूहा हो जा। मुनि का कहना था कि वह व्याघ्र फिर से चूहा हो गया। awwahaimer x x x x मन्त्री ने आगे कहा-महाराज, केवल इतना ही नहीं। कौआ नीच जाति का है । नीच अपने दुष्कर्म तो करता ही है पर उनसे उसे हानि भी होती है। जैसे वगुला केकड़े के लोभ मे मारा गया। राजा बोला : वह कैसे? 6