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भविष्य का विचार करो यद्भविष्यो विनश्यति o . . जो होगा सो होगा ही यह विश्वास रखनेवाला नष्ट हो जाता है । . . आज से कुछ वर्ष पूर्व इसी सरोवर में अनागत विधाता (आपत्ति आने से पूर्व ही निराकरण करने वालो) प्रत्युत्पन्न- मति (समय देखकर कार्य करने वाली) और यद्भविष्य (होनहार को अटल मानने वाली) मछलियाँ रहती थी। एक दिन आज की ही भाति कई धीवर यहाँ आए और खड़े होकर विचार करने लगे कि कल आकर यहाँ मछलियाँ पकड़ेगे। धीवरो की वाते सुनकर अनागतविधाता तो किसी प्रकार दूसरे तालाब मे चली गई और अपने प्राण बचाए । 'प्रत्युत्पन्नमति ने विचार किया कि यह कोई निश्चित तो है ही नही कि धीवर कल अवश्य आएंगे। अतः सरोवर नही छोड़ना चाहिए । समय पर जैसा उचित हो करना आवश्यक है । तीसरी यद्भविष्य विचार करने लगी-इस तरह की ( १२८ )